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राष्ट्रीय चाय दिवस: भारतीयों का चाय प्रेम कहीं बन न जाए मुसीबत

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Published : Dec 14, 2020, 7:29 PM IST

Updated : Dec 15, 2020, 10:28 AM IST

भारत में सबसे अधिक चाय का उत्पादन होता है. जिसकी वजह से भारत के 75% से ज्यादा लोग अपने दिन की शुरुआत चाय के साथ करते हैं. हालांकि, भारतीयों में चाय के प्रति ये प्रेम एक बड़ी समस्या बनकर भी उभरा है.

राष्ट्रीय चाय दिवस
राष्ट्रीय चाय दिवस

देहरादून: विश्व भर में चाय का उत्पादन करने वाले देश हर साल 15 दिसंबर को राष्ट्रीय चाय दिवस मनाते हैं. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था में चाय के योगदान को लेकर लोगों को जागरूक करने के साथ ही चाय के उत्पादन और खपत को बढ़ावा देना है.

ज्यादा चाय है सेहत के लिए घातक.

बता दें कि भारत के 16 राज्यों में चाय के बागान मौजूद हैं. इंडियन टी बोर्ड के अनुसार असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल में देश की 95% चाय की पैदावार होती है. इसमें 701 मिलयन किलो ग्राम चाय के उत्पादन के साथ असम देश का सबसे बड़ा चाय उत्पादक प्रदेश है. वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चाय उत्पादन में सबसे पहले स्थान पर भारत का नाम आता है. वह दूसरे स्थान पर चीन है.

पढ़ें- प्रधानमंत्री मोदी से मिलने जाएंगे 'लालटेन मैन', पौड़ी से दिल्ली लोधी रोड तक करेंगे सफर

जानकारी के लिए बता दें कि भारत में सबसे अधिक चाय का उत्पादन होता है जिसकी वजह से भारत के 75% से ज्यादा लोग अपने दिन की शुरुआत चाय के साथ करते हैं. हालांकि, भारतीयों में चाय के प्रति ये प्रेम एक बड़ी समस्या बनकर भी उभरा है. ईटीवी भारत से बात करते हुए राजधानी देहरादून के जाने-माने गैस्ट्रो सर्जन डॉक्टर विपुल कंडवाल बताते हैं कि अत्यधिक चाय के सेवन के चलते देश में एसिडिटी और पेप्टिक अल्सर की समस्या एक आम बात हो चुकी है. ऐसे में जरूरत है कि लोग दिन भर में सिर्फ एक से दो बार ही चाय का सेवन करें क्योंकि चाय के अत्यधिक सेवन से शरीर में एसिड बनता है जिसकी वजह से पाचन संबंधी दिक्कतें शुरू होने लगती हैं.

क्या होता है पेप्टिक अल्सर?

पेप्टिक अल्सर एक प्रकार के घाव होते हैं, जो पेट की आहार नली और आंतों की अंदरूनी सतह पर विकसित होने लगते हैं. इसकी शुरुआत तब होने लगती है जब पेट में अत्यधिक अम्ल (एसिड) बनने लगता है. इसके पीछे की एक बड़ी वजह अत्यधिक चाय का सेवन और समय पर खाना न खाना है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए राजधानी देहरादून स्थित दून अस्पताल की डाइटिशियन डॉ रिचा कुकरेती बताती हैं कि लोगों को चाय की लत से आसानी से छुटकारा मिल सकता है, जरूरत इस बात की है कि लोग दृढ़ संकल्प रहें. डाइटिशियन डॉक्टर कुकरेती के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति चाय की लत छोड़ना चाहता है तो वह चाय के स्थान पर कई अन्य पेय पदार्थों का सेवन कर सकता है. इसमें हर्बल टी ग्रीन टी, वेजिटेबल सुप इत्यादि शामिल हैं. इसके अलावा जब कभी भी आपको चाय पीने का अत्यधिक मन हो तो आप इस बात का ख्याल जरूर रखें कि आप चाय के साथ बिस्किट, या फिर कोई अन्य चीज जरूर खाएं. जहां तक हो सके फीकी चाय का गुड़ के साथ सेवन करें, क्योंकि गुड़ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी मदद करता है.

