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देहरादून रणवीर फर्जी एनकाउंटर केस में 5 पुलिसकर्मियों को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

बहुचर्चित रणवीर फर्जी एनकाउंटर केस में उत्तराखंड पुलिस के पांच जवानों को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. इस एनकाउंटर ने उत्तराखंड पुलिस के दामन पर ऐसा दाग दिया है, जो शायद ही कभी धुले. साल 2009 में देहरादून में हुए रणवीर एनकाउंटर ने उत्तराखंड के साथ-साथ कई राज्यों की राज्यों की पुलिस कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे.

Ranveer Fake Encounter Case
रणवीर फर्जी एनकाउंटर
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Published : Nov 25, 2022, 8:33 PM IST

देहरादूनः रणवीर फर्जी एनकाउंटर केस (Ranveer Fake Encounter Case) में आज उत्तराखंड पुलिस के पांच जवानों को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. साल 2009 में इन पुलिसकर्मियों ने 22 साल के एमबीए छात्र की फर्जी एनकाउंटर में जान ले ली थी. वहीं, इस फर्जी एनकाउंटर में मरने वाले एमबीए का छात्र रणवीर बागपत का रहने वाला था, जो देहरादून में नौकरी की तलाश में आया था. वहीं, रणवीर फर्जी एनकाउंटर केस में आज सुप्रीम कोर्ट से जिन पांच पुलिसकर्मियों को जमानत मिली है. उनके नाम जीडी भट्ट, अजीत सिंह, एसके जायसवाल, नितिन चौहान और नीरज कुमार है.

बता दें कि इस मामले में ये सभी दोषी अब तक 11 साल से अधिक समय जेल में बिता चुके हैं. उम्र कैद के खिलाफ इन पांचों पुलिसकर्मियों की अपील 2019 से सुप्रीम कोर्ट में लंबित थी. इस केस में साल 2018 में हाई कोर्ट ने कुल 7 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा दी थी. जिनमें से राजेश बिष्ट और चंद्र मोहन को पहले ही जमानत मिल चुकी थी. ऐसे में शुक्रवार 25 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में बाकी 5 पुलिसकर्मियों को भी जमानत मिल गई है. इस मामले में निचली अदालत ने 17 पुलिसवालों को दोषी ठहराया था. लेकिन हाईकोर्ट ने 10 पुलिसकर्मियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था.

ऐसे दिया था फर्जी एनकाउंटर को अंजाम: यूपी के बागपत जिले का रहने वाला 22 साल का एमबीए छात्र रणवीर सिंह 3 जुलाई 2009 को एक नौकरी के सिलसिले में देहरादून गया था. वहां उसने खुद पर बेवजह धौंस जमा रहे कुछ पुलिसवालों का विरोध किया था और पुलिसवाले उसे नजदीकी चौकी में ले गए थे. बाद में जंगल में उसे फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मार दिया गया था. इस एनकाउंटर में मारे गए रणवीर सिंह के माता-पिता ने सवाल उठाया था कि मृतक उनका बेटा था न कि कोई अपराधी. इसके बाद रणवीर सिंह के एनकाउंटर के बाद सामने आई पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पुलिस की सारी पोल पट्टी खोल दी थी. रणवीर के शरीर पर 28 से ज्यादा गहरे जख्म पाए गए थे.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड का रणवीर एनकाउंटर भी रहा था चर्चाओं में, जानिए घटना का 'शुक्रवार' कनेक्शन

इस एनकाउंटर के बारे में पुलिस ने बताया था कि 3 जुलाई 2009 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल देहरादून आ रही थीं. ऐसे में पूरे इलाके में हाई अलर्ट घोषित था. शहर भर में नाकाबंदी की गई थी और चेकिंग की जा रही थी. चेकिंग के दौरान सर्कुलर रोड में मौजूद तत्कालीन आराघर चौकी इंचार्ज पीडी भट्ट एक मोटरसाइकिल पर आ रहे तीन युवकों को रोका, लेकिन तीनों युवकों ने चौकी इंचार्ज पर हमला कर उनकी पिस्टल छीन लिया.

