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श्रीराम और माता सीता से जुड़ी है इस झरने की कहानी, ये है पौराणिक कथा

रायगढ़ के भूपदेवपुर में भगवान राम से जुड़ी कई मान्यताए है. लोगों का ऐसा मानना है कि भगवान राम ने मां सीता की प्यास बुझाने के लिए बाण चलाया था जिससे राम झरना उद्गम हुआ.

Raigadh
श्रीराम और माता सीता से जुड़ी है इस रामझरने का कहानी.
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Published : Dec 2, 2019, 8:48 AM IST

Updated : Dec 2, 2019, 9:05 AM IST

रायगढ़ : वन परिक्षेत्र में स्थित राम झरना प्रशासन की अनदेखी के कारण अपने अस्तित्व खोने की कगार पर है. राम झरने को लेकर मान्यता है कि भगवान राम ने 14 वर्ष के वनवास का कुछ समय रायगढ़ जिले के भूपदेवपुर अंतर्गत इसी वन परिक्षेत्र में बिताया था.

श्रीराम और माता सीता से जुड़ी है इस रामझरने का कहानी.

जब वनवास काल के दौरान घने वन के बीच सीता माता को प्यास लगी थी तब दूर-दूर भटकने के बावजूद भी उन्हें पानी नहीं मिला इसलिए भगवान राम ने बाण चलाया, जिससे पहाड़ से पानी निकलने लगा. उस पानी से माता सीता ने अपनी प्यास बुझाई और आशीर्वाद दिया कि वह हमेशा लोगों और जीव-जंतुओं का प्यास बुझाते रहे.

पढ़ें-

इसीलिए झरने से पानी लगातार निकल रहा है. इस वजह से झरने का नाम राम झरना पड़ा, लेकिन प्रशासन की अनदेखी से राम झरना सिमटता जा रहा है और अब एक नाली के आकार में ही बचा है. सिर्फ पर्यटकों के प्रवेश शुल्क से इस झरने की देखरेख और सौंदर्यीकरण किया जा रहा है.

ये है मान्यता
राम झरना को लेकर इतिहासकार और स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां श्रीराम के आने के सबूत है, इसलिए इस बात से नकारा नहीं जा सकता. स्थानीय राजेश जैन बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही सपना आता है कि उनके पूर्वज इस जगह को राम शर्मा के नाम से ही जानते हैं. धीरे-धीरे आधुनिकीकरण और प्रशासन की अनदेखी से इसका अस्तित्व खत्म होते जा रहा है. यहां पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए बैठने तक तक की जगह नहीं है. यहां पहुंचने के लिए भी किसी तरह की व्यस्वस्था नहीं है. ये झरना राम भरोसे ही चल रहा है.

धरमजयगढ़ में पड़े भगवान राम के कदम
जिले के शासकीय महाविद्यालय के प्रोफेसर और इतिहास के जानकार एसपी मेहरा बताते हैं कि श्रीराम के वनवास काल का कुछ समय यही बीता है. क्योंकि जब राम अयोध्या से वनवास के लिए निकले थे तब वे रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ मांड नदी से होकर चंद्रपुर के महानदी तक पहुंचे थे. इसी बीच में भूपदेवपुर का राम झरना स्थित है.

ऐसी जगह से पानी निकलना आश्चर्य
तीर चला कर पानी निकालने की बात पर मेहरा ने कहा कि ऐसी जगह से पानी निकलना अपने आप में एक आश्चर्य है. अगर पहाड़ के सीने से पानी निकल रहा है तो जरूर माना जा सकता है कि भगवान राम ने अपने तीर से ही उस जगह पर चमत्कार किया होगा. शायद इसी वजह से उस जगह का नाम राम झरना पड़ा.

राम झरना का अस्तित्व
बता दें कि जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर यह पर्यटन स्थल है. जिले के ज्यादातर लोग छुट्टियों के दिन इस शांत जगह पर अपना समय बिताना पसंद करते हैं. अगर ऐसे में प्रशासन राम झरना को नहीं संवार पाएगा तो झरना केवल इतिहास बनकर रह जाएगा.

