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वन मंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट को झटका, स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने कंडी मार्ग प्रस्ताव ठुकराया - नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड

कंड़ी मार्ग गढ़वाल से कुमाऊं को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट था. जिसे वन मंत्री हरक सिंह रावत हर कीमत पर पूरा करवाना चाहते थे, लेकिन स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में ही इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. उधर, बैठक में कई प्रस्तावों पर भी मुहर लगी है.

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Published : Aug 31, 2019, 11:43 PM IST

Updated : Sep 1, 2019, 12:04 AM IST

देहरादूनः उत्तराखंड के वन मंत्री हरक सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट कंडी मार्ग को लेकर बड़ा झटका लगा है. स्टेट वाइल्ड लाइफ ने बोर्ड की बैठक में गढ़वाल से कुमाऊं को जोड़ने वाले कंडी मार्ग के प्रस्ताव को सिरे से दरकिनार कर दिया है. बैठक में सभी चार विकल्पों पर चर्चा के बाद इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. जिससे उनके सामने ही सपना चूर-चूर हो गया. वहीं, बैठक में कई प्रस्तावों पर भी मुहर लगी.

कंडी मार्ग के प्रस्ताव को स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने किया दरकिनार.

दरअसल, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में शनिवार को बोर्ड की एक बैठक हुई. इस दौरान वन मंत्री हरक सिंह रावत अपने ड्रीम प्रोजेक्ट कंडी मार्ग के प्रस्ताव को भी लाए, लेकिन मुख्य सचिव समेत तमाम अधिकारियों ने इस मार्ग को लेकर तमाम कठिनाइयों का जिक्र करते हुए इस प्रस्ताव को दरकिनार कर दिया.

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बता दें कि, नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने कंडी मार्ग का सर्वे कर राज्य को चार विकल्प दिए थे. जिसमें गढ़वाल से कुमाऊं को जोड़ने के लिए चार मार्गों पर वाइल्ड लाइफ को होने वाले नुकसान और मार्ग निर्माण के खर्चे का ब्योरा दिया था. इसके बाद बोर्ड की बैठक में सभी चार विकल्पों पर चर्चा के बाद इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.

बोर्ड की बैठक में जहां कंडी मार्ग को लेकर वन मंत्री को निराशा हाथ लगी तो बैठक में करीब 12 बिंदुओं पर चर्चा की गई. जिसमें लालढांग-चिल्लरखाल सड़क का प्रस्ताव पारित किया गया. बैठक में नंदौर और सुरई क्षेत्र को बफर जोन ना किए जाने को लेकर भी सहमति बनी. इसके अलावा सभी नेशनल पार्क, बफर जोन और सेंसेटिव फॉरेस्ट क्षेत्रों में इको समिति बनाए जाने पर भी सहमति दी गई.

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वहीं, बोर्ड बैठक को हर 3 से 4 महीने में किए जाने को लेकर भी मंजूरी दी गई. बोर्ड की बैठक में वॉलंटरी फोर्स बनाए जाने का भी निर्णय लिया गया. जिसमें जंगल के पास रहने वाले लोगों को वन महकमा प्रशिक्षण देगा. साथ ही जल्द ही सुविधाएं मुहैया करारकर वाइल्डलाइफ की सुरक्षा को लेकर उन्हें जिम्मेदारी भी सौंपी जाएगी.

कंड़ी मार्ग गढ़वाल से कुमाऊं को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट था. जिसे वन मंत्री हरक सिंह रावत हर कीमत पर पूरा करवाना चाहते थे, लेकिन स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में ही इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाला गया. इससे साफ हो गया कि आने वाले समय में कंडी मार्ग के निर्माण को लेकर स्थितियां अनुकूल नहीं होगी.

देहरादूनः उत्तराखंड के वन मंत्री हरक सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट कंडी मार्ग को लेकर बड़ा झटका लगा है. स्टेट वाइल्ड लाइफ ने बोर्ड की बैठक में गढ़वाल से कुमाऊं को जोड़ने वाले कंडी मार्ग के प्रस्ताव को सिरे से दरकिनार कर दिया है. बैठक में सभी चार विकल्पों पर चर्चा के बाद इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. जिससे उनके सामने ही सपना चूर-चूर हो गया. वहीं, बैठक में कई प्रस्तावों पर भी मुहर लगी.

कंडी मार्ग के प्रस्ताव को स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने किया दरकिनार.

दरअसल, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में शनिवार को बोर्ड की एक बैठक हुई. इस दौरान वन मंत्री हरक सिंह रावत अपने ड्रीम प्रोजेक्ट कंडी मार्ग के प्रस्ताव को भी लाए, लेकिन मुख्य सचिव समेत तमाम अधिकारियों ने इस मार्ग को लेकर तमाम कठिनाइयों का जिक्र करते हुए इस प्रस्ताव को दरकिनार कर दिया.

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बता दें कि, नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने कंडी मार्ग का सर्वे कर राज्य को चार विकल्प दिए थे. जिसमें गढ़वाल से कुमाऊं को जोड़ने के लिए चार मार्गों पर वाइल्ड लाइफ को होने वाले नुकसान और मार्ग निर्माण के खर्चे का ब्योरा दिया था. इसके बाद बोर्ड की बैठक में सभी चार विकल्पों पर चर्चा के बाद इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.

