देहरादून: प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद को अनुशासनहीनता के चलते 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है. अकील अहमद लगातार मीडिया में मुस्लिम यूनिवर्सिटी को लेकर बयानबाजी कर रहे थे. साथ ही वह अपनी पार्टी के नेताओं पर भी तंज कसने से भी बाज नहीं आ रहे थे. जिस कारण कांग्रेस कई मोर्चों पर असहज नजर आ रही थी. इसको लेकर पार्टी ने अकील अहमद को नोटिस भी दिया था. लेकिन अकील अहमद की और से कोई जवाब न देने पर उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया.
प्रदेश कांग्रेस पार्टी के प्रदेश महासचिव संगठन मथुरा दत्त जोशी ने एक पत्र जारी करते हुए पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासन की घोषणा की है. पत्र में कहा गया है की अकील अहमद लगातार मीडिया में अनर्गल बयानबाजी कर रहे थे. जिसको लेकर पार्टी ने उन्हें नोटिस देकर जवाब भी मांगा था. लेकिन उनकी और से कोई जवाब नहीं दिया गया. जिसके चलते कांग्रेस संविधान की धाराओं 19 च 4 के अंतर्गत अनुशासनहीनता के चलते अकील अहमद को पार्टी से निष्कासित किया गया है.बता दें कि अकील अहमद के मुस्लिम यूनिवर्सिटी बयान के कारण कांग्रेस को कई मौकों पर असहज किया है.
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यहां से उठा मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मुद्दा: दरअसल, चुनाव के ठीक समय उत्तराखंड में कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद का एक वीडियो वायरल हुआ था. वायरल वीडियो में अकील अहमद कह रहे हैं कि उन्होंने सहसपुर विधानसभा सीट से अपना नामांकन वापस ले लिया है. साथ ही उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उनसे वादा किया है कि अगर उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस की सरकार बनती है तो मुस्लिम छात्रों के लिए एक विश्वविद्यालय बनाया जाएगा. इसीलिए उन्होंने अपना नामांकन वापस लिया.
अकील अहमद की सफाई: वायरल वीडियो वाले बयान पर अकील अहमद ने सफाई देते हुए कहा था कि उन्होंने हरीश रावत से मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोलने के लिए बात जरूर की है, लेकिन हरीश रावत ने उनसे कोई वादा नहीं किया है. अकील अहमद ने कहा कि राज्य में 18 प्रतिशत मुस्लिम हैं. उनके लिए यूनिवर्सिटी बननी चाहिए. हालांकि कांग्रेस ने इस पर कोई सहमति नहीं जताई.