रायगढ़ : वन परिक्षेत्र में स्थित राम झरना प्रशासन की अनदेखी के कारण अपने अस्तित्व खोने की कगार पर है. राम झरने को लेकर मान्यता है कि भगवान राम ने 14 वर्ष के वनवास का कुछ समय रायगढ़ जिले के भूपदेवपुर अंतर्गत इसी वन परिक्षेत्र में बिताया था.

श्रीराम और माता सीता से जुड़ी है इस रामझरने का कहानी.

जब वनवास काल के दौरान घने वन के बीच सीता माता को प्यास लगी थी तब दूर-दूर भटकने के बावजूद भी उन्हें पानी नहीं मिला इसलिए भगवान राम ने बाण चलाया, जिससे पहाड़ से पानी निकलने लगा. उस पानी से माता सीता ने अपनी प्यास बुझाई और आशीर्वाद दिया कि वह हमेशा लोगों और जीव-जंतुओं का प्यास बुझाते रहे.

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इसीलिए झरने से पानी लगातार निकल रहा है. इस वजह से झरने का नाम राम झरना पड़ा, लेकिन प्रशासन की अनदेखी से राम झरना सिमटता जा रहा है और अब एक नाली के आकार में ही बचा है. सिर्फ पर्यटकों के प्रवेश शुल्क से इस झरने की देखरेख और सौंदर्यीकरण किया जा रहा है.

ये है मान्यता
राम झरना को लेकर इतिहासकार और स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां श्रीराम के आने के सबूत है, इसलिए इस बात से नकारा नहीं जा सकता. स्थानीय राजेश जैन बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही सपना आता है कि उनके पूर्वज इस जगह को राम शर्मा के नाम से ही जानते हैं. धीरे-धीरे आधुनिकीकरण और प्रशासन की अनदेखी से इसका अस्तित्व खत्म होते जा रहा है. यहां पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए बैठने तक तक की जगह नहीं है. यहां पहुंचने के लिए भी किसी तरह की व्यस्वस्था नहीं है. ये झरना राम भरोसे ही चल रहा है.

धरमजयगढ़ में पड़े भगवान राम के कदम
जिले के शासकीय महाविद्यालय के प्रोफेसर और इतिहास के जानकार एसपी मेहरा बताते हैं कि श्रीराम के वनवास काल का कुछ समय यही बीता है. क्योंकि जब राम अयोध्या से वनवास के लिए निकले थे तब वे रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ मांड नदी से होकर चंद्रपुर के महानदी तक पहुंचे थे. इसी बीच में भूपदेवपुर का राम झरना स्थित है.

ऐसी जगह से पानी निकलना आश्चर्य
तीर चला कर पानी निकालने की बात पर मेहरा ने कहा कि ऐसी जगह से पानी निकलना अपने आप में एक आश्चर्य है. अगर पहाड़ के सीने से पानी निकल रहा है तो जरूर माना जा सकता है कि भगवान राम ने अपने तीर से ही उस जगह पर चमत्कार किया होगा. शायद इसी वजह से उस जगह का नाम राम झरना पड़ा.

राम झरना का अस्तित्व
बता दें कि जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर यह पर्यटन स्थल है. जिले के ज्यादातर लोग छुट्टियों के दिन इस शांत जगह पर अपना समय बिताना पसंद करते हैं. अगर ऐसे में प्रशासन राम झरना को नहीं संवार पाएगा तो झरना केवल इतिहास बनकर रह जाएगा.

