देहरादून: सूबे की राजधानी देहरादून न सिर्फ खुशनुमा आबोहवा बल्कि एजुकेशन हब के रूप में अपनी एक अलग पहचान रखता है. देहरादून में कई ऐसे नामी स्कूल और कॉलेज हैं, जहां देश-विदेश से छात्र-छात्राएं पढ़ने आते हैं. लेकिन आज शिक्षक दिवस के दिन ईटीवी भारत आपकों अनोखे क्लॉस के बारे में बताएगा, जहां क्लास किसी आलीशान कमरे में नहीं चलती, बल्कि फल-सब्जियों के ठेले पर चलती है.
देहरादून में वैसे तो कई स्कूल हैं, जहां अमीर घरों के बच्चे पढ़ते हैं. यहां बच्चों को हर तरह की सुविधा दी जाती है. लेकिन इससे अलग देहरादून का एक स्कूल ऐसा भी है जहां गरीबों परिवारों के बच्चे पढ़ते है. यहां फल-सब्जियों के ठेलों पर उनका भविष्य संवारा जाता है. उन्हें आगे बढ़ने की राह दिखाई जाती है.
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दून अस्पताल के पास नगर निगम कॉम्प्लेक्स में फल-सब्जी की ठेली पर बच्चों को पढ़ाया जाता है. यह बच्चे बेहद ही गरीब परिवारों से आते है. स्थिति कुछ यह है कि इनमें से कई बच्चे जहां सड़क पर भीख मांगने का काम करते हैं तो कई बच्चे कूड़ा करकट बीनने का काम. ऐसे में इन बच्चों को शिक्षित बनाने के लिए एक निजी संस्थान सराहनीय काम कर रही है. इन बच्चों को इस अनोखे स्कूल में प्राथमिक शिक्षा दी जा रही है.
समाजसेवी राखी बताती हैं कि इन बच्चों को पढ़ाने के लिए यहां तक लाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. दरअसल, पढ़ाई का महत्व न समझने की वजह से इन बच्चों के माता-पिता भी कई बार इन्हें पढ़ने भेजने के लिए राजी नहीं होते हैं. ऐसे में संस्था से जुड़े लोग सबसे पहले इन बच्चों के माता-पिता को पढ़ाई का महत्व समझाने का प्रयास करते हैं. इसके बाद ही माता-पिता राजी हो पाते हैं.
इस अनोखे क्लासरूम में बच्चों को संस्था की ओर से रोज दिन का खाना भी दिया जाता है. एक टाइम के खाने के लालच में भी कई गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ने पहुच जाते हैं.
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बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक बताते हैं कि यहां इन बच्चों को प्राथमिक शिक्षा दी जाती है. जिसमें अंग्रेजी के अक्षर और हिंदी वर्णमाला के साथ गणित भी पढ़ाया जाता है. इसके साथ ही बच्चों को यहां ड्राइंग और कई तरह की कविताएं भी सिखाई जाती हैं जो इन बच्चों को देश का सभ्य नागरिक बनाने की ओर एक कदम है.