पुलिस ने बताया कि घटना से दो घंटे बाद इस अपराध में शामिल एक युवक को लाडपुर के जंगल में ढेर कर दिया गया, जबकि दो युवक भागने में सफल हो गए थे. एनकाउंटर में ढेर युवक की पहचान रणवीर निवासी बागपत के रूप में की गई थी. वहीं, लंबी कानूनी लड़ाई और सच्चाई को उजागर करने के बाद 17 पुलिसकर्मियों को फर्जी एनकाउंटर के आरोप में जेल भेज दिया गया.

देहरादूनः रणवीर फर्जी एनकाउंटर केस (Ranveer Fake Encounter Case) में आज उत्तराखंड पुलिस के पांच जवानों को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. साल 2009 में इन पुलिसकर्मियों ने 22 साल के एमबीए छात्र की फर्जी एनकाउंटर में जान ले ली थी. वहीं, इस फर्जी एनकाउंटर में मरने वाले एमबीए का छात्र रणवीर बागपत का रहने वाला था, जो देहरादून में नौकरी की तलाश में आया था. वहीं, रणवीर फर्जी एनकाउंटर केस में आज सुप्रीम कोर्ट से जिन पांच पुलिसकर्मियों को जमानत मिली है. उनके नाम जीडी भट्ट, अजीत सिंह, एसके जायसवाल, नितिन चौहान और नीरज कुमार है.

बता दें कि इस मामले में ये सभी दोषी अब तक 11 साल से अधिक समय जेल में बिता चुके हैं. उम्र कैद के खिलाफ इन पांचों पुलिसकर्मियों की अपील 2019 से सुप्रीम कोर्ट में लंबित थी. इस केस में साल 2018 में हाई कोर्ट ने कुल 7 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा दी थी. जिनमें से राजेश बिष्ट और चंद्र मोहन को पहले ही जमानत मिल चुकी थी. ऐसे में शुक्रवार 25 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में बाकी 5 पुलिसकर्मियों को भी जमानत मिल गई है. इस मामले में निचली अदालत ने 17 पुलिसवालों को दोषी ठहराया था. लेकिन हाईकोर्ट ने 10 पुलिसकर्मियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था.

ऐसे दिया था फर्जी एनकाउंटर को अंजाम: यूपी के बागपत जिले का रहने वाला 22 साल का एमबीए छात्र रणवीर सिंह 3 जुलाई 2009 को एक नौकरी के सिलसिले में देहरादून गया था. वहां उसने खुद पर बेवजह धौंस जमा रहे कुछ पुलिसवालों का विरोध किया था और पुलिसवाले उसे नजदीकी चौकी में ले गए थे. बाद में जंगल में उसे फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मार दिया गया था. इस एनकाउंटर में मारे गए रणवीर सिंह के माता-पिता ने सवाल उठाया था कि मृतक उनका बेटा था न कि कोई अपराधी. इसके बाद रणवीर सिंह के एनकाउंटर के बाद सामने आई पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पुलिस की सारी पोल पट्टी खोल दी थी. रणवीर के शरीर पर 28 से ज्यादा गहरे जख्म पाए गए थे.
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इस एनकाउंटर के बारे में पुलिस ने बताया था कि 3 जुलाई 2009 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल देहरादून आ रही थीं. ऐसे में पूरे इलाके में हाई अलर्ट घोषित था. शहर भर में नाकाबंदी की गई थी और चेकिंग की जा रही थी. चेकिंग के दौरान सर्कुलर रोड में मौजूद तत्कालीन आराघर चौकी इंचार्ज पीडी भट्ट एक मोटरसाइकिल पर आ रहे तीन युवकों को रोका, लेकिन तीनों युवकों ने चौकी इंचार्ज पर हमला कर उनकी पिस्टल छीन लिया.

पुलिस ने बताया कि घटना से दो घंटे बाद इस अपराध में शामिल एक युवक को लाडपुर के जंगल में ढेर कर दिया गया, जबकि दो युवक भागने में सफल हो गए थे. एनकाउंटर में ढेर युवक की पहचान रणवीर निवासी बागपत के रूप में की गई थी. वहीं, लंबी कानूनी लड़ाई और सच्चाई को उजागर करने के बाद 17 पुलिसकर्मियों को फर्जी एनकाउंटर के आरोप में जेल भेज दिया गया.

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