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ऊर्जा विभाग ने 125 करोड़ में खरीदे 28 ट्रांसफार्मर, सुराज सेवा दल ने की जांच की मांग

सुराज सेवा दल ने ऊर्जा विभाग पर ट्रांसफार्मर खरीद के नाम पर घोटाला करने का गंभीर आरोप लगाया है. मामले में सीएम धामी से जांच कराने की मांग की है. साथ ही कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.

Suraj Seva Dal demanded investigation
सुराज सेवा दल ने की जांच की मांग
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Published : Apr 23, 2022, 10:08 PM IST

देहरादून: सुराज सेवा दल (Suraj Seva Dal) के प्रदेश अध्यक्ष रमेश जोशी ने ऊर्जा विभाग पर ट्रांसफार्मर खरीद में घोटाले का गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने इस मामले की मुख्यमंत्री से जांच किए जाने की भी मांग की. रमेश जोशी ने कहा कि विभाग ने नियमों को ताक पर रखकर 125 करोड़ के 28 ट्रांसफार्मर खरीद डालें. जबकि साल 2017 में कैग की रिपोर्ट (CAG report) में भी पिटकुल द्वारा खरीदे गए करीब 28 ट्रांसफार्मरों की खरीद में नियमों को ताक पर रखने की बात सामने आई थी.

उन्होंने कहा सरकार की नीति के अनुरूप L1 कंपनी मेसर्स एल स्टॉम को एक साजिश के तहत बाहर कर दिया. जबकि अपनी चहेती कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए ट्रांसफार्मर का टेंडर दे दिया, जो पहले से ही उत्तर प्रदेश में ब्लैक लिस्टेड थी. घपले और घोटाले के लिए चर्चित यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार यादव जो पिटकुल का भी अतिरिक्त कार्यभार देख रहे हैं, उनके द्वारा इस मामले में घोर अनियमितता बरती गई है.

उन्होंने कहा एक ट्रांसफार्मर को बनाने में जहां 5 से 6 महीने लग जाते हैं, वही अपनी खास कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए एक ही दिन में टेंडर निकाल दिए. इसकी विज्ञप्ति भी जारी कर दी और उसी दिन इस कंपनी को वर्क ऑर्डर भी दे दिया और क्वालिटी रिपोर्ट भी दे दी. उन्होंने कहा जिस इंस्पेक्शन को करने में कम से कम 1 से 2 माह का समय लगता है. उस इंस्पेक्शन को 3 से 4 दिन में पूरा कर इतिश्री कर ली गई.

ये भी पढ़ें: HC का बड़ा फैसला, तीसरी संतान होने पर भी प्रधान बने रहेंगे विक्रम सिंह, पढ़ें पूरा मामला

उन्होंने कहा कि ऊर्जा विभाग में धांधली (rigging in energy department) का आलम यह है कि 1 हफ्ते के भीतर ट्रांसफार्मरों की सप्लाई भी कर दी गई. उन्होंने ट्रांसफार्मरों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाया और कहा इन ट्रांसफार्मरों पर ना तो कोई लेबल लगा हुआ था और ना ही कोई ब्रांडिंग लगी हुई थी. सिर्फ एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए यह ट्रांसफार्मर खरीदे गए और तुरंत इनका भुगतान भी कर दिया गया.

उन्होंने कहा कि जिस L1 कंपनी को टेंडर दिया जाना चाहिए था, उसकी जगह ब्लैक लिस्टेड कंपनी को टेंडर दे दिया गया. जिसका नतीजा यह हुआ कि घटिया गुणवत्ता के ये ट्रांसफार्मर फटने और फूंकने लगे. इन ट्रांसफार्मर की रिपेयरिंग के नाम पर भी जमकर धांधली की गई है.

उन्होंने कहा वर्तमान में यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार यादव हैं. जिस समय यह घोटाला हुआ था उस समय यादव चीफ इंजीनियर थे, उन्होंने आशंका जताई कि एमडी पथ पर रहकर अनिल कुमार यादव ट्रांसफार्मरों की जांच पर लीपापोती कर देंगे. क्योंकि करीब 100 करोड़ के इस घोटाले में जो लोग शामिल थे, उनको ही पिछली सरकार ने इनाम देकर पिटकुल और यूपीसीएल के एमडी पद पर तैनाती दे दी. उन्होंने मामले की जांच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से कराए जाने की मांग उठाई. साथ ही कहा यदि 1 हफ्ते के भीतर कार्रवाई नहीं की जाती है तो एक बड़ा आंदोलन सड़कों पर किया जाएगा.