बोर्ड की बैठक में जहां कंडी मार्ग को लेकर वन मंत्री को निराशा हाथ लगी तो बैठक में करीब 12 बिंदुओं पर चर्चा की गई. जिसमें लालढांग-चिल्लरखाल सड़क का प्रस्ताव पारित किया गया. बैठक में नंदौर और सुरई क्षेत्र को बफर जोन ना किए जाने को लेकर भी सहमति बनी. इसके अलावा सभी नेशनल पार्क, बफर जोन और सेंसेटिव फॉरेस्ट क्षेत्रों में इको समिति बनाए जाने पर भी सहमति दी गई.

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वहीं, बोर्ड बैठक को हर 3 से 4 महीने में किए जाने को लेकर भी मंजूरी दी गई. बोर्ड की बैठक में वॉलंटरी फोर्स बनाए जाने का भी निर्णय लिया गया. जिसमें जंगल के पास रहने वाले लोगों को वन महकमा प्रशिक्षण देगा. साथ ही जल्द ही सुविधाएं मुहैया करारकर वाइल्डलाइफ की सुरक्षा को लेकर उन्हें जिम्मेदारी भी सौंपी जाएगी.

कंड़ी मार्ग गढ़वाल से कुमाऊं को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट था. जिसे वन मंत्री हरक सिंह रावत हर कीमत पर पूरा करवाना चाहते थे, लेकिन स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में ही इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाला गया. इससे साफ हो गया कि आने वाले समय में कंडी मार्ग के निर्माण को लेकर स्थितियां अनुकूल नहीं होगी.

Intro:एक्सक्लूसिव रिपोर्ट


summary- उत्तराखंड वन मंत्री हरक सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट कंडी मार्ग पर उन्हें बड़ा झटका लगा है... दरअसल आज स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में गड्डी मार के प्रस्ताव को सिरे से दरकिनार कर दिया गया...

गढ़वाल से कुमाऊं को जोड़ने वाले कंडी मार्ग पर स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड ने आज कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई... वन मंत्री हरक सिंह रावत के सामने ही उनका कंडी मार्ग से जुड़ा सपना चूर चूर हो गया।।।


Body:वन मंत्री हरक सिंह रावत आज उस समय असहाय महसूस कर रहे होंगे जब उनके सामने ही कंडी मार्ग पर बोर्ड बैठक के दौरान प्रस्ताव को दरकिनार कर दिया गया.. दरअसल मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में आज बोर्ड की बैठक हुई तो वन मंत्री हरक सिंह रावत अपने ड्रीम प्रोजेक्ट कंडी मार्ग के प्रस्ताव को भी इसमें लाए लेकिन मुख्य सचिव समेत तमाम अधिकारियों ने इस मार्ग को लेकर तमाम कठिनाइयों का जिक्र करते हुए इस प्रस्ताव को दरकिनार कर दिया... आपको बता दें कि नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड ने कंडी मार्ग का सर्वे कर राज्य को चार विकल्प दिए थे... और गढ़वाल से कुमाऊं को जोड़ने के लिए चार मार्गो पर वाइल्डलाइफ को होने वाले नुकसान और मार्ग निर्माण के खर्चे का ब्यौरा दिया था। इसके बाद आज बोर्ड की बैठक में सभी चार विकल्पों पर चर्चा के बाद इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

वाइट हरक सिंह रावत वन मंत्री उत्तराखंड


बोर्ड की बैठक में जहां कंडी मार्ग को लेकर वन मंत्री को निराशा हाथ लगी तो इस बैठक में करीब 12 बिंदुओं पर चर्चा की गयी। इसमें लालढांग चिल्लरखाल सड़क का प्रस्ताव पारित किया गया। बैठक में नंदौर और सुरई क्षेत्र को बफर जोन ना किए जाने को लेकर सहमति बनी। इसके अलावा सभी नेशनल पार्क बफर जोन और सनसिटी फॉरेस्ट क्षेत्रों में इको समिति बनाए जाने पर भी सहमति दी गई
जबकि बोर्ड की बैठक को हर 3 से 4 महीने में किए जाने की भी मंजूरी दी गई... बोर्ड की बैठक में वॉलंटरी फोर्स बनाए जाने का भी निर्णय लिया गया जिसमे कि जंगल के नजदीक के लोगों को वन महकमा प्रशिक्षण देगा और जल्दी सुविधाएं देकर वाइल्डलाइफ की सुरक्षा को लेकर उन्हें जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

बाइट हरक सिंह रावत वन मंत्री


Conclusion:कड़ी मार्ग गढ़वाल से कुमाऊं को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट था जिसे वर मंत्री हरक सिंह रावत हर कीमत पर पूरा करवाना चाहते थे लेकिन आज स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड की बैठक में ही इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डालकर ही साफ हो गया कि आने वाले समय में कैंडी मार्ग के निर्माण को लेकर स्थितियां अनुकूल नहीं होगी।
Last Updated : Sep 1, 2019, 12:04 AM IST
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