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प्रदेश के धाकड़ कांग्रेसी विधायक अपने ही क्षेत्र में नहीं दिला पाए वोट, खतरे में पड़ सकती है विधायकी?

विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा ने प्रचंड बहुमत हासिल कर प्रदेश की 70 विधानसभाओं में से 57 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि सत्ता में रहने वाली कांग्रेस को महज 11 विधानसभा सीटों पर ही संतुष्ट होना पड़ा. वहीं अब तस्वीर बदल चुकी है, जो कांग्रेस के लिए और भी निराशाजनक है.

कांग्रेसी विधायक अपने ही क्षेत्र में नहीं दिला पाए वोट.
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Published : May 25, 2019, 7:23 PM IST

देहरादून: लोकसभा चुनाव में बीजेपी की प्रचंड जीत विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस के लिए परेशानी बन सकती है. साथ ही विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कुछ विधायकों पर हार का खतरा भी मंडराने लगा है. देखिए ईटीवी भारत की ये खास रिपोर्ट...

विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा ने प्रचंड बहुमत हासिल कर प्रदेश की 70 विधानसभाओं में से 57 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि सत्ता में रहने वाली कांग्रेस को महज 11 विधानसभा सीटों पर ही संतुष्ट होना पड़ा. वहीं अब तस्वीर बदल चुकी है, जो कांग्रेस के लिए और भी निराशाजनक है.

कांग्रेसी विधायक अपने ही क्षेत्र में नहीं दिला पाए वोट.

8 विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी ने बढ़ाई बढ़त
दरअसल, प्रदेश में 70 में से 65 विधानसभाओं में भाजपा ने कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा वोट हासिल किए हैं. जिसका साफ मतलब है कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में पाए प्रचंड बहुमत से भी 8 विधानसभा ज्यादा का बहुमत मिला है. ऐसे में इन लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए 7 कांग्रेसी विधायकों पर हार का खतरा मंडरा सकता है.

ज्वालापुर विधानसभा से कांग्रेस निकली आगे
वहीं प्रदेश में एक सीट ऐसी भी है, जहां भाजपा विधायक होने के बावजूद पार्टी इसे हार गई है. यह सीट ज्वालापुर की है, जहां 4137 वोट से कांग्रेस आगे रही है. दो निर्दलीय विधायकों की सीटों पर भाजपा ने जबरदस्त वोटों से बढ़त बनाए रखी. ऐसे में अब बीजेपी विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस का सूपड़ा साफ करने का दम भर रही है.

प्रदेश में बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में पांचों लोकसभा सीटों पर परचम लहराया था. इसके बाद हुए 2017 के विधानसभा चुनाव में भी भारी बहुमत से सरकार आई. वहीं, बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2019 में पांचों सीटों पर जीत हासिल कर कांग्रेस का क्लीन स्वीप कर दिया, जिसके मद्देनजर आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस के लिए भी खतरा पैदा हो गया है.

लोकसभा चुनाव 2019 में अपनी विधानसभा में पिछड़ने वाले कांग्रेसी विधायक

  • नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के विधानसभा से कांग्रेस बीजेपी के मुकाबले 2661 वोटों से पीछे रही.
  • पुरोला विधायक राजकुमार के विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस 7655 वोटों से पीछे रही.
  • केदारनाथ विधायक मनोज रावत की विधानसभा से कांग्रेस 21977 वोटों से पीछे रही.
  • धारचूला विधायक हरीश धामी के क्षेत्र से कांग्रेस 12266 वोटों से पीछे रही.
  • जागेश्वर विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल के विधायकी क्षेत्र से कांग्रेस 7944 वोटों से पीछे रही.
  • जसपुर से विधायक आदेश चौहान के क्षेत्र से कांग्रेस 5412 वोट पीछे रही.
  • रानीखेत से विधायक करन महारा के क्षेत्र से कांग्रेस 4981 वोट से पीछे रही.

वहीं, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने विधायकी क्षेत्र से बढ़त बना के रखी

  • चकराता से विधायक और प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह 4786 वोट से आगे रहे.
  • भगवानपुर से विधायक ममता राकेश 5193 वोट से आगे रहे.
  • पिरान कलियर से विधायक फुरकान अहमद 10159 वोट से आगे रहे.
  • मंगलौर से विधायक काजी निजामुद्दीन 8198 वोट से आगे रहे.

देहरादून: लोकसभा चुनाव में बीजेपी की प्रचंड जीत विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस के लिए परेशानी बन सकती है. साथ ही विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कुछ विधायकों पर हार का खतरा भी मंडराने लगा है. देखिए ईटीवी भारत की ये खास रिपोर्ट...

विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा ने प्रचंड बहुमत हासिल कर प्रदेश की 70 विधानसभाओं में से 57 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि सत्ता में रहने वाली कांग्रेस को महज 11 विधानसभा सीटों पर ही संतुष्ट होना पड़ा. वहीं अब तस्वीर बदल चुकी है, जो कांग्रेस के लिए और भी निराशाजनक है.

कांग्रेसी विधायक अपने ही क्षेत्र में नहीं दिला पाए वोट.

8 विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी ने बढ़ाई बढ़त
दरअसल, प्रदेश में 70 में से 65 विधानसभाओं में भाजपा ने कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा वोट हासिल किए हैं. जिसका साफ मतलब है कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में पाए प्रचंड बहुमत से भी 8 विधानसभा ज्यादा का बहुमत मिला है. ऐसे में इन लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए 7 कांग्रेसी विधायकों पर हार का खतरा मंडरा सकता है.