देहरादून: सुराज सेवा दल (Suraj Seva Dal) के प्रदेश अध्यक्ष रमेश जोशी ने ऊर्जा विभाग पर ट्रांसफार्मर खरीद में घोटाले का गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने इस मामले की मुख्यमंत्री से जांच किए जाने की भी मांग की. रमेश जोशी ने कहा कि विभाग ने नियमों को ताक पर रखकर 125 करोड़ के 28 ट्रांसफार्मर खरीद डालें. जबकि साल 2017 में कैग की रिपोर्ट (CAG report) में भी पिटकुल द्वारा खरीदे गए करीब 28 ट्रांसफार्मरों की खरीद में नियमों को ताक पर रखने की बात सामने आई थी.

उन्होंने कहा सरकार की नीति के अनुरूप L1 कंपनी मेसर्स एल स्टॉम को एक साजिश के तहत बाहर कर दिया. जबकि अपनी चहेती कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए ट्रांसफार्मर का टेंडर दे दिया, जो पहले से ही उत्तर प्रदेश में ब्लैक लिस्टेड थी. घपले और घोटाले के लिए चर्चित यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार यादव जो पिटकुल का भी अतिरिक्त कार्यभार देख रहे हैं, उनके द्वारा इस मामले में घोर अनियमितता बरती गई है.

उन्होंने कहा एक ट्रांसफार्मर को बनाने में जहां 5 से 6 महीने लग जाते हैं, वही अपनी खास कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए एक ही दिन में टेंडर निकाल दिए. इसकी विज्ञप्ति भी जारी कर दी और उसी दिन इस कंपनी को वर्क ऑर्डर भी दे दिया और क्वालिटी रिपोर्ट भी दे दी. उन्होंने कहा जिस इंस्पेक्शन को करने में कम से कम 1 से 2 माह का समय लगता है. उस इंस्पेक्शन को 3 से 4 दिन में पूरा कर इतिश्री कर ली गई.

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उन्होंने कहा कि ऊर्जा विभाग में धांधली (rigging in energy department) का आलम यह है कि 1 हफ्ते के भीतर ट्रांसफार्मरों की सप्लाई भी कर दी गई. उन्होंने ट्रांसफार्मरों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाया और कहा इन ट्रांसफार्मरों पर ना तो कोई लेबल लगा हुआ था और ना ही कोई ब्रांडिंग लगी हुई थी. सिर्फ एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए यह ट्रांसफार्मर खरीदे गए और तुरंत इनका भुगतान भी कर दिया गया.

उन्होंने कहा कि जिस L1 कंपनी को टेंडर दिया जाना चाहिए था, उसकी जगह ब्लैक लिस्टेड कंपनी को टेंडर दे दिया गया. जिसका नतीजा यह हुआ कि घटिया गुणवत्ता के ये ट्रांसफार्मर फटने और फूंकने लगे. इन ट्रांसफार्मर की रिपेयरिंग के नाम पर भी जमकर धांधली की गई है.

उन्होंने कहा वर्तमान में यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार यादव हैं. जिस समय यह घोटाला हुआ था उस समय यादव चीफ इंजीनियर थे, उन्होंने आशंका जताई कि एमडी पथ पर रहकर अनिल कुमार यादव ट्रांसफार्मरों की जांच पर लीपापोती कर देंगे. क्योंकि करीब 100 करोड़ के इस घोटाले में जो लोग शामिल थे, उनको ही पिछली सरकार ने इनाम देकर पिटकुल और यूपीसीएल के एमडी पद पर तैनाती दे दी. उन्होंने मामले की जांच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से कराए जाने की मांग उठाई. साथ ही कहा यदि 1 हफ्ते के भीतर कार्रवाई नहीं की जाती है तो एक बड़ा आंदोलन सड़कों पर किया जाएगा.

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