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उत्तराखंड नजूल भूमि केसः SC ने HC के फैसले पर लगाई रोक, लाखों लोगों को राहत - क्या है नजूल भूमि नीति

नजूल भूमि मामले पर SC के आदेश से उत्तराखंड के लाखों लोगों को राहत मिली है. उत्तराखंड में नजूल भूमि को निरस्त करने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने पूर्ण रूप से रोक लगा दी है. नजूल भूमि पर उत्तराखंड के लाखों लोगों को राहत मिली है.

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उत्तराखंड नजूल भूमि केस
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Published : Dec 3, 2021, 4:19 PM IST

Updated : Dec 3, 2021, 9:54 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड नजूल भूमि केस पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से प्रदेश के लाखों लोगों को राहत मिली है. प्रदेश में नजूल भूमि को निरस्त करने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने पूर्ण रूप से रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से प्रदेश के लाखों लोगों को राहत मिली है. जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस कृष्ण मुरारी की कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी है.

शुक्रवार को एससी के आदेश से नजूल भूमि पर उत्तराखंड के लाखों लोगों को राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने नजूल भूमि को निरस्त करने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर पूर्ण रूप से रोक लगाई है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से प्रदेश के उन लाखों लोगों को राहत मिली है, जो नजूल भूमि पर बसे हैं.

ये है पूरा मामलाः दरअसल, 2009 में उत्तराखंड सरकार नजूल नीति लेकर आई. इसके तहत सरकार ने लीज और कब्जे की भूमि को फ्री होल्ड करने की प्रक्रिया शुरू की थी. हालांकि, इस आदेश को उत्तराखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने 2018 में नजूल नीति को गलत करार देते हुए निरस्त कर दिया. साथ ही कहा कि जिन लोगों के हकों में फ्री होल्ड इस नीति के तहत किया है, उसको भी निरस्त कर नजूल भूमि को सरकार के खाते में निहित करें. कोर्ट ने सरकार से कहा कि कोई नई नीति सरकार नहीं ला सकती है.

ये भी पढ़ेंः पिछौड़ा डेवलपर के निर्माणाधीन फ्लैट्स पर HC की रोक जारी, 17 दिसंबर को अगली सुनवाई

हाईकोर्ट के फैसले को रुद्रपुर की सुनीता ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर चुनौती दी. उन्होंने एसएलपी के जरिए कहा कि भूमि के लोगों को उत्तराखंड सरकार की पॉलिसी में फ्री होल्ड किया गया था. लेकिन, भूमि के लोगों को बगैर सुने हाईकोर्ट ने आदेश पारित कर दिया. हालांकि, उत्तराखंड सरकार ने भी हाईकोर्ट के इसी फैसले को चुनौती दी. उत्तराखंड सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने के साथ निरस्त करने की मांग की थी.

ये है नजूल भूमिः सरकार के कब्जे की ऐसी भूमि जिसका उल्लेख राजस्व रिकॉर्ड में नहीं है. ऐसी भूमि का रिकॉर्ड निकायों के पास होता है. जानकारी के मुताबिक, देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर के अलावा नैनीताल जिले के तराई क्षेत्र में सबसे ज्यादा नजूल भूमि है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश में 3,92,204 हेक्टेयर नजूल भूमि है. इस भूमि के बहुत बड़े हिस्से पर करीब 2 लाख से ज्यादा लोग काबिज हैं.

ये भी पढ़ेंः नजूल भूमि मामला: SC के फैसले का MLA ठुकराल ने किया स्वागत, कहा- सरकार के पाले में आई गेंद

एडवोकेट जनरल जितेंद्र कुमार शेट्टीः सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड के एडवोकेट जनरल जितेंद्र कुमार शेट्टी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया है. अब जब तक मामले में फैसला पूरा नहीं हो जाता है, सरकार अपनी कार्रवाई जारी रख सकती है.

