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एक साल में ही अपनों के निशाने पर धामी सरकार, तीरथ से लेकर त्रिवेंद्र के बयानों ने खड़ी की परेशानी

एक साल के कार्यकाल में सीएम पुष्कर सिंह धामी अपनों के ही निशाने पर आ गये हैं. आये दिन उनके अपने ही नेता सरकार की कार्यप्रणाली, फैसलों पर सवाल उठा रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Former Chief Minister Trivendra Singh Rawat) हों या फिर तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) दोनों के ही बयान जहां धामी सरकार की परेशानियां बढ़ा रहे हैं, वहीं ये बयान विपक्ष के सिए संजीवनी का काम कर रहे हैं.

CM Pushkar Singh Dhami
एक साल में ही अपनों के निशाने पर धामी सरकार
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Published : Nov 16, 2022, 12:57 PM IST

Updated : Nov 17, 2022, 1:47 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) के नेतृत्व में चल रही सरकार के अंदर क्या कुछ गड़बड़ चल रही है? बीजेपी के बड़े नेताओं के बयानों के आखिरकार क्या मायने निकाले जाएं? क्यों तीरथ सिंह रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत इशारों ही इशारों में सरकार को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि मौजूदा सरकार में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है? बड़े नेताओं के इन बयानों से जहां कांग्रेस को मुद्दा मिलता जा रहा है, वहीं सरकार भी अपनों के इन बयानों से असहज महसूस कर रही है. बीजेपी के दोनों वरिष्ठ नेताओं के बयानों के बाद अब कैबिनेट मंत्री अपने सीनियर नेताओं को नसीहत देते नजर आ रहे हैं.

दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बयानों ने ठंड में बढ़ाई गर्माहट: उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन के बाद पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री (CM Pushkar Singh Dhami) बने. उसके बाद प्रदेश में एक के बाद एक ऐसे मामले सामने आये जिनसे धामी सरकार ने निपटने की पूरी कोशिश की. सभी मामलों में धामी ने कुशल नेतृत्व का परिचय दिया. धाकड़ धामी के फैसलों की विपक्ष ने भी तारीफ की. मगर सीएम धामी की परेशानी अब अपने ही नेता बन रहे हैं. इस कड़ी में सबसे पहला नाम पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का है.

एक साल में ही अपनों के निशाने पर धामी सरकार

त्रिवेंद्र रावत ने पहले अंकिता हत्याकांड, उसके बाद विधानसभा भर्ती मामला और यूकेएसएसएससी मामलों में एक के बाद एक बयान दिये. त्रिवेंद्र सिंह रावत और मौजूदा मुख्यमंत्री के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है, यह बात तब सामने आई जब त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रधानमंत्री से लगभग 45 मिनट की मुलाकात की. तब अंदाजा लगाया गया कि पीएम मोदी ने राज्य में चल रहे तमाम मुद्दों को लेकर त्रिवेंद्र सिंह रावत से फीडबैक लिया. पीएम मोदी से मिलने के बाहर बाहर निकले त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसे सिर्फ और सिर्फ शिष्टाचार भेंट बताकार सियासी पारा और बढ़ा दिया. इसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हाकम सिंह पर भी खुलकर टिप्पणी की. उनके कुछ बयानों ने यह जता दिया कि वह अपने बयानों से पीछे नहीं हटेंगे.
पढे़ं- महज 3 महीने 22 दिन की रही 'तीरथ' यात्रा, जानें छोटे से राज के बड़े फैसले

सरकार के कामों पर साफगोई से बोल रहे त्रिवेंद्र: त्रिवेंद्र सिंह रावत के तमाम बयानों और सरकार से विरोधाभास के बाद भी कई ऐसे मौके आये जब सीएम धामी और त्रिवेंद्र सिंह रावत एक दूसरे के साथ नजर आये. इनकी मुलाकातों को सार्वजनिक करते हुए पार्टी में ऑल इज वेल दिखाने की कोशिश भी की गई. इसके बाद भी त्रिवेंद्र सिंह रावत लगातार सरकार के कामों पर साफगोई से बोलते नजर आये. इसके साथ ही सीएम धामी ने बीते दिनों पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सलाहकार रहे पंवार के ऊपर जिस तरह से सीआईडी की जांच बैठाई, उसके बाद यह साफ हो गया कि टारगेट पर पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी हैं.

इसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने सलाहकार के बचाव में आकर बयान भी जारी किया. पुष्कर सिंह धामी का यह प्रहार सीधे तौर पर त्रिवेंद्र सिंह रावत के ऊपर ही देखा जा रहा है. कुमाऊं दौरा कर रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत से जब पत्रकारों ने भ्रष्टाचार और खासकर उत्तराखंड के भ्रष्टाचार पर बातचीत की तो त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इस पर खुलकर अपनी प्रतिक्रिया दी. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड राज्य अभी बेहद छोटा है. ऐसे में उत्तराखंड जैसे राज्य के लिए यह बेहद दुर्भाग्य की बात है कि भ्रष्टाचार जैसे मामले उत्तराखंड में सामने आ रहे हैं. उन्होंने कहा अधिकतर मामले विपक्षी बेवजह उठा रहे हैं.
पढे़ं- 115 दिनों की सत्ता में तीरथ का विवादों से रहा चोली-दामन का साथ, बयानों से बिगड़ा चाल-चरित्र और चेहरा

कांग्रेस ने जारी किया तीरथ का बयान, बढ़ी सरकार की टेंशन: बयानों के मामले में त्रिवेंद्र सिंह रावत ही नहीं बल्कि तीरथ सिंह रावत भी आगे हैं. बीते दिनों तीरथ सिंह रावत ने कहा जब उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था तब कमीशन खोरी कम थी, लेकिन उत्तराखंड से अलग होने के बाद यहां कमीशन खोरी 20% तक बढ़ गई है. इतना ही नहीं इस कमीशन खोरी में जितने नौकरशाह कसूरवार हैं उतने ही कसूरवार जनप्रतिनिधि भी हैं. लिहाजा सजा दोनों को ही मिलनी चाहिए. तीरथ सिंह रावत का यह बयान रातों-रात खूब वायरल हुआ. आलम यह है कि कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री के इस बयान को लेकर सरकार को घेरने में लगी है. जिससे सरकार की टेंशन बढ़ गई है.

कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी (Congress spokesperson Garima Dasauni) कहती हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा सांसद ने इस मामले की गंभीरता को देखा है. लेकिन बात यह भी सही है कि बीते 6 सालों से राज्य में बीजेपी की सरकार है. जब एक इतना बड़ा नेता इस तरह की बात करता है तो मौजूदा सरकार पर सवाल खड़े होते हैं. गरिमा दसौनी ने मौजूदा सरकार और पूर्व में मुख्यमंत्रियों पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार इस राज्य में पनप रहा है तो आप की सरकार और मुख्यमंत्रियों ने इसे रोकने के लिए क्या किया?
पढे़ं- 'फटी जींस से भी कम दिन चले तीरथ सिंह रावत, रमन सिंह ने उत्तराखंड में भी नैया डुबोई'

धामी सरकार के मंत्री ने दी तीरथ और त्रिवेंद्र को नसीहत: बयानों से बवंडर उठने के बाद धामी सरकार के मंत्री एक्टिव हो गये हैं. मामला दो बड़े नेताओं और दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बयानों से जुड़ा है, ऐसे में न तो बीजेपी की तरफ से कोई संतोषजनक जवाब सामने आया है और ना ही पूर्व मुख्यमंत्रियों ने अपने बयानों पर कोई सफाई दी है. हां इतना जरूर है कि सरकार में वरिष्ठ मंत्रियों में से एक कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने दोनों ही पूर्व मुख्यमंत्रियों के बयानों पर अपना बयान जारी किया है. कम शब्दों में बात करते हुए गणेश जोशी ने कहा कि दोनों ही अनुभवी नेता हैं. सरकार के खिलाफ या सरकार के कामों पर सवाल अगर कोई खड़े कर रहा है तो उसको आलाकमान देख रहा है. वह इस पूरे मुद्दे पर बातचीत या बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं. इतना जरूर है कि इस तरह के बयानों से सभी को बचना चाहिए. उम्मीद है कि पार्टी आलाकमान इन बयानों का संज्ञान जरूर लेगा.
पढे़ं- चोरी कर रहे चोर से कौन बचाए? तीरथ के बयान पर हरीश रावत ने ली चुटकी

एक साल में ही अपनों के निशाने पर धामी: यह हर किसी को मालूम है कि मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री में से एक हैं. वह मुख्यमंत्री बनने से पहले दो बार के विधायक रहे हैं. राज्य में उनसे वरिष्ठ नेता कई बार के विधायक और मंत्री रहे बीजेपी के नेता आज भी विधायकी से आगे नहीं बढ़ पाये हैं. कम समय में उनकी उपलब्धियों का ग्राफ काफी तेजी से उपर गया है. जिसके कारण उनके खिलाफ माहौल बनना लाजमी है. यही कारण है कि कुछ नेताओं की आंखों में पुष्कर सिंह धामी खटक रहे हैं. जिसके कारण उनके खिलाफ माहौल तैयार करने की कोशिश की जा रही है. ऐसा ही कुछ त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ भी हुआ था. साल 2017 में बीजेपी ने अप्रत्याशित तौर पर सभी को चौंकाते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया. जिसके बाद सरकार बनने से लेकर उनके 4 साल के कार्यकाल में कई ऐसे मौके आये जब त्रिवेंद्र को ऐसे हालातों का सामना करना पड़ा. अब कुछ ऐसा ही पुष्कर सिंह धामी के साथ हो रहा है. जहां उनका मुकाबला विपक्ष से नहीं बल्कि अपनों से है. ऐसे में देखना होगा कि वे इन सब हालातों से कैसे निपटते हैं.

