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प्रमोशन में आरक्षण की बहाली की मांग, SC-ST कर्मचारियों ने किया सचिवालय कूच

उत्तराखंड एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन ने प्रमोशन में आरक्षण की बहाली की मांग को लेकर महारैली का आयोजन किया. इसमें विभिन्न मांगों को लेकर सचिवालय कूच किया.

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सचिवालय कूच
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Published : Jan 3, 2020, 10:27 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन ने शुक्रवार को प्रमोशन में आरक्षण की बहाली की मांग को लेकर महारैली निकाली. इसमें एससी-एसटी कर्मचारियों के विभिन्न 37 संगठनों ने प्रमोशन में आरक्षण और सीधी भर्ती के पुराने आरक्षण रोस्टर को लागू करने की मांग की. इसे लेकर सभी प्रदर्शनकारियों ने सचिवालय कूच किया, लेकिन पहले से मौजूद पुलिस बल ने प्रदर्शनकारियों को सचिवालय से पहले ही बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया. इससे पूर्व एससी-एसटी कर्मचारी नेताओं ने पवेलियन मैदान में एक सभा का आयोजन किया था. सचिवालय कूच के दौरान एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन की ओर से सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी भेजा गया.

आरक्षण की मांग को लेकर महारैली का आयोजन

एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन के प्रांतीय अध्यक्ष करम राम ने कहा कि एक अप्रैल 2019 को उच्च न्यायालय का आदेश आया था, उसमें साल 2000 के बाद के उस आदेश को खारिज कर दिया गया, जिसमें पदोन्नति में आरक्षण पर रोक लगाई गई थी. इसके बावजूद सरकार ने उस फैसले पर अमल न करते हुए पुनर्विचार याचिका दाखिल की. 6 महीने बाद सरकार याचिका को वापस लेकर सुप्रीम कोर्ट चली गई. उन्होंने कहा कि एससी-एसटी कर्मचारियों की मुख्य मांग है कि सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले के अधीन सशर्त आरक्षण रोस्टर के अनुसार डीपीसीआर प्रारंभ की जाए.

इसके अलावा सीधी भर्ती में रोस्टर की समीक्षा किए जाने के लिए गठित मदन कौशिक समिति की रिपोर्ट जब तक नहीं आ जाती, तब तक साल 2001 में निर्धारित रोस्टर के आधार पर ही सीधी भर्ती की जाए.

ये भी पढ़ें: ग्रीष्मकालीन धान की रोपाई पर रोक से नाराज हुए कांग्रेसी, किया प्रदर्शन

प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि राज्य के विभिन्न विभागों में बैकलॉग के रिक्त पदों को भरने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए. संविदा और आउटसोर्स की नियुक्ति प्रक्रिया में आरक्षण का शत-प्रतिशत अनुपालन किया जाए. अगर सरकार आरक्षण प्रदान नहीं करती है तो हमारा वर्ग सामी ग्रुप से धर्म परिवर्तन पर विचार करेगा.

देहरादून: उत्तराखंड एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन ने शुक्रवार को प्रमोशन में आरक्षण की बहाली की मांग को लेकर महारैली निकाली. इसमें एससी-एसटी कर्मचारियों के विभिन्न 37 संगठनों ने प्रमोशन में आरक्षण और सीधी भर्ती के पुराने आरक्षण रोस्टर को लागू करने की मांग की. इसे लेकर सभी प्रदर्शनकारियों ने सचिवालय कूच किया, लेकिन पहले से मौजूद पुलिस बल ने प्रदर्शनकारियों को सचिवालय से पहले ही बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया. इससे पूर्व एससी-एसटी कर्मचारी नेताओं ने पवेलियन मैदान में एक सभा का आयोजन किया था. सचिवालय कूच के दौरान एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन की ओर से सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी भेजा गया.

