देहरादूनः उत्तराखंड के वन मंत्री हरक सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट कंडी मार्ग को लेकर बड़ा झटका लगा है. स्टेट वाइल्ड लाइफ ने बोर्ड की बैठक में गढ़वाल से कुमाऊं को जोड़ने वाले कंडी मार्ग के प्रस्ताव को सिरे से दरकिनार कर दिया है. बैठक में सभी चार विकल्पों पर चर्चा के बाद इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. जिससे उनके सामने ही सपना चूर-चूर हो गया. वहीं, बैठक में कई प्रस्तावों पर भी मुहर लगी.
दरअसल, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में शनिवार को बोर्ड की एक बैठक हुई. इस दौरान वन मंत्री हरक सिंह रावत अपने ड्रीम प्रोजेक्ट कंडी मार्ग के प्रस्ताव को भी लाए, लेकिन मुख्य सचिव समेत तमाम अधिकारियों ने इस मार्ग को लेकर तमाम कठिनाइयों का जिक्र करते हुए इस प्रस्ताव को दरकिनार कर दिया.
ये भी पढे़ंः CPU से भिड़े पर्यटक, हाई वोल्टेज ड्रामे को रोकने के लिए बुलानी पड़ी पुलिस
बता दें कि, नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने कंडी मार्ग का सर्वे कर राज्य को चार विकल्प दिए थे. जिसमें गढ़वाल से कुमाऊं को जोड़ने के लिए चार मार्गों पर वाइल्ड लाइफ को होने वाले नुकसान और मार्ग निर्माण के खर्चे का ब्योरा दिया था. इसके बाद बोर्ड की बैठक में सभी चार विकल्पों पर चर्चा के बाद इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.
बोर्ड की बैठक में जहां कंडी मार्ग को लेकर वन मंत्री को निराशा हाथ लगी तो बैठक में करीब 12 बिंदुओं पर चर्चा की गई. जिसमें लालढांग-चिल्लरखाल सड़क का प्रस्ताव पारित किया गया. बैठक में नंदौर और सुरई क्षेत्र को बफर जोन ना किए जाने को लेकर भी सहमति बनी. इसके अलावा सभी नेशनल पार्क, बफर जोन और सेंसेटिव फॉरेस्ट क्षेत्रों में इको समिति बनाए जाने पर भी सहमति दी गई.
ये भी पढे़ंः दरोगा भर्ती प्रकरणः CBI कोर्ट में DGP रतूड़ी के दर्ज हुए बयान, मामले में 7 दरोगा हो चुके बर्खास्त
वहीं, बोर्ड बैठक को हर 3 से 4 महीने में किए जाने को लेकर भी मंजूरी दी गई. बोर्ड की बैठक में वॉलंटरी फोर्स बनाए जाने का भी निर्णय लिया गया. जिसमें जंगल के पास रहने वाले लोगों को वन महकमा प्रशिक्षण देगा. साथ ही जल्द ही सुविधाएं मुहैया करारकर वाइल्डलाइफ की सुरक्षा को लेकर उन्हें जिम्मेदारी भी सौंपी जाएगी.
कंड़ी मार्ग गढ़वाल से कुमाऊं को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट था. जिसे वन मंत्री हरक सिंह रावत हर कीमत पर पूरा करवाना चाहते थे, लेकिन स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में ही इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाला गया. इससे साफ हो गया कि आने वाले समय में कंडी मार्ग के निर्माण को लेकर स्थितियां अनुकूल नहीं होगी.