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देहरादून में गरीब बच्चों के लिए चलाई जा रही है अनूठी पाठशाला, ठेले पर लगती है क्लास - उत्तराखंड न्यूज

इस अनोखे क्लासरूम में बच्चों को संस्था की ओर से रोज दिन का खाना भी दिया जाता है. एक टाइम के खाने के लालच में भी कई गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ने पहुंच जाते हैं.

अनूठी पाठशाला
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Published : Sep 5, 2019, 6:19 AM IST

Updated : Sep 5, 2019, 7:59 AM IST

देहरादून: सूबे की राजधानी देहरादून न सिर्फ खुशनुमा आबोहवा बल्कि एजुकेशन हब के रूप में अपनी एक अलग पहचान रखता है. देहरादून में कई ऐसे नामी स्कूल और कॉलेज हैं, जहां देश-विदेश से छात्र-छात्राएं पढ़ने आते हैं. लेकिन आज शिक्षक दिवस के दिन ईटीवी भारत आपकों अनोखे क्लॉस के बारे में बताएगा, जहां क्लास किसी आलीशान कमरे में नहीं चलती, बल्कि फल-सब्जियों के ठेले पर चलती है.

देहरादून में गरीब बच्चों की अनूठी पाठशाला

देहरादून में वैसे तो कई स्कूल हैं, जहां अमीर घरों के बच्चे पढ़ते हैं. यहां बच्चों को हर तरह की सुविधा दी जाती है. लेकिन इससे अलग देहरादून का एक स्कूल ऐसा भी है जहां गरीबों परिवारों के बच्चे पढ़ते है. यहां फल-सब्जियों के ठेलों पर उनका भविष्य संवारा जाता है. उन्हें आगे बढ़ने की राह दिखाई जाती है.

पढ़ें- देहरादून के जिला कारागार में भूख हड़ताल पर बैठा कैदी, ये है मांग

दून अस्पताल के पास नगर निगम कॉम्प्लेक्स में फल-सब्जी की ठेली पर बच्चों को पढ़ाया जाता है. यह बच्चे बेहद ही गरीब परिवारों से आते है. स्थिति कुछ यह है कि इनमें से कई बच्चे जहां सड़क पर भीख मांगने का काम करते हैं तो कई बच्चे कूड़ा करकट बीनने का काम. ऐसे में इन बच्चों को शिक्षित बनाने के लिए एक निजी संस्थान सराहनीय काम कर रही है. इन बच्चों को इस अनोखे स्कूल में प्राथमिक शिक्षा दी जा रही है.

समाजसेवी राखी बताती हैं कि इन बच्चों को पढ़ाने के लिए यहां तक लाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. दरअसल, पढ़ाई का महत्व न समझने की वजह से इन बच्चों के माता-पिता भी कई बार इन्हें पढ़ने भेजने के लिए राजी नहीं होते हैं. ऐसे में संस्था से जुड़े लोग सबसे पहले इन बच्चों के माता-पिता को पढ़ाई का महत्व समझाने का प्रयास करते हैं. इसके बाद ही माता-पिता राजी हो पाते हैं.

इस अनोखे क्लासरूम में बच्चों को संस्था की ओर से रोज दिन का खाना भी दिया जाता है. एक टाइम के खाने के लालच में भी कई गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ने पहुच जाते हैं.

पढ़ें- उत्तराखंड में गोद अभियान की शुरुआत, मुख्यमंत्री समेत कई लोगों ने बच्चों को लिया गोद

बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक बताते हैं कि यहां इन बच्चों को प्राथमिक शिक्षा दी जाती है. जिसमें अंग्रेजी के अक्षर और हिंदी वर्णमाला के साथ गणित भी पढ़ाया जाता है. इसके साथ ही बच्चों को यहां ड्राइंग और कई तरह की कविताएं भी सिखाई जाती हैं जो इन बच्चों को देश का सभ्य नागरिक बनाने की ओर एक कदम है.

देहरादून: सूबे की राजधानी देहरादून न सिर्फ खुशनुमा आबोहवा बल्कि एजुकेशन हब के रूप में अपनी एक अलग पहचान रखता है. देहरादून में कई ऐसे नामी स्कूल और कॉलेज हैं, जहां देश-विदेश से छात्र-छात्राएं पढ़ने आते हैं. लेकिन आज शिक्षक दिवस के दिन ईटीवी भारत आपकों अनोखे क्लॉस के बारे में बताएगा, जहां क्लास किसी आलीशान कमरे में नहीं चलती, बल्कि फल-सब्जियों के ठेले पर चलती है.

देहरादून में गरीब बच्चों की अनूठी पाठशाला

देहरादून में वैसे तो कई स्कूल हैं, जहां अमीर घरों के बच्चे पढ़ते हैं. यहां बच्चों को हर तरह की सुविधा दी जाती है. लेकिन इससे अलग देहरादून का एक स्कूल ऐसा भी है जहां गरीबों परिवारों के बच्चे पढ़ते है. यहां फल-सब्जियों के ठेलों पर उनका भविष्य संवारा जाता है. उन्हें आगे बढ़ने की राह दिखाई जाती है.