देहरादून: उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) के नेतृत्व में चल रही सरकार के अंदर क्या कुछ गड़बड़ चल रही है? बीजेपी के बड़े नेताओं के बयानों के आखिरकार क्या मायने निकाले जाएं? क्यों तीरथ सिंह रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत इशारों ही इशारों में सरकार को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि मौजूदा सरकार में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है? बड़े नेताओं के इन बयानों से जहां कांग्रेस को मुद्दा मिलता जा रहा है, वहीं सरकार भी अपनों के इन बयानों से असहज महसूस कर रही है. बीजेपी के दोनों वरिष्ठ नेताओं के बयानों के बाद अब कैबिनेट मंत्री अपने सीनियर नेताओं को नसीहत देते नजर आ रहे हैं.

दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बयानों ने ठंड में बढ़ाई गर्माहट: उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन के बाद पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री (CM Pushkar Singh Dhami) बने. उसके बाद प्रदेश में एक के बाद एक ऐसे मामले सामने आये जिनसे धामी सरकार ने निपटने की पूरी कोशिश की. सभी मामलों में धामी ने कुशल नेतृत्व का परिचय दिया. धाकड़ धामी के फैसलों की विपक्ष ने भी तारीफ की. मगर सीएम धामी की परेशानी अब अपने ही नेता बन रहे हैं. इस कड़ी में सबसे पहला नाम पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का है.

एक साल में ही अपनों के निशाने पर धामी सरकार

त्रिवेंद्र रावत ने पहले अंकिता हत्याकांड, उसके बाद विधानसभा भर्ती मामला और यूकेएसएसएससी मामलों में एक के बाद एक बयान दिये. त्रिवेंद्र सिंह रावत और मौजूदा मुख्यमंत्री के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है, यह बात तब सामने आई जब त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रधानमंत्री से लगभग 45 मिनट की मुलाकात की. तब अंदाजा लगाया गया कि पीएम मोदी ने राज्य में चल रहे तमाम मुद्दों को लेकर त्रिवेंद्र सिंह रावत से फीडबैक लिया. पीएम मोदी से मिलने के बाहर बाहर निकले त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसे सिर्फ और सिर्फ शिष्टाचार भेंट बताकार सियासी पारा और बढ़ा दिया. इसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हाकम सिंह पर भी खुलकर टिप्पणी की. उनके कुछ बयानों ने यह जता दिया कि वह अपने बयानों से पीछे नहीं हटेंगे.
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सरकार के कामों पर साफगोई से बोल रहे त्रिवेंद्र: त्रिवेंद्र सिंह रावत के तमाम बयानों और सरकार से विरोधाभास के बाद भी कई ऐसे मौके आये जब सीएम धामी और त्रिवेंद्र सिंह रावत एक दूसरे के साथ नजर आये. इनकी मुलाकातों को सार्वजनिक करते हुए पार्टी में ऑल इज वेल दिखाने की कोशिश भी की गई. इसके बाद भी त्रिवेंद्र सिंह रावत लगातार सरकार के कामों पर साफगोई से बोलते नजर आये. इसके साथ ही सीएम धामी ने बीते दिनों पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सलाहकार रहे पंवार के ऊपर जिस तरह से सीआईडी की जांच बैठाई, उसके बाद यह साफ हो गया कि टारगेट पर पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी हैं.

इसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने सलाहकार के बचाव में आकर बयान भी जारी किया. पुष्कर सिंह धामी का यह प्रहार सीधे तौर पर त्रिवेंद्र सिंह रावत के ऊपर ही देखा जा रहा है. कुमाऊं दौरा कर रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत से जब पत्रकारों ने भ्रष्टाचार और खासकर उत्तराखंड के भ्रष्टाचार पर बातचीत की तो त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इस पर खुलकर अपनी प्रतिक्रिया दी. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड राज्य अभी बेहद छोटा है. ऐसे में उत्तराखंड जैसे राज्य के लिए यह बेहद दुर्भाग्य की बात है कि भ्रष्टाचार जैसे मामले उत्तराखंड में सामने आ रहे हैं. उन्होंने कहा अधिकतर मामले विपक्षी बेवजह उठा रहे हैं.
पढे़ं- 115 दिनों की सत्ता में तीरथ का विवादों से रहा चोली-दामन का साथ, बयानों से बिगड़ा चाल-चरित्र और चेहरा

