विकासनगर: जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र सरकार की उपेक्षा का शिकार हो रहा है, जिसका असर यहां के हजारों युवाओं पर पड़ रहा है. दरअसल, जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र में कालसी और चकराता के इंटर कॉलेजों में कृषि विज्ञान विषय नहीं होने से इस विषय में रुचि रखने वाले छात्रों को इस विषय का लाभ नहीं मिल पा रहा है जबकि, जौनसार बावर समूचा क्षेत्र कृषि प्रधान क्षेत्र है.
जौनसार बावर क्षेत्र का खेती-किसानी, पशुपालन और बागवानी मुख्य व्यवसाय है. इसके बावजूद यह क्षेत्र हमेशा से ही सरकार और जनप्रतिनिधों के उपेक्षा का शिकार रहा है. उत्तराखंड बने 20 साल का समय बीत चुका है और यही कारण है कि चकराता और कालसी तहसील में अभी तक कृषि विज्ञान का विषय 10वीं और 12वीं के पाठ्यक्रम में शामिल नहीं किया है.
यहां के छात्रों का कहना है कि उनको कृषि विज्ञान विषय में रुचि है, लेकिन उनके कॉलेज में कृषि विज्ञान नहीं होने से मायूस होना पड़ रहा है. जिस कारण 12वीं के बाद बीएससी एग्रीकल्चर से नहीं कर पाएंगे. छात्रों का कहना है कि हमारे कॉलेज मेंं कृषि विज्ञान विषय पढ़ाया जाना चाहिए, जिससे वो अपना भविष्य कृषि विज्ञान के क्षेत्र में उज्ज्वल बना सकें.
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वहीं, राजकीय इंटर कॉलेज साहिया के प्रधानाचार्य चंद्रभूषण विश्वकर्मा ने बताया कि यह क्षेत्र कृषि प्रधान क्षेत्र है और इस क्षेत्र के किसी भी इंटर कॉलेज में कृषि विज्ञान नहीं हैं और न ही सरकार की ओर से इस विषय के लिए सरकार की ओर से पद स्वीकृत किया गया है. उन्होंने इस पहल के लिए ईटीवी भारत का शुक्रिया अदा करते हुए कहा है कि जौनसार बावर के इंटर कॉलेजों इस विषय की बहुत जरूरत है.
कालसी खंड शिक्षा विकास अधिकारी अतर सिंह चौहान ने फोन पर बताया कि कालसी और चकराता तहसील में 12वीं के पाठ्यक्रम में कृषि विज्ञान का विषय नहीं है. इसके स्थान पर छात्र को ऐच्छिक विषय ले सकते हैं. जिसमें संस्कृति और पर्यावरण विषय शामिल है. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि कालसी और चकराता में पर्यावरण विषय बंद कर दिया गया है.