देहरादून: प्रदेश में इंजीनियरिंग सेक्टर में छात्रों की रुचि कम होने लगी हैं. हैरानी की बात तो यह हैं कि इसका असर अब पूरे देश में दिखाई देने लगा हैं. इंजीनियरिंग के क्षेत्र में देशभर में जहां 33 फीसदी गिरावट देखी जा रही है. वहीं, उत्तराखंड राज्य में भी इसकी स्थिति अच्छी नही हैं और प्रदेश में इंजीनियरिंग सेक्टर हालात डामाडोल ही नजर आ रहे हैं. ऐसे में दिनों-दिन घटते इंजीनियरिंग सेक्टर के ग्राफ को बढ़ाना सरकारी तंत्र के लिए एक पहाड़ जैसी बड़ी चुनौती बन गया है.
उत्तराखंड राज्य में भी अब इंजीनियरिंग के बेहतर परिणाम नहीं निकल पा रहा है. नतीजन इस क्षेत्र में छात्रों का कम रुझाान देखा जा रहा है. अब हर साल सीटें भी खाली होती जा रही है, जिस पर अब चिंता जताई जा रही है.
जानकारों की मानें तो इंडस्ट्री के अनुसार छात्र तैयार नहीं हो पा रहे हैं. जिसके कारण अब इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम में बदलाव करने की बात भी सामने आने लगी है. महज दो साल पहले तक 8 लाख छात्रों ने इंजीनियरिंग की, लेकिन उनमें से केवल 3 लाख युवा ही नौकरी पा सके है. कम डिमांड और नौकरियां न मिल पाने के कारण अब आईटीईआई सेक्टरों में यह चिंताजनक बात हो चुकी है. जिसके कारण पाठ्यक्रम में बदलाव के साथ ही अब इंजीनियरिंग में कई डिप्लोमा कोर्सों को शामिल करने की कवायद चल रही है.
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एक तरफ इंजीनियरिंग के क्षेत्र में युवाओं का क्रेज कम होना जहां अब चिंता का विषय बन गया है. वहीं, दूसरी तरफ छात्रों को ज्यादा से ज्यादा नौकरियां दिलाने के लिए कई कवायद शुरू की जाने लगी है. जिसमें पाठ्यक्रम में बदलाव करने से लेकर आधुनिक कोर्सों को इंजीनियरिंग में जोड़ना शामिल है. हालांकि, इससे कितना फायदा इंजीनियरिंग क्षेत्र को मिलेगा कुछ कह पाना मुश्किल है.