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उत्तराखंड में 2 लाख बच्चों को नहीं मिली स्कूल ड्रेस और किताबें, अकाउंट में गए पैसे को बैंकों ने काटा - स्कूली छात्र

योजना के तहत बच्चों के खाते में ड्रेस व किताबों का पैसा सीधे भेजा जाना था. विभागीय जांच में यह बात सामने आयी है कि कुछ जनपदों में बच्चों के खाते नहीं खुले, जहां खाते खुले वहां कुछ बच्चों के खाता नंबर ठीक नहीं थे.

फाइल फोटो
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Published : Jul 20, 2019, 1:39 PM IST

देहरादून: प्रदेश के स्कूलों में नया सेशन शुरू हुए 20 दिनों से ज्यादा का वक्त हो चुका है, लेकिन दो लाख से ज्यादा छात्रों को विभागीय लापरवाही के चलते किताबें और ड्रेस नहीं मिल पा रही हैं. विभागीय जांच में इस मामले का खुलासा हुआ. मामला संज्ञान में आने के बाद जिलाधिकारियों को स्थिति पर आगे की कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं.

शिक्षा के क्षेत्र में यू तो कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन योजनाओं पर ठीक से अमल नहीं हो पा रहा है. यह बात शिक्षा विभाग में समग्र शिक्षा अभियान के तहत मुफ्त स्कूल ड्रेस और किताबें दिए जाने में हो रही लापरवाही से साफ उजागर होती है.

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विभागीय जांच में सामने आया है कि प्रदेश के दो लाख से ज्यादा नौनिहालों को न तो अब तक किताबें दी जा सकी हैं और न ही स्कूल ड्रेस.

दरअसल, प्रदेश में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजना के तहत छात्रों के अकाउंट में स्कूल ड्रेस और किताबों के लिए सीधा पैसा पहुंचाया जाता है, लेकिन विभागीय जांच में सामने आया है कि 2 लाख से ज्यादा बच्चों के अकाउंट में यह धनराशि अब तक नहीं पहुंच पाई है.

कई जगहों पर बच्चों का अकाउंट खुलवाना है, तो कुछ स्थानों पर खाता नंबर गलत होने के कारण पैसे ट्रांसफर नहीं हो पाया. कुछ मामलों में अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस न होने के कारण बैंकों ने ट्रांसफर की गई धनराशि को ही काट दिया.

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शिक्षा व्यवस्था को सुधारने की बात करने वाले अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि मामले का संज्ञान शिक्षा सचिव तक होने के बावजूद इसका समाधान नहीं किया गया. इससे साफ है कि शासन से लेकर शिक्षा विभाग तक के अधिकारी शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए गंभीर नहीं है.

देहरादून: प्रदेश के स्कूलों में नया सेशन शुरू हुए 20 दिनों से ज्यादा का वक्त हो चुका है, लेकिन दो लाख से ज्यादा छात्रों को विभागीय लापरवाही के चलते किताबें और ड्रेस नहीं मिल पा रही हैं. विभागीय जांच में इस मामले का खुलासा हुआ. मामला संज्ञान में आने के बाद जिलाधिकारियों को स्थिति पर आगे की कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं.

शिक्षा के क्षेत्र में यू तो कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन योजनाओं पर ठीक से अमल नहीं हो पा रहा है. यह बात शिक्षा विभाग में समग्र शिक्षा अभियान के तहत मुफ्त स्कूल ड्रेस और किताबें दिए जाने में हो रही लापरवाही से साफ उजागर होती है.

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विभागीय जांच में सामने आया है कि प्रदेश के दो लाख से ज्यादा नौनिहालों को न तो अब तक किताबें दी जा सकी हैं और न ही स्कूल ड्रेस.

दरअसल, प्रदेश में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजना के तहत छात्रों के अकाउंट में स्कूल ड्रेस और किताबों के लिए सीधा पैसा पहुंचाया जाता है, लेकिन विभागीय जांच में सामने आया है कि 2 लाख से ज्यादा बच्चों के अकाउंट में यह धनराशि अब तक नहीं पहुंच पाई है.

कई जगहों पर बच्चों का अकाउंट खुलवाना है, तो कुछ स्थानों पर खाता नंबर गलत होने के कारण पैसे ट्रांसफर नहीं हो पाया. कुछ मामलों में अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस न होने के कारण बैंकों ने ट्रांसफर की गई धनराशि को ही काट दिया.

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शिक्षा व्यवस्था को सुधारने की बात करने वाले अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि मामले का संज्ञान शिक्षा सचिव तक होने के बावजूद इसका समाधान नहीं किया गया. इससे साफ है कि शासन से लेकर शिक्षा विभाग तक के अधिकारी शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए गंभीर नहीं है.

Intro:summary- शिक्षा विभाग में दो लाख से ज्यादा छात्रों को विभागीय लापरवाही के चलते किताबें और ड्रेस नहीं मिल पा रही है.. मामला विभागीय स्तर पर जांच के बाद सामने आया है..

प्रदेश के स्कूलों में नया सेशन शुरू हुए इतना समय होने के बावजूद भी कई छात्रों को किताबें और ड्रेस अब तक नहीं मिल पाई है... मामला संज्ञान में आने के बाद जिलाधिकारियों को स्थिति पर आगे की कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं...


Body:शिक्षा के क्षेत्र में यू तो कई योजनाएं चलाई जा रही है लेकिन योजनाओं पर ठीक से अमल नहीं हो पा रहा है यह बात शिक्षा विभाग में समग्र शिक्षा अभियान के तहत मुफ्त स्कूल ड्रेस और किताबें दिए जाने मैं हो रही लापरवाही से साफ उजागर होती है। विभागीय जांच के बाद यह साफ हुआ है कि प्रदेश के 200000 से ज्यादा नौनिहालों को ना तो अब तक किताबें दी जा सकी है और ना ही स्कूल ड्रेस।। दरअसल प्रदेश में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजना के तहत छात्रों के अकाउंट में स्कूल ड्रेस और किताबों के लिए सीधा पैसा पहुंचाया जाता है लेकिन विभागीय जांच के बाद सामने आया है कि 200000 से ज्यादा बच्चों के अकाउंट में यह धनराशि अब तक नहीं पहुंच पाई है। अजय को जड़ों पर बच्चों के अकाउंट खुलवाना है तो कई जगह खाता नंबर ठीक नहीं होने से पैसा ट्रांसफर नहीं हो पाया है इसी तरह कुछ अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस न होने के कारण बैंकों ने ट्रांसफर की गई धनराशि को ही काट दिया है।


Conclusion:शिक्षा व्यवस्था को सुधारने की बात करने वाले अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि मामले का संज्ञान शिक्षा सचिव तक होने के बावजूद इसका समाधान नहीं किया गया इससे साफ है कि शासन से लेकर शिक्षा विभाग तक के अधिकारी शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए गंभीर नहीं है।
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