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उत्तराखंड सचिवालय संघ चुनाव में सुनील लखेड़ा का परचम, ढोल नगाड़े की थाप पर मनाया जश्न - जीतराम पैन्यूली उपाध्यक्ष सचिवालय

उत्तराखंड सचिवालय में अमूमन कर्मचारियों के हाथों में फाइलें ही दिखाई देती हैं, लेकिन आज का नजारा आम दिनों से अलग था. सचिवालय में फाइल छोड़ कर्मचारी ढोल नगाड़ों की थाप पर थिरकते नजर आए. दरअसल. उत्तराखंड सचिवालय संघ का चुनाव परिणाम आते ही सचिवालय अलग रंग में दिखने लगा. यहां कर्मचारी गुलाल लेकर मस्त माहौल में घुल मिल गए.

Uttarakhand Secretariat Association
उत्तराखंड सचिवालय संघ चुनाव
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Published : Jul 31, 2023, 8:35 PM IST

सचिवालय संघ चुनाव में सुनील लखेड़ा का परचम

देहरादूनः उत्तराखंड सचिवालय संघ के चुनाव में आज दिनभर गहमागहमी रही. शाम करीब 4 बजे तक मतदान प्रक्रिया को पूरा किया गया. इसके बाद ठीक 4:30 बजे से मतगणना की प्रक्रिया शुरू हुई. एक तरफ अध्यक्ष, महासचिव, संयुक्त सचिव और कोषाध्यक्ष जैसे पदों के लिए मतदान हो रहा था, लेकिन सभी की नजरें अध्यक्ष पद को लेकर थी. ऐसा इसलिए क्योंकि सबसे कड़ा मुकाबला किसी पद के लिए माना जा रहा था.

Uttarakhand Secretariat Union Election
महासचिव राकेश जोशी

इस पद पर लगातार तीन बार से जीत दर्ज करा रहे दीपक जोशी एक बार के अध्यक्ष पद की रेस में सबसे आगे दिखाई दे रहे थे, लेकिन परिणाम आते ही सब कुछ बदल गया. अध्यक्ष पद पर पहली बार चुनाव लड़ रहे सुनील लखेड़ा ने दीपक जोशी को हरा दिया और सचिवालय संघ के अध्यक्ष बन गए. वहीं, उपाध्यक्ष पद पर निर्विरोध जीतराम पैन्यूली चयनित हुए. जबकि, महत्वपूर्ण महासचिव पद पर राकेश जोशी ने चुनाव जीता. उन्होंने निवर्तमान महासचिव विमल जोशी को हराया.

Uttarakhand Secretariat Union Election
नवनिर्वाचित अध्यक्ष सुनील लखेड़ा

दीपक जोशी की हार की वजहः उत्तराखंड सचिवालय संघ में लगातार तीन बार तक अध्यक्ष पद पर जीत हासिल करने वाले दीपक जोशी के हारने के पीछे कई वजह मानी जा रही है. हालांकि, चुनाव से ठीक पहले ही सचिवालय संघ के प्रयासों से ही सचिवालय में 35% सचिवालय भत्ता बढ़ाया गया था. इससे पहले सचिवालय कर्मियों को 50% सचिवालय भत्ता मिलता था, लेकिन इस बढ़ोतरी के बाद अब उन्हें 85% सचिवालय भत्ता मिल जाएगा.

Uttarakhand Secretariat Union Election
निर्विरोध उपाध्यक्ष जीतराम पैन्यूली
ये भी पढ़ेंः दीपक जोशी ने ACS राधा रतूड़ी के खिलाफ खोला मोर्चा, अब 8 IAS अधिकारियों के गलत प्रमोशन का लगाया आरोप

चुनाव से ठीक पहले शासन के इस आदेश के बाद यह माना जा रहा था कि दीपक जोशी इससे और मजबूत होकर निकलेंगे, लेकिन शायद इस बार सचिवालय कर्मचारियों ने बदलाव का मन बना लिया था. दीपक जोशी ने इससे पहले प्रमोशन में आरक्षण के खिलाफ भी आंदोलन छेड़ा था, जो प्रदेशव्यापी आंदोलन बना था और इसके चलते भी उन्होंने राज्य भर में काफी ख्याति पाई थी.

अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के खिलाफ खोला था मोर्चाः दीपक जोशी आक्रामक राजनीति करने वाले कर्मचारी नेता हैं. उन्होंने अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया था. उन्होंने कई आरोप भी मढ़े. एक तरफ दीपक जोशी लगातार तीन बारी से अध्यक्ष का चुनाव जीत रहे थे. इसलिए उनके खिलाफ एक माहौल भी सचिवालय में बन रहा था और किसी नए प्रत्याशी को मौका देने की इच्छा कर्मचारियों में दिखाई दे रही थी.
ये भी पढ़ेंः ..तो क्या गलत निर्णय लेती हैं राधा रतूड़ी? सचिवालय संघ ने ACS के खिलाफ खोला मोर्चा, लगाए गंभीर आरोप

उधर, सचिवालय में बड़े अधिकारी भी दीपक जोशी की आक्रामक राजनीति के कारण उनकी पसंद नहीं थे और इसका भी उन्हें खामियाजा उठाना पड़ा. दीपक जोशी ने क्योंकि सचिवालय से बाहर राज्यभर के कर्मचारियों की भी राजनीति करनी शुरू कर दी थी तो भी वर्तमान विवादों में आ गए थे और यही विवाद उनके खिलाफ चुनाव में दिखाई दिए.