आरक्षण की मांग को लेकर महारैली का आयोजन

एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन के प्रांतीय अध्यक्ष करम राम ने कहा कि एक अप्रैल 2019 को उच्च न्यायालय का आदेश आया था, उसमें साल 2000 के बाद के उस आदेश को खारिज कर दिया गया, जिसमें पदोन्नति में आरक्षण पर रोक लगाई गई थी. इसके बावजूद सरकार ने उस फैसले पर अमल न करते हुए पुनर्विचार याचिका दाखिल की. 6 महीने बाद सरकार याचिका को वापस लेकर सुप्रीम कोर्ट चली गई. उन्होंने कहा कि एससी-एसटी कर्मचारियों की मुख्य मांग है कि सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले के अधीन सशर्त आरक्षण रोस्टर के अनुसार डीपीसीआर प्रारंभ की जाए.

इसके अलावा सीधी भर्ती में रोस्टर की समीक्षा किए जाने के लिए गठित मदन कौशिक समिति की रिपोर्ट जब तक नहीं आ जाती, तब तक साल 2001 में निर्धारित रोस्टर के आधार पर ही सीधी भर्ती की जाए.

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प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि राज्य के विभिन्न विभागों में बैकलॉग के रिक्त पदों को भरने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए. संविदा और आउटसोर्स की नियुक्ति प्रक्रिया में आरक्षण का शत-प्रतिशत अनुपालन किया जाए. अगर सरकार आरक्षण प्रदान नहीं करती है तो हमारा वर्ग सामी ग्रुप से धर्म परिवर्तन पर विचार करेगा.

Intro:उत्तराखंड एसटी.-एससी इम्प्लॉइज फेडरेशन के बैनर तले करीब 37 संगठनों ने प्रमोशन में आरक्षण और सीधी भर्ती में पुराने आरक्षण रोस्टर को लागू करने की मांग को लेकर सचिवालय को कूच किया जहां भारी पुलिस बल ने सचिवालय से पहले ही प्रदर्शनकारियों को बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया। इससे पूर्व sc-st कर्मचारी नेताओं ने पवेलियन मैदान में एक सभा का आयोजन किया जिसमें कर्मचारी नेताओं ने अपने-अपने विचार मंच पर रखे।


Body:वहीं उत्तराखंड एससी-एसटी इम्प्लॉइज फेडरेशन के प्रांतीय अध्यक्ष करम राम ने कहा कि 1 अप्रैल 2019 को उच्च न्यायालय का आदेश आया उसमें 2000 के बाद के उस आदेश को खारिज कर दिया गया जिसमें पदोन्नति में आरक्षण पर रोक लगाई थी। उसके बावजूद सरकार ने उस फैसले पर अमल ना करते हुए पुनर्विचार याचिका दाखिल की और 6 महीने बाद सरकार याचिका को वापस लेकर सुप्रीम कोर्ट चली गई। यह देश में पहला उदाहरण होगा कि कोई सरकार वर्ग विशेष के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई हो। उन्होंने कहा कि sc-st कर्मचारियों की मुख्य मांगी है कि सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले के अधीन सशर्त आरक्षण रोस्टर के अनुसार ही डीपीसीआर प्रारंभ की जाए। इसके अलावा सीधी भर्ती में रोस्टर की समीक्षा किए जाने के लिए गठित मदन कौशिक समिति की रिपोर्ट जब तक नहीं आती तब तक वर्ष 2001 में निर्धारित रोस्टर के आधार पर ही सीधी भर्ती की जाए। बाइट- करम राम प्रांतीय अध्यक्ष उत्तराखंड एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन


Conclusion:उत्तराखंड एससी एसटी इम्प्लॉइज फेडरेशन की अन्य प्रमुख मांगें- राज्य के विभिन्न विभागों में बैकलॉग के रिक्त पदों को भरने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए। संविदा और आउटसोर्स की नियुक्ति प्रक्रिया में आरक्षण का शत-प्रतिशत अनुपालन किया जाए। अगर सरकार आरक्षण प्रदान नहीं करती है तो यह वर्ग सामी ग्रुप से धर्म परिवर्तन पर विचार करेगा सचिवालय कूच के दौरान एस सी -एस टी इम्प्लॉइज फेडरेशन ने सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को एक ज्ञापन भी सौंपा।

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