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रहस्य: हादसों से बचाते हैं 'नंबर प्लेट वाले देवता', भक्त चढ़ाते हैं टूटे-फूटे पुर्जे

मंडी के करसोग में लोग वनशीरा देवता के नाम से जानते ही नहीं बल्कि पूरी शिद्दत से मानते भी हैं. हादसों से बचने के लिए यहां वनशीरा देवता के भक्त उन्हें भेंट में नंबर प्लेट और गाड़ियों के टूटे-फूटे पुर्जे भेंट स्वरूप चढ़ाते हैं.

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हादसों से बचाते हैं 'नंबर प्लेट वाले देवता.
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Published : Jan 6, 2020, 9:34 AM IST

करसोग ( हिमाचल प्रदेश ): ईटीवी भारत अपनी खास सीरीज 'रहस्य' में कुछ ऐसे ही अविश्वसनीय रहस्यों के बारे में आपको बताता रहा है. आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हादसों से आए दिन रोज कई लोग असमय ही काल के गाल में समा जाते हैं. आंकड़े बताते हैं कि देश में हर साल लाखों लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवाते हैं, लेकिन बात देवभूमि हिमाचल की हो तो यहां एक देवता ऐसे भी जो हादसों से बचाते हैं.

पढ़ें- बर्फबारी या आफतः मसूरी में जाम ने सैलानियों का मजा किया किरकिरा, जमी झील

हिमाचल को यूं हीं देवभूमि नहीं कहते, यहां हर जगह देवताओं का वास है, लेकिन वनशीरा देवता की कहानी किसी रहस्य से कम नहीं है. मंडी के करसोग में हादसों से बचने के लिए यहां वनशीरा देवता के भक्त उन्हें भेंट में नंबर प्लेट और गाड़ियों के टूटे फूटे पुर्जे चढ़ाते हैं. खूबसूरत वादियों के लिए जाने जाने वाले मंडी के करसोग में इस देवता को लोग वनशीरा देवता के नाम से जानते ही नहीं बल्कि पूरी शिद्दत से मानते भी हैं.

हादसों से बचाते हैं 'नंबर प्लेट वाले देवता.

हादसों से बचने के लिए यहां वनशीरा देवता के भक्त उन्हें भेंट में नंबर प्लेट और गाड़ियों के टूटे फूटे पुर्जे चढ़ाते हैं. लोगों की आस्था है कि ऐसा करने से देवता प्रसन्न रहते हैं और इलाके में कोई हादसा नहीं होता. विज्ञान के इस दौर में जहां हर चीज तर्क की कसौटी पर परखी जाती है. वहीं, करसोग के वनशीरा देवता पर स्थानीय लोगों का अटूट विश्वास है.

करसोग से करीब 25 किलोमीटर दूरी पर छतरी मार्ग पर नगेलडी इलाके में सड़क के पास आपको नंबर प्लेट और पुर्जे दिखाई दें तो समझ जाइये कि आप वनशीरा देवता की छत्र छाया में पहुंच गए हैं.

मान्यता है कि यही वनशीरा देवता लोगों को हादसों से बचाते हैं. लोग बताते है वनशीरा देवता पर स्थानीय लोगों की अटूट श्रद्धा है. चाहे कोई कितना भी जल्दी में क्यों न हो, वाहन चालक यहां रुकते हैं और वनशीरा देवता को नंबर प्लेट या गाड़ियों के पुर्जे चढ़ाकर पूजा अर्चना करते हैं और फिर अपनी मंजिल की तरफ बढ़ जाते हैं.

इतना ही नहीं लोग यह भी मानते हैं कि देवता वनों पर गिद्ध दृष्टि रखने वालों से भी बचाते हैं. उनके डर के कारण वनों के दुश्मन जंगल के पेड़ों को हाथ तक नहीं लगा सकते. यही कारण है कि यहां हमेशा वन संपदा पूरे शबाब पर रहती है. कई लोग वनशीरा देवता को जंगल का राजा भी कहते हैं. वन संपदा की रक्षा करने के लिए उनकी पूजा-अर्चना करते हैं.

करसोग ( हिमाचल प्रदेश ): ईटीवी भारत अपनी खास सीरीज 'रहस्य' में कुछ ऐसे ही अविश्वसनीय रहस्यों के बारे में आपको बताता रहा है. आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हादसों से आए दिन रोज कई लोग असमय ही काल के गाल में समा जाते हैं. आंकड़े बताते हैं कि देश में हर साल लाखों लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवाते हैं, लेकिन बात देवभूमि हिमाचल की हो तो यहां एक देवता ऐसे भी जो हादसों से बचाते हैं.

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हिमाचल को यूं हीं देवभूमि नहीं कहते, यहां हर जगह देवताओं का वास है, लेकिन वनशीरा देवता की कहानी किसी रहस्य से कम नहीं है. मंडी के करसोग में हादसों से बचने के लिए यहां वनशीरा देवता के भक्त उन्हें भेंट में नंबर प्लेट और गाड़ियों के टूटे फूटे पुर्जे चढ़ाते हैं. खूबसूरत वादियों के लिए जाने जाने वाले मंडी के करसोग में इस देवता को लोग वनशीरा देवता के नाम से जानते ही नहीं बल्कि पूरी शिद्दत से मानते भी हैं.

