देहरादून: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) पेपर लीक मामले में लगभग सभी आरोपियों के खिलाफ एसटीएफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है. इस केस से जुड़े एक आरोपी के खिलाफ विवेचना प्रचलित होने के कारण आरोप पत्र दाख़िल नहीं हो पाया है. इस केस में पेपर लीक गिरोह से जुड़े 9 गैंगस्टर सहित 19 लोगों की अब तक देहरादून कोर्ट से ज़मानत मिल चुका है. जिन मुख्य आरोपियों को निचली अदालत से ज़मानत मिल चुकी हैं, उनकी जमानत कैंसिल कराने के लिए STF की और से राज्य सरकार से प्राइवेट सॉलिसिटर की मांग की गई है.
एसटीएफ का तर्क है कि सरकारी अधिवक्ता के पास काफी व्यवस्तता होने से कारण हाईकोर्ट में उनकी अपील में तकनीकी समस्या हो सकती है. ऐसे में पेपर लीक के मुख्य आरोपियों की जमानत रद्द कराने के लिए किसी निजी सॉलिसिटर के साथ विशेष रूप से हाई कोर्ट में पैरवी की जा सके, जिससे पेपर लीक से जुड़े मुख्य आरोपियों की भी जमानत प्राथमिकता के आधार पर रद्द कराई जा सके.
एसटीएफ के अनुसार भले ही पेपर लीक केस से जुड़े लखनऊ प्रिटिंग प्रेस (RMS) संचालक राजेश चौहान सहित जिन अभियुक्तों को देहरादून निचली अदालत से जमानत मिली है, उसमें राजेश सहित कई ऐसे भी आरोपी हैं जिनको सचिवालय रक्षक दल और 2016 ग्राम विकास अधिकारी भर्ती गड़बड़ी मामलें में अभी तक जमानत नहीं मिली है. ऐसे में वह अब भी जेल में बंद हैं. इसके बावजूद UKSSSC केस जमानत मिलने वालों के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील प्रक्रिया निजी सॉलिसिटर के साथ ही प्रभावी रूप से की जाएगी. इसके लिए STF ने हाईकोर्ट जाने की फाइल शासन को प्रस्तुत कर दी है. उम्मीद है जल्द ही इस पर अनुमति मिल जाएगी.
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एविडेंस के आधार पर कुछ और गिरफ्तारियां भी संभव: एसटीएफ एसएसपी आयुष अग्रवाल(STF SSP Ayush Aggarwal) के मुताबिक अभी तक पेपर लीक मामले में दर्ज 5 FIR पर विवेचना अब भी जारी है. जैसे-जैसे एविडेंस और आगे मिलेंगे उसके आधार पर कुछ गिरफ्तारियां आगे भी हो सकती हैं. अब तक लगभग 45 ऐसे छात्रों को सरकारी गवाह बनाकर कोर्ट में 164 के तहत बयान दर्ज कराए जा चुके हैं.