देहरादूनः फर्जी मार्कशीट और डिग्री देने के मामले में फरार मास्टरमाइंड आरोपी सहेंद्र पाल को एसटीएफ की टीम ने मुजफ्फरनगर से गिरफ्तार किया है. फर्जी मार्कशीट और डिग्री का मुकदमा एसटीएफ ने शहर कोतवाली में दर्ज कराया था. आरोपी पिछले महीने से लगातार फरार चल रहा था, अब जाकर एसटीएफ के हत्थे चढ़ पाया है. सहेंद्र पाल ने ही फर्जी मार्कशीट और डिग्री बनाने का आइडिया दिया था.
बता दें कि बीती 2 फरवरी 2023 को कोतवाली देहरादून पुलिस ने हाईस्कूल और इंटर की फर्जी मार्कशीट बनाने वाले एक व्यक्ति राज किशोर राय को गिरफ्तार किया गया था. जिसके खिलाफ कोतवाली में मुकदमा पंजीकृत किया गया था. अभी आरोपी राज किशोर वर्तमान में जिला कारागार में बंद है. एसटीएफ की जांच में फर्जी मार्कशीट तैयार करने के गिरोह का सरगना सहेंद्र पाल निवासी खतौली का नाम भी सामने आया था.
वहीं, जांच में ये भी जानकारी मिली थी कि आरोपियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एनसीआरई नाम से एक संस्था का रजिस्ट्रेशन कराया था. जिसमें मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से अधिनियमित होने संबंधी भ्रामक तथ्य प्रकाशित किए गए थे. जिसके बाद एसटीएफ आरोपी सहेंद्र पाल की तलाश में जुट गई थी, लेकिन सहेंद्र पाल अपने घर खतौली से फरार चल रहा था. ऐसे में एसटीएफ की टीम ने फरार आरोपी सहेंद्र पाल को मुखबिर और टेक्निकल सपोर्ट के माध्यम से सुकरताल मोरना जिला मुजफ्फरनगर से गिरफ्तार किया है.
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ऐसे हुआ था खुलासाः बीते एक फरवरी की रात को शहर कोतवाली पुलिस और एसओजी की टीम ने एमडीडीए कांप्लेक्स स्थित आश्रय फाउंडेशन के ऑफिस में छापेमारी की थी. छापेमारी के दौरान राजकिशाेर राय निवासी पित्थूवाला मिला था. इसके अलावा ऑफिस में राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान परिषद के प्रमाण पत्र भी मिले थे.
इसके बाद पुलिस ने इन प्रमाण पत्रों को लेकर आरोपी राजकिशाेर पूछताछ की. जिस पर राजकिशोर ने बताया कि उसने मुजफ्फरनगर के सहेंद्र पाल के साथ मिलकर राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान परिषद के नाम फर्जी वेबसाइट बनाई है. इसमें लोगों का रजिस्ट्रेशन कर वो सीनियर सेकेंडरी और सेकेंडरी स्कूल एग्जामिनेशन की फर्जी अंकतालिका, प्रमाण पत्र बनाते हैं. इसके बदले वो लोगों से मोटी रकम लेते हैं.
साथ ही फर्जी मार्कशीट और दस्तावेज के आधार पर कई लोग बिहार और अरुणाचल प्रदेश में नौकरी भी पा चुके थे. वहीं, फर्जी मार्कशीट बनाने के लिए पूरा गिरोह काम करता था. इसका मास्टरमाइंड मुजफ्फरनगर के खतौली का निवासी सहेंद्र पाल था. पुलिस जांच में पता चला कि वो मुजफ्फरनगर में दक्ष नाम से कॉलेज चलाता है.
एसटीएफ एसएसपी आयुष अग्रवाल ने बताया कि आरोपी सहेंद्र पाल, राजकिशोर को पिछले 7-8 सालों से परिचित था. राजकिशोर को उसी ने फर्जीमार्क शीट बनाने का आइडिया दिया था. जिसके लिए दोनों ने एक फर्जी संस्था एनसीआरई के नाम से खोली, जिसमें वो खुद मेंबर था और दोनों मिलकर हाईस्कूल और इंटर की मार्कशीट फर्जी मुहैया कराते थे.
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