हादसों से बचाते हैं 'नंबर प्लेट वाले देवता.

हादसों से बचने के लिए यहां वनशीरा देवता के भक्त उन्हें भेंट में नंबर प्लेट और गाड़ियों के टूटे फूटे पुर्जे चढ़ाते हैं. लोगों की आस्था है कि ऐसा करने से देवता प्रसन्न रहते हैं और इलाके में कोई हादसा नहीं होता. विज्ञान के इस दौर में जहां हर चीज तर्क की कसौटी पर परखी जाती है. वहीं, करसोग के वनशीरा देवता पर स्थानीय लोगों का अटूट विश्वास है.

करसोग से करीब 25 किलोमीटर दूरी पर छतरी मार्ग पर नगेलडी इलाके में सड़क के पास आपको नंबर प्लेट और पुर्जे दिखाई दें तो समझ जाइये कि आप वनशीरा देवता की छत्र छाया में पहुंच गए हैं.

मान्यता है कि यही वनशीरा देवता लोगों को हादसों से बचाते हैं. लोग बताते है वनशीरा देवता पर स्थानीय लोगों की अटूट श्रद्धा है. चाहे कोई कितना भी जल्दी में क्यों न हो, वाहन चालक यहां रुकते हैं और वनशीरा देवता को नंबर प्लेट या गाड़ियों के पुर्जे चढ़ाकर पूजा अर्चना करते हैं और फिर अपनी मंजिल की तरफ बढ़ जाते हैं.

इतना ही नहीं लोग यह भी मानते हैं कि देवता वनों पर गिद्ध दृष्टि रखने वालों से भी बचाते हैं. उनके डर के कारण वनों के दुश्मन जंगल के पेड़ों को हाथ तक नहीं लगा सकते. यही कारण है कि यहां हमेशा वन संपदा पूरे शबाब पर रहती है. कई लोग वनशीरा देवता को जंगल का राजा भी कहते हैं. वन संपदा की रक्षा करने के लिए उनकी पूजा-अर्चना करते हैं.

Intro:देवभूमि हिमाचल में देवी देवताओं के चमत्कारी शक्तियों पर आज भी लोगों की अटूट आस्था है। फिर चाहे ये देवी देवता मंदिरों में रहते हो या फिर घने जंगलों में खुले स्थान पर वास करते हों लोगों इस वैज्ञानिक युग मे दैविक शक्तियों पर पहले ही जैसा विश्वास कायम है। यहां बात कर रहे हैं ऐसी देव शक्ति की जो वाहन चालकों सड़क हादसों से बचाते हैं। करसोग से करीब 25 किलोमीटर दूर छतरी मार्ग पर नगैलडी नामक स्थान पर सड़क के बिल्कुल साथ एक ऐसा ही देव स्थल है,Body: जहां देवता घने जंगल के बीच पेड़ों में वास करता है। ग्रामीण इसे वंनशीरा देवता के नाम से पूजते हैं । मान्यता है कि वनशीरा देवता इस सड़क मार्ग से गुजरने वाले सभी वाहन चालकों की रक्षा करते हैं। यही नहीं ये देवता यहां स्थित जंगलों को वन कटुओं से भी बचाते हैं। तभी आसपास आज भी देवदार घने जंगल मौजूद है। इसलिए वनशीरा देवता को जंगल का भी राजा कहा जाता है। चमत्कारी शक्ति को देखते हुए यहां से गुजरने वाला हर चालक वनशीरा देवता के पास से नतमस्तक होकर गुजरता है और हर चालक यहां धूप भी बत्ती भी करते हैं। देवता के प्रति आपार आस्था के कारण यहां वाहनों के टूटे-फूटे कल पुर्जे वह गाड़ियों के नंबर प्लेट भी लगाई जाती हैं। मान्यता के मुताबिम इसके चढ़ाने से वाहनों को किसी भी प्रकार के खतरे का अंदेशा नहीं रहता है जो यह सुरक्षा की पूरी गारंटी माना जाता है। इसके साथ यहां शिकारी माता का भी मंदिर है, इसमे आज तक छत नहीं डाली गई है। माता यहां खुले पर ही रहना पसंद करती है स्थानीय लोगों का कहना है कि इस देवता के प्रति लोगों में भारी आस्था है और यहां से आने जाने वाला हर चालक यहां पर रुकता है और माथा टेकता है और यह वंनशीरा देवता सभी की हमेशा रक्षा करता है। Conclusion:इस बारे में शेर सिंह का कहना है कि वाहन चालक वनशीरा देवता के पास रुकता है और गाड़ी की नम्बर प्लेट इस स्थान पर चढ़ाई जाती है। ऐसे वाहनों को आजतक कोई नुकसान नहीं हुआ है।
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