Intro:रायगढ़ वन परिक्षेत्र में स्थित राम झरना प्रशासन की अनदेखी के कारण अपने अस्तित्व खोने की कगार पर आ गया है। दरअसल राम झरना को लेकर ऐसी मान्यता है कि भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास का कुछ समय रायगढ़ जिले के भूपदेवपुर अंतर्गत इसी वन परिक्षेत्र में बीता है। जब वनवास काल के दौरान घने वन के बीच सीता माता को प्यास लगी थी तब दूर-दूर भटकने के बावजूद भी पानी नहीं मिला। इसलिए भगवान राम ने अपने धनुष से धरती पर बाण चलाया जिसके कारण पहाड़ से पानी निकलने लग गया। उस पानी से सीता माता ने अपनी प्यास बुझाई और उस नदी को आशीर्वाद दिया कि वह हमेशा लोगों और जीव-जंतु के प्यास बुझाते रहे इसीलिए झरना से पानी लगातार निकल रहा है और श्री राम जी के कारण इसकी उत्पत्ति हुई इसीलिए इसे राम झरना का नाम दिया गया। अब यह तो हो गई पुरानी बातें। लेकिन अब प्रशासन की अनदेखी की वजह से राम झरना सिमटता जा रहा है और अब एक नाली के आकार में ही बचा हुआ है। पर्यटकों के आने से जो प्रवेश शुल्क लिया जाता है उसी से इसका देखरेख और तमाम तरह की व्यवस्था किया जाता है।


byte 01 राजेश जैन, स्थानीय
byte 02 एस पी मेहरा, प्रोफेसर, कला एवं विज्ञान महाविद्यालय


Body:राम झरना को लेकर इतिहासकार और स्थानीय लोगों में काफी समानता मिलती है सभी का कहना है यहां श्री राम जी के आने का सबूत मिलता है इस वजह से इस बात से नकारा नहीं जा सकता. स्थानीय राजेश जैन बताते हैं कि वे बचपन से ही सपना पर आ रहे हैं और उनके पूर्वज इस जगह को राम शर्मा के नाम से ही जानते हैं. शुरुआत में राम झरना की स्थिति वन क्षेत्र की तरह लगती थी लेकिन धीरे-धीरे आधुनिकीकरण और प्रशासन की अनदेखी से इसका अस्तित्व खो रहा है और वहां पहुंचने वाले लोगों के लिए बैठने तक के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है. न बैठने के लिए टेबल कुर्सी नाही वहां तक पहुंचने के लिए अच्छी सड़क नए सुरक्षा के लिए कोई वन कर्मी का जवान. राम झरना राम भरोसे ही चल रहा है।

जिले के शासकीय महाविद्यालय के प्रोफेसर और इतिहास के जानकार एस पी मेहरा बताते हैं कि राम जी के वनवास काल का कुछ समय यहां अवश्य बीता है। क्योंकि जब अयोध्या से वनवास के लिए निकले थे तब उनका मार्ग रायगढ़ जिले के धर्मजयगढ़ मांड नदी से होकर चंद्रपुर के महानदी तक पहुंचता है और इसी बीच में भूपदेवपुर का राम झरना स्थित है। धरती पर तीर चला कर पानी निकालने की बात को कहते हैं कि जहां पर धरती का मिट्टी मिलना मुश्किल होता है ऐसी जगह से पानी निकलना अपने आप में एक आश्चर्य की बात है अगर पहाड़ के सीने से पानी निकल रहा है तो जरूर माना जा सकता है कि भगवान राम ने अपने तीर से ही उस जगह पर यह चमत्कार किये होंगे। और शायद इसी वजह से उस जगह का नाम राम झरना पड़ा


Conclusion: राम झरना रायगढ़ के लिए एक बेहद ही अच्छा पर्यटक स्थल साबित हो सकता है अगर प्रशासन इसके ऊपर ध्यान दे तब। बता दें कि जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर ही यह पर्यटक स्थल बना हुआ है। जिले के ज्यादातर लोग अपनी छुट्टियों के दिन इस शांत जगह में व्यतीत करना पसंद करते हैं। अगर ऐसे में प्रशासन राम झरना के अस्तित्व को नहीं बचा कर रख पाएगा तब झरना केवल नाम मात्र के लिए ही राह जाएगा।
Last Updated : Dec 2, 2019, 9:05 AM IST
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