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महिला आयोग का CS को पत्र, कार्यालयों में गठित 'यौन उत्पीड़न निवारण समिति' की मांगी जानकारी

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने मुख्य सचिव को पत्र भेजा है. उन्होंने 2 सितंबर तक आयोग को ई-मेल या डाक के माध्यम से प्रदेश के विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी कार्यालयों में संचालित हो रही, यौन उत्पीड़न निवारण समिति के संबंध में जानकारी देने को कहा.

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Published : Jul 28, 2021, 4:53 PM IST

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महिला आयोग ने CS को लिखा पत्र

देहरादून: सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के तहत प्रत्येक कार्यालय में कामकाजी महिलाओं के अधिकारों के उल्लंघन से बचाव के लिए यौन उत्पीड़न निवारण समिति का गठन किया जाना अनिवार्य है. ऐसे में प्रदेश के विभिन्न सरकारी, गैर सरकारी कार्यालयों में यह समिति किस तरह काम कर रही है, इसकी जानकारी राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विजया बड़थ्वाल ने मुख्य सचिव से मांगी है.

अध्यक्ष विजया बड़थ्वाल ने बताया कि आयोग के संज्ञान में आया है कि राज्य में कई कार्य स्थलों में समितियों का गठन नहीं किया गया है. जहां समितियां गठित भी हैं, तो वहां नियमित रूप से सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार बैठक नहीं की जा रही है.

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ऐसे में इन समितियों का गाइडलाइन अनुसार कार्य ना करना सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का पूर्ण रूप से उल्लंघन है. इसे देखते हुए उन्होंने मुख्य सचिव को पत्र भेज 2 सितंबर तक आयोग को ई-मेल या डाक के माध्यम से प्रदेश के विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी कार्यालयों में संचालित हो रही, इन समितियों के संबंध में जानकारी देने को कहा है.

गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के तहत यौन उत्पीड़न निवारण समिति का गठन ऐसे हर कार्यालय में करना अनिवार्य है, जहां महिलाएं कार्यरत हैं. वहीं इस समिति में पीठासीन अधिकारी के साथ ही अध्यक्ष समेत सदस्यों का होना अनिवार्य है, जो कार्यालय में कार्यरत महिला द्वारा की गई यौन उत्पीड़न से जुड़ी किसी भी तरह की शिकायत का समय पर निस्तारण कर सके.

देहरादून: सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के तहत प्रत्येक कार्यालय में कामकाजी महिलाओं के अधिकारों के उल्लंघन से बचाव के लिए यौन उत्पीड़न निवारण समिति का गठन किया जाना अनिवार्य है. ऐसे में प्रदेश के विभिन्न सरकारी, गैर सरकारी कार्यालयों में यह समिति किस तरह काम कर रही है, इसकी जानकारी राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विजया बड़थ्वाल ने मुख्य सचिव से मांगी है.

अध्यक्ष विजया बड़थ्वाल ने बताया कि आयोग के संज्ञान में आया है कि राज्य में कई कार्य स्थलों में समितियों का गठन नहीं किया गया है. जहां समितियां गठित भी हैं, तो वहां नियमित रूप से सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार बैठक नहीं की जा रही है.

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ऐसे में इन समितियों का गाइडलाइन अनुसार कार्य ना करना सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का पूर्ण रूप से उल्लंघन है. इसे देखते हुए उन्होंने मुख्य सचिव को पत्र भेज 2 सितंबर तक आयोग को ई-मेल या डाक के माध्यम से प्रदेश के विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी कार्यालयों में संचालित हो रही, इन समितियों के संबंध में जानकारी देने को कहा है.

गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के तहत यौन उत्पीड़न निवारण समिति का गठन ऐसे हर कार्यालय में करना अनिवार्य है, जहां महिलाएं कार्यरत हैं. वहीं इस समिति में पीठासीन अधिकारी के साथ ही अध्यक्ष समेत सदस्यों का होना अनिवार्य है, जो कार्यालय में कार्यरत महिला द्वारा की गई यौन उत्पीड़न से जुड़ी किसी भी तरह की शिकायत का समय पर निस्तारण कर सके.

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