कांग्रेस ने जारी किया तीरथ का बयान, बढ़ी सरकार की टेंशन: बयानों के मामले में त्रिवेंद्र सिंह रावत ही नहीं बल्कि तीरथ सिंह रावत भी आगे हैं. बीते दिनों तीरथ सिंह रावत ने कहा जब उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था तब कमीशन खोरी कम थी, लेकिन उत्तराखंड से अलग होने के बाद यहां कमीशन खोरी 20% तक बढ़ गई है. इतना ही नहीं इस कमीशन खोरी में जितने नौकरशाह कसूरवार हैं उतने ही कसूरवार जनप्रतिनिधि भी हैं. लिहाजा सजा दोनों को ही मिलनी चाहिए. तीरथ सिंह रावत का यह बयान रातों-रात खूब वायरल हुआ. आलम यह है कि कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री के इस बयान को लेकर सरकार को घेरने में लगी है. जिससे सरकार की टेंशन बढ़ गई है.

कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी (Congress spokesperson Garima Dasauni) कहती हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा सांसद ने इस मामले की गंभीरता को देखा है. लेकिन बात यह भी सही है कि बीते 6 सालों से राज्य में बीजेपी की सरकार है. जब एक इतना बड़ा नेता इस तरह की बात करता है तो मौजूदा सरकार पर सवाल खड़े होते हैं. गरिमा दसौनी ने मौजूदा सरकार और पूर्व में मुख्यमंत्रियों पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार इस राज्य में पनप रहा है तो आप की सरकार और मुख्यमंत्रियों ने इसे रोकने के लिए क्या किया?
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धामी सरकार के मंत्री ने दी तीरथ और त्रिवेंद्र को नसीहत: बयानों से बवंडर उठने के बाद धामी सरकार के मंत्री एक्टिव हो गये हैं. मामला दो बड़े नेताओं और दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बयानों से जुड़ा है, ऐसे में न तो बीजेपी की तरफ से कोई संतोषजनक जवाब सामने आया है और ना ही पूर्व मुख्यमंत्रियों ने अपने बयानों पर कोई सफाई दी है. हां इतना जरूर है कि सरकार में वरिष्ठ मंत्रियों में से एक कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने दोनों ही पूर्व मुख्यमंत्रियों के बयानों पर अपना बयान जारी किया है. कम शब्दों में बात करते हुए गणेश जोशी ने कहा कि दोनों ही अनुभवी नेता हैं. सरकार के खिलाफ या सरकार के कामों पर सवाल अगर कोई खड़े कर रहा है तो उसको आलाकमान देख रहा है. वह इस पूरे मुद्दे पर बातचीत या बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं. इतना जरूर है कि इस तरह के बयानों से सभी को बचना चाहिए. उम्मीद है कि पार्टी आलाकमान इन बयानों का संज्ञान जरूर लेगा.
पढे़ं- चोरी कर रहे चोर से कौन बचाए? तीरथ के बयान पर हरीश रावत ने ली चुटकी

एक साल में ही अपनों के निशाने पर धामी: यह हर किसी को मालूम है कि मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री में से एक हैं. वह मुख्यमंत्री बनने से पहले दो बार के विधायक रहे हैं. राज्य में उनसे वरिष्ठ नेता कई बार के विधायक और मंत्री रहे बीजेपी के नेता आज भी विधायकी से आगे नहीं बढ़ पाये हैं. कम समय में उनकी उपलब्धियों का ग्राफ काफी तेजी से उपर गया है. जिसके कारण उनके खिलाफ माहौल बनना लाजमी है. यही कारण है कि कुछ नेताओं की आंखों में पुष्कर सिंह धामी खटक रहे हैं. जिसके कारण उनके खिलाफ माहौल तैयार करने की कोशिश की जा रही है. ऐसा ही कुछ त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ भी हुआ था. साल 2017 में बीजेपी ने अप्रत्याशित तौर पर सभी को चौंकाते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया. जिसके बाद सरकार बनने से लेकर उनके 4 साल के कार्यकाल में कई ऐसे मौके आये जब त्रिवेंद्र को ऐसे हालातों का सामना करना पड़ा. अब कुछ ऐसा ही पुष्कर सिंह धामी के साथ हो रहा है. जहां उनका मुकाबला विपक्ष से नहीं बल्कि अपनों से है. ऐसे में देखना होगा कि वे इन सब हालातों से कैसे निपटते हैं.

Last Updated : Nov 17, 2022, 1:47 PM IST
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