पढ़ें- देहरादून के जिला कारागार में भूख हड़ताल पर बैठा कैदी, ये है मांग

दून अस्पताल के पास नगर निगम कॉम्प्लेक्स में फल-सब्जी की ठेली पर बच्चों को पढ़ाया जाता है. यह बच्चे बेहद ही गरीब परिवारों से आते है. स्थिति कुछ यह है कि इनमें से कई बच्चे जहां सड़क पर भीख मांगने का काम करते हैं तो कई बच्चे कूड़ा करकट बीनने का काम. ऐसे में इन बच्चों को शिक्षित बनाने के लिए एक निजी संस्थान सराहनीय काम कर रही है. इन बच्चों को इस अनोखे स्कूल में प्राथमिक शिक्षा दी जा रही है.

समाजसेवी राखी बताती हैं कि इन बच्चों को पढ़ाने के लिए यहां तक लाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. दरअसल, पढ़ाई का महत्व न समझने की वजह से इन बच्चों के माता-पिता भी कई बार इन्हें पढ़ने भेजने के लिए राजी नहीं होते हैं. ऐसे में संस्था से जुड़े लोग सबसे पहले इन बच्चों के माता-पिता को पढ़ाई का महत्व समझाने का प्रयास करते हैं. इसके बाद ही माता-पिता राजी हो पाते हैं.

इस अनोखे क्लासरूम में बच्चों को संस्था की ओर से रोज दिन का खाना भी दिया जाता है. एक टाइम के खाने के लालच में भी कई गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ने पहुच जाते हैं.

पढ़ें- उत्तराखंड में गोद अभियान की शुरुआत, मुख्यमंत्री समेत कई लोगों ने बच्चों को लिया गोद

बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक बताते हैं कि यहां इन बच्चों को प्राथमिक शिक्षा दी जाती है. जिसमें अंग्रेजी के अक्षर और हिंदी वर्णमाला के साथ गणित भी पढ़ाया जाता है. इसके साथ ही बच्चों को यहां ड्राइंग और कई तरह की कविताएं भी सिखाई जाती हैं जो इन बच्चों को देश का सभ्य नागरिक बनाने की ओर एक कदम है.

Intro:
This is ......Teachers Day .....Special Story

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देहरादून- सूबे की राजधानी देहरादून देशभर में शिक्षा के हब के नाम से अपनी पहचान रखती है । यहां मौजूद स्कूल- कॉलेजों की बात करें तो यहां कई ऐसे स्कूल- कॉलेज हैं जिनके आलीशान क्लास रूम में बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। लेकिन आज शिक्षा के जिस अनोखे क्लास रूम से ईटीवी भारत आपको रूबरू कराने जा रहा है यह क्लासरूम एक आलीशान कमरा नहीं । बल्कि फल- सब्जियों की ठेली है ।






Body:गौरतलब है कि दून अस्पताल के पास नगर निगम कांपलेक्स में फल- सब्जी की ठेली में जिन बच्चों को पढ़ाया जाता है यह बच्चे बेहद ही गरीब परिवारों से आते हैं । स्थिति कुछ यह है कि इनमें से कई बच्चे जहां सड़क में भीख मांगने का कार्य करते हैं तो वहीं कई बच्चे कूड़ा करकट बीनने का काम । ऐसे में इन बच्चों को शिक्षित बनाने के लक्ष्य के साथ कार्य कर रही इस सामाजिक संस्था से जुड़े लोग इन बच्चों को इस अनोखे स्कूल में लाकर प्राथमिक शिक्षा देने का कार्य करते हैं।

समाजसेवी राखी बताती है इन बच्चों को पढ़ाने के लिए यहां तक लाना किसी बड़ी चुनौती से कम नही है। दरअसल पढ़ाई का महत्व न समझने की वजह से इन बच्चों के माता-पिता भी कई बारे इन्हें पढ़ने भेजने के लिए राजी नही होते हैं । ऐसे में संस्था से जुड़े लोग सबसे पहले इन बच्चों के माता- पिता को पढ़ाई का महत्व समझाने का प्रयास करते हैं ।

फल- सब्जी की ठेली को एक अनोखे क्लास रूम का रूप देने का यह काम राजधानी देहरादून कि एक निजी संस्था द्वारा किया गया है । जो बीते कई सालों से गरीब तबके के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा देने के कार्य में जुटी हुई है।




Conclusion:वहीं इस अनोखे क्लासरूम में बच्चों को संस्था की ओर से हर रोज दिन का खाना भी परोसा जाता है। इस एक टाइम के लालच में भी कई बार इन गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ने पहुच जाते हैं । बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक बताते हैं कि यहां इन बच्चों को प्राथमिक शिक्षा दी जाती है जिसमें अंग्रेजी के अक्षर और हिंदी वर्णमाला के साथ ही गणित भी पढ़ाया जाता है। इसके साथ ही बच्चों को यहां ड्राइंग और कई तरह की कविताएं भी सिखाई जाती हैं जो इन बच्चों को देश का सभ्य नागरिक बनाने की ओर एक कदम है।


Last Updated : Sep 5, 2019, 7:59 AM IST
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