कैबिनेट में लाया जाएगा अध्यादेशः शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत ने एससी के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सीएम धामी के प्रयासों से देवस्थानम के बाद नजूल प्रकरण का भी समाधान हो गया है. इससे स्पष्ट है कि BJP सरकार सभी वर्गों के हितों का ध्यान रख रही है. उन्होंने कहा कि 6 दिसंबर को कैबिनेट में पास कर आगामी विधानसभा सत्र में अध्यादेश लाकर प्रदेश में नजूल भूमि एक्ट लागू करेंगे.

देहरादूनः उत्तराखंड नजूल भूमि केस पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से प्रदेश के लाखों लोगों को राहत मिली है. प्रदेश में नजूल भूमि को निरस्त करने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने पूर्ण रूप से रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से प्रदेश के लाखों लोगों को राहत मिली है. जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस कृष्ण मुरारी की कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी है.

शुक्रवार को एससी के आदेश से नजूल भूमि पर उत्तराखंड के लाखों लोगों को राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने नजूल भूमि को निरस्त करने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर पूर्ण रूप से रोक लगाई है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से प्रदेश के उन लाखों लोगों को राहत मिली है, जो नजूल भूमि पर बसे हैं.

ये है पूरा मामलाः दरअसल, 2009 में उत्तराखंड सरकार नजूल नीति लेकर आई. इसके तहत सरकार ने लीज और कब्जे की भूमि को फ्री होल्ड करने की प्रक्रिया शुरू की थी. हालांकि, इस आदेश को उत्तराखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने 2018 में नजूल नीति को गलत करार देते हुए निरस्त कर दिया. साथ ही कहा कि जिन लोगों के हकों में फ्री होल्ड इस नीति के तहत किया है, उसको भी निरस्त कर नजूल भूमि को सरकार के खाते में निहित करें. कोर्ट ने सरकार से कहा कि कोई नई नीति सरकार नहीं ला सकती है.

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हाईकोर्ट के फैसले को रुद्रपुर की सुनीता ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर चुनौती दी. उन्होंने एसएलपी के जरिए कहा कि भूमि के लोगों को उत्तराखंड सरकार की पॉलिसी में फ्री होल्ड किया गया था. लेकिन, भूमि के लोगों को बगैर सुने हाईकोर्ट ने आदेश पारित कर दिया. हालांकि, उत्तराखंड सरकार ने भी हाईकोर्ट के इसी फैसले को चुनौती दी. उत्तराखंड सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने के साथ निरस्त करने की मांग की थी.

ये है नजूल भूमिः सरकार के कब्जे की ऐसी भूमि जिसका उल्लेख राजस्व रिकॉर्ड में नहीं है. ऐसी भूमि का रिकॉर्ड निकायों के पास होता है. जानकारी के मुताबिक, देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर के अलावा नैनीताल जिले के तराई क्षेत्र में सबसे ज्यादा नजूल भूमि है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश में 3,92,204 हेक्टेयर नजूल भूमि है. इस भूमि के बहुत बड़े हिस्से पर करीब 2 लाख से ज्यादा लोग काबिज हैं.

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एडवोकेट जनरल जितेंद्र कुमार शेट्टीः सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड के एडवोकेट जनरल जितेंद्र कुमार शेट्टी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया है. अब जब तक मामले में फैसला पूरा नहीं हो जाता है, सरकार अपनी कार्रवाई जारी रख सकती है.

कैबिनेट में लाया जाएगा अध्यादेशः शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत ने एससी के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सीएम धामी के प्रयासों से देवस्थानम के बाद नजूल प्रकरण का भी समाधान हो गया है. इससे स्पष्ट है कि BJP सरकार सभी वर्गों के हितों का ध्यान रख रही है. उन्होंने कहा कि 6 दिसंबर को कैबिनेट में पास कर आगामी विधानसभा सत्र में अध्यादेश लाकर प्रदेश में नजूल भूमि एक्ट लागू करेंगे.

Last Updated : Dec 3, 2021, 9:54 PM IST
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