देहरादून: विश्व भर में चाय का उत्पादन करने वाले देश हर साल 15 दिसंबर को राष्ट्रीय चाय दिवस मनाते हैं. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था में चाय के योगदान को लेकर लोगों को जागरूक करने के साथ ही चाय के उत्पादन और खपत को बढ़ावा देना है.

ज्यादा चाय है सेहत के लिए घातक.

बता दें कि भारत के 16 राज्यों में चाय के बागान मौजूद हैं. इंडियन टी बोर्ड के अनुसार असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल में देश की 95% चाय की पैदावार होती है. इसमें 701 मिलयन किलो ग्राम चाय के उत्पादन के साथ असम देश का सबसे बड़ा चाय उत्पादक प्रदेश है. वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चाय उत्पादन में सबसे पहले स्थान पर भारत का नाम आता है. वह दूसरे स्थान पर चीन है.

पढ़ें- प्रधानमंत्री मोदी से मिलने जाएंगे 'लालटेन मैन', पौड़ी से दिल्ली लोधी रोड तक करेंगे सफर

जानकारी के लिए बता दें कि भारत में सबसे अधिक चाय का उत्पादन होता है जिसकी वजह से भारत के 75% से ज्यादा लोग अपने दिन की शुरुआत चाय के साथ करते हैं. हालांकि, भारतीयों में चाय के प्रति ये प्रेम एक बड़ी समस्या बनकर भी उभरा है. ईटीवी भारत से बात करते हुए राजधानी देहरादून के जाने-माने गैस्ट्रो सर्जन डॉक्टर विपुल कंडवाल बताते हैं कि अत्यधिक चाय के सेवन के चलते देश में एसिडिटी और पेप्टिक अल्सर की समस्या एक आम बात हो चुकी है. ऐसे में जरूरत है कि लोग दिन भर में सिर्फ एक से दो बार ही चाय का सेवन करें क्योंकि चाय के अत्यधिक सेवन से शरीर में एसिड बनता है जिसकी वजह से पाचन संबंधी दिक्कतें शुरू होने लगती हैं.

क्या होता है पेप्टिक अल्सर?

पेप्टिक अल्सर एक प्रकार के घाव होते हैं, जो पेट की आहार नली और आंतों की अंदरूनी सतह पर विकसित होने लगते हैं. इसकी शुरुआत तब होने लगती है जब पेट में अत्यधिक अम्ल (एसिड) बनने लगता है. इसके पीछे की एक बड़ी वजह अत्यधिक चाय का सेवन और समय पर खाना न खाना है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए राजधानी देहरादून स्थित दून अस्पताल की डाइटिशियन डॉ रिचा कुकरेती बताती हैं कि लोगों को चाय की लत से आसानी से छुटकारा मिल सकता है, जरूरत इस बात की है कि लोग दृढ़ संकल्प रहें. डाइटिशियन डॉक्टर कुकरेती के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति चाय की लत छोड़ना चाहता है तो वह चाय के स्थान पर कई अन्य पेय पदार्थों का सेवन कर सकता है. इसमें हर्बल टी ग्रीन टी, वेजिटेबल सुप इत्यादि शामिल हैं. इसके अलावा जब कभी भी आपको चाय पीने का अत्यधिक मन हो तो आप इस बात का ख्याल जरूर रखें कि आप चाय के साथ बिस्किट, या फिर कोई अन्य चीज जरूर खाएं. जहां तक हो सके फीकी चाय का गुड़ के साथ सेवन करें, क्योंकि गुड़ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी मदद करता है.

Last Updated : Dec 15, 2020, 10:28 AM IST
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