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महाभारत कालीन इस शिव मंदिर में द्रोणाचार्य को हुई थी पुत्र की प्राप्ति, हर मनोकामना होती पूरी

श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बने पौराणिक शिव मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है. देहरादून से 10-12 किलोमीटर की दूर नालापानी रोड पर तपोवन में स्थित रुद्रेश्वर महादेव का मंदिर महाभारत कालीन है.

महाभारत कालीन शिव मंदिर.
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Published : Jul 24, 2019, 12:14 PM IST

Updated : Jul 24, 2019, 2:59 PM IST

देहरादून: प्रदेश में सावन माह के चलते कांवड़ियों की धूम मची हुई है. कई राज्यों से लोग गंगा जल लेने के लिए हरिद्वार पहुंच रहे हैं. श्रद्धालु अपनी मनोकामना लिए महादेव के दर्शन करने शिवालय आते हैं. ऐसा ही एक पौराणिक रुद्रेश्वर महादेव का मंदिर राजधानी देहरादून से 10-12 किलोमीटर की दूर नालापानी रोड पर तपोवन में स्थित है. मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना महाभारत काल में हुई थी.

महाभारत कालीन शिव मंदिर.

श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बने इस पौराणिक शिव मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है. जन मान्यता के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना महाभारत काल में हुई थी. मंदिर के महंत 108 प्रभुनन्द गिरी महाराज ने बताया कि शुरुआत में ये एक छोटा मंदिर था. इसी स्थान पर जंगलों के बीच गुरु द्रोणाचार्य ने महादेव शिव की तपस्या की थी, जिसके बाद गुरु द्रोणाचार्य की तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव ने दर्शन दिए थे. साथ ही पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया था.

ये भी पढ़ें: जल्द खुलेगी चीन बॉर्डर की सड़कें, त्रिवेंद्र सरकार का सीमाओं के विकास पर फोकस

बता दें कि सूबे की राजधानी देहरादून को द्रोण नगरी भी कहा जाता है. महाभारत काल में कौरव और पांडवों को गुरु द्रोणाचार्य ने इसी स्थान पर बाण शास्त्र की शिक्षा दी थी. आज इस मंदिर का जीर्णोंद्धार हो हो गया है और जिसके बाद ये मंदिर भव्य रूप ले चुका है. साथ ही यहां प्रवेश करते समय सबसे पहले बाएं हाथ मे महादेव की भव्य प्रतिमा के दर्शन होंगे. इसके अलावा गुरु द्रोणाचार्य की प्रतिमा भी स्थापित की गई है. साथ ही यहां कई अन्य तपस्वियों की समाधियों के भी दर्शन किए जा सकते हैं.

देहरादून: प्रदेश में सावन माह के चलते कांवड़ियों की धूम मची हुई है. कई राज्यों से लोग गंगा जल लेने के लिए हरिद्वार पहुंच रहे हैं. श्रद्धालु अपनी मनोकामना लिए महादेव के दर्शन करने शिवालय आते हैं. ऐसा ही एक पौराणिक रुद्रेश्वर महादेव का मंदिर राजधानी देहरादून से 10-12 किलोमीटर की दूर नालापानी रोड पर तपोवन में स्थित है. मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना महाभारत काल में हुई थी.

महाभारत कालीन शिव मंदिर.

श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बने इस पौराणिक शिव मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है. जन मान्यता के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना महाभारत काल में हुई थी. मंदिर के महंत 108 प्रभुनन्द गिरी महाराज ने बताया कि शुरुआत में ये एक छोटा मंदिर था. इसी स्थान पर जंगलों के बीच गुरु द्रोणाचार्य ने महादेव शिव की तपस्या की थी, जिसके बाद गुरु द्रोणाचार्य की तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव ने दर्शन दिए थे. साथ ही पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया था.

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बता दें कि सूबे की राजधानी देहरादून को द्रोण नगरी भी कहा जाता है. महाभारत काल में कौरव और पांडवों को गुरु द्रोणाचार्य ने इसी स्थान पर बाण शास्त्र की शिक्षा दी थी. आज इस मंदिर का जीर्णोंद्धार हो हो गया है और जिसके बाद ये मंदिर भव्य रूप ले चुका है. साथ ही यहां प्रवेश करते समय सबसे पहले बाएं हाथ मे महादेव की भव्य प्रतिमा के दर्शन होंगे. इसके अलावा गुरु द्रोणाचार्य की प्रतिमा भी स्थापित की गई है. साथ ही यहां कई अन्य तपस्वियों की समाधियों के भी दर्शन किए जा सकते हैं.

Intro:Desk please Note -This is a SAWAN SPECIAL STORY. I have compiled all the visuals together in a pkg Format . please Manage the Voiceover . देहरादून- सूबे की राजधानी देहरादून अपनी खूबसूरती के लिए देश भर में अपनी अलग पहचान रखता है। साथ ही हर साल यहां दूर-दूर से लोग कई पौराणिक मंदिरों के देशनों के लिए भी पहुँचते हैं । सावन माह के इस पवित्र महीने में आज ईटीवी भारत आपको देहरादून के एक ऐसे ही पौराणिक शिव मंदिर के दर्शन कराने जा रहा है । जो देहरादून मुख्य शहर से लगभग 10-12 किलोमीटर की दूरी पर तपोवन में नालापानी रोड़ पर स्थित है । यह पौराणिक मंदिर है रुद्रेश्वर महादेव शिव मंदिर । जिसकी महाभारत काल में यहां स्थापना की गई थी । यह मंदिर शहर के शोर- गुल से दूर तपोवन के हरे-भरे जंगलों के किनारे स्थित है ।


Body:इस पौराणिक शिव मंदिर के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए मंदिर के महंत 108 प्रभुनन्द गिरी महाराज बताते हैं कि शुरुआत में यह एक छोटा मंदिर हुआ करता था । इसी स्थान पर जंगलों के बीच गुरु द्रोणाचार्य ने महादेव शिव की तपस्या की की थी । जिसके बाद गुरु द्रोणाचार्य की तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव उन्हें अपने दर्शन दिए थे। वही आपकी जानकारी के लिए भी बता दें कि सूबे की राजधानी देहरादून को द्रोण नगरी यूं ही नही कहा जाता है । महाभारत काल में कौरव और पांडवों को गुरु द्रोणाचार्य ने इसी स्थान पर बाण शास्त्र की शिक्षा दी थी ।


Conclusion:गौरतलब है कि आज इस मंदिर का जीणोद्धार हो चुका है । ऐसे में यह मंदिर एक विशाल रूप ले चुका है । यहां प्रवेश करते कि जहां आपको सबसे पहले बाएं हाथ मे महादेव की भव्य प्रतिमा के दर्शन होंगे । इसके अलावा सामने की ओर गुरु दोर्णाचार्य की प्रतिमा भी ल स्थापित की गई है । वहीं इस मंदिर में आज आप विभिन्न हिन्दू देवी देवताओं के दर्शन कर सकते हैं । साथ ही यहां कई अन्य तपस्वियों की समाधियों के भी दर्शन किए जा सकते हैं।
Last Updated : Jul 24, 2019, 2:59 PM IST
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