उधर, दूसरी तरफ पहली बार अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने वाले सुनील लखेड़ा ने अपनी साफ छवि का हवाला दिया. उन्होंने सचिवालय की राजनीति सचिवालय तक ही करने और राजनीति से हटकर कर्मचारियों की समस्याओं का हल निकालने का भरोसा दिलाकर लोगों का वोट पाने में कामयाबी हासिल की.
ये भी पढ़ेंः सतह पर आई कर्मचारी संगठनों की वर्चस्व की लड़ाई, फ्रंटफुट पर आया सचिवालय संघ

सचिवालय संघ चुनाव में सुनील लखेड़ा का परचम

देहरादूनः उत्तराखंड सचिवालय संघ के चुनाव में आज दिनभर गहमागहमी रही. शाम करीब 4 बजे तक मतदान प्रक्रिया को पूरा किया गया. इसके बाद ठीक 4:30 बजे से मतगणना की प्रक्रिया शुरू हुई. एक तरफ अध्यक्ष, महासचिव, संयुक्त सचिव और कोषाध्यक्ष जैसे पदों के लिए मतदान हो रहा था, लेकिन सभी की नजरें अध्यक्ष पद को लेकर थी. ऐसा इसलिए क्योंकि सबसे कड़ा मुकाबला किसी पद के लिए माना जा रहा था.

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महासचिव राकेश जोशी

इस पद पर लगातार तीन बार से जीत दर्ज करा रहे दीपक जोशी एक बार के अध्यक्ष पद की रेस में सबसे आगे दिखाई दे रहे थे, लेकिन परिणाम आते ही सब कुछ बदल गया. अध्यक्ष पद पर पहली बार चुनाव लड़ रहे सुनील लखेड़ा ने दीपक जोशी को हरा दिया और सचिवालय संघ के अध्यक्ष बन गए. वहीं, उपाध्यक्ष पद पर निर्विरोध जीतराम पैन्यूली चयनित हुए. जबकि, महत्वपूर्ण महासचिव पद पर राकेश जोशी ने चुनाव जीता. उन्होंने निवर्तमान महासचिव विमल जोशी को हराया.

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नवनिर्वाचित अध्यक्ष सुनील लखेड़ा

दीपक जोशी की हार की वजहः उत्तराखंड सचिवालय संघ में लगातार तीन बार तक अध्यक्ष पद पर जीत हासिल करने वाले दीपक जोशी के हारने के पीछे कई वजह मानी जा रही है. हालांकि, चुनाव से ठीक पहले ही सचिवालय संघ के प्रयासों से ही सचिवालय में 35% सचिवालय भत्ता बढ़ाया गया था. इससे पहले सचिवालय कर्मियों को 50% सचिवालय भत्ता मिलता था, लेकिन इस बढ़ोतरी के बाद अब उन्हें 85% सचिवालय भत्ता मिल जाएगा.

Uttarakhand Secretariat Union Election
निर्विरोध उपाध्यक्ष जीतराम पैन्यूली
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चुनाव से ठीक पहले शासन के इस आदेश के बाद यह माना जा रहा था कि दीपक जोशी इससे और मजबूत होकर निकलेंगे, लेकिन शायद इस बार सचिवालय कर्मचारियों ने बदलाव का मन बना लिया था. दीपक जोशी ने इससे पहले प्रमोशन में आरक्षण के खिलाफ भी आंदोलन छेड़ा था, जो प्रदेशव्यापी आंदोलन बना था और इसके चलते भी उन्होंने राज्य भर में काफी ख्याति पाई थी.

अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के खिलाफ खोला था मोर्चाः दीपक जोशी आक्रामक राजनीति करने वाले कर्मचारी नेता हैं. उन्होंने अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया था. उन्होंने कई आरोप भी मढ़े. एक तरफ दीपक जोशी लगातार तीन बारी से अध्यक्ष का चुनाव जीत रहे थे. इसलिए उनके खिलाफ एक माहौल भी सचिवालय में बन रहा था और किसी नए प्रत्याशी को मौका देने की इच्छा कर्मचारियों में दिखाई दे रही थी.
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उधर, सचिवालय में बड़े अधिकारी भी दीपक जोशी की आक्रामक राजनीति के कारण उनकी पसंद नहीं थे और इसका भी उन्हें खामियाजा उठाना पड़ा. दीपक जोशी ने क्योंकि सचिवालय से बाहर राज्यभर के कर्मचारियों की भी राजनीति करनी शुरू कर दी थी तो भी वर्तमान विवादों में आ गए थे और यही विवाद उनके खिलाफ चुनाव में दिखाई दिए.

उधर, दूसरी तरफ पहली बार अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने वाले सुनील लखेड़ा ने अपनी साफ छवि का हवाला दिया. उन्होंने सचिवालय की राजनीति सचिवालय तक ही करने और राजनीति से हटकर कर्मचारियों की समस्याओं का हल निकालने का भरोसा दिलाकर लोगों का वोट पाने में कामयाबी हासिल की.
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