ज्वालापुर विधानसभा से कांग्रेस निकली आगे
वहीं प्रदेश में एक सीट ऐसी भी है, जहां भाजपा विधायक होने के बावजूद पार्टी इसे हार गई है. यह सीट ज्वालापुर की है, जहां 4137 वोट से कांग्रेस आगे रही है. दो निर्दलीय विधायकों की सीटों पर भाजपा ने जबरदस्त वोटों से बढ़त बनाए रखी. ऐसे में अब बीजेपी विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस का सूपड़ा साफ करने का दम भर रही है.

प्रदेश में बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में पांचों लोकसभा सीटों पर परचम लहराया था. इसके बाद हुए 2017 के विधानसभा चुनाव में भी भारी बहुमत से सरकार आई. वहीं, बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2019 में पांचों सीटों पर जीत हासिल कर कांग्रेस का क्लीन स्वीप कर दिया, जिसके मद्देनजर आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस के लिए भी खतरा पैदा हो गया है.

लोकसभा चुनाव 2019 में अपनी विधानसभा में पिछड़ने वाले कांग्रेसी विधायक

  • नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के विधानसभा से कांग्रेस बीजेपी के मुकाबले 2661 वोटों से पीछे रही.
  • पुरोला विधायक राजकुमार के विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस 7655 वोटों से पीछे रही.
  • केदारनाथ विधायक मनोज रावत की विधानसभा से कांग्रेस 21977 वोटों से पीछे रही.
  • धारचूला विधायक हरीश धामी के क्षेत्र से कांग्रेस 12266 वोटों से पीछे रही.
  • जागेश्वर विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल के विधायकी क्षेत्र से कांग्रेस 7944 वोटों से पीछे रही.
  • जसपुर से विधायक आदेश चौहान के क्षेत्र से कांग्रेस 5412 वोट पीछे रही.
  • रानीखेत से विधायक करन महारा के क्षेत्र से कांग्रेस 4981 वोट से पीछे रही.

वहीं, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने विधायकी क्षेत्र से बढ़त बना के रखी

  • चकराता से विधायक और प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह 4786 वोट से आगे रहे.
  • भगवानपुर से विधायक ममता राकेश 5193 वोट से आगे रहे.
  • पिरान कलियर से विधायक फुरकान अहमद 10159 वोट से आगे रहे.
  • मंगलौर से विधायक काजी निजामुद्दीन 8198 वोट से आगे रहे.
Intro:उत्तराखंड में आज की तारीख में विधानसभा चुनाव हुए तो क्या प्रचंड बहुमत को भी पार कर देगी भाजपा... जी हां लोकसभा चुनाव मैं आए परिणाम तो कुछ इसी ओर इशारा कर रहे हैं। आपको बताते हैं कि कैसे लोकसभा के चुनाव उत्तराखंड में 2022 के लिए कांग्रेस की खतरे की घंटी बन गए हैं और वो कौन से कांग्रेस के विधायक हैं जिन पर आगामी विधानसभा चुनाव में हार का खतरा मंडराने लगा है। देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट


Body:विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा ने प्रचंड बहुमत हासिल कर प्रदेश की 70 विधानसभाओं में से 57 सीटों पर जीत हासिल की.... जबकि सत्ता में रहने वाली कांग्रेस को महज 11 विधानसभा सीटों पर ही संतुष्ट होना पड़ा। लेकिन अब तस्वीर बदल चुकी है लोकसभा चुनाव 2019 में विधानसभा के लिहाज से तस्वीर में बदलाव तो हुआ है लेकिन यह बदलाव कांग्रेस के लिए और भी निराशाजनक है दरअसल उत्तराखंड में 70 विधानसभाओं में से 65 विधानसभाओं में भाजपा ने कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा वोट हासिल किए हैं। यानी 2017 के विधानसभा चुनाव में पाए प्रचंड बहुमत से भी 8 विधानसभा ज्यादा.... ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि आज की तारीख में चुनाव हो तो कांग्रेस के 7 जीते हुए विधायकों पर भी हार का खतरा मंडरा सकता है।

लोकसभा चुनाव में अपनी विधानसभा से पिछड़ने वाले कांग्रेस विधायक

नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश 2661 वोटों से रही भाजपा के मुकाबले पीछे

पुरोला विधायक राजकुमार 7655 वोटों से रहे पीछे

केदारनाथ विधायक मनोज रावत 21977 वोटों से रहे पीछे

धारचूला विधायक हरीश धामी 12266 वोटों से पीछे

जागेश्वर से विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल 7944 वोटों से पीछे

जसपुर से विधायक आदेश चौहान 5412 वोट पीछे

रानीखेत से विधायक करन महारा 4981 वोट से रहे पीछे

कांग्रेस के विधायक जिन्होंने अपनी विधानसभा में बढ़त बरकरार रखी

चकराता से विधायक और प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह 4786 वोट से आगे

भगवानपुर से विधायक ममता राकेश 5193 वोट से आगे

पिरान कलियर से विधायक फुरकान अहमद 10159 वोट से आगे

मंगलौर से विधायक काजी निजामुद्दीन 8198 वोट से आगे

उत्तराखंड में एक सीट ऐसी भी है जहां भाजपा का विधायक होने के बावजूद पार्टी इसे हार गई यह सीट ज्वालापुर की है जहां 4137 वोट से कांग्रेस आगे रही। जबकि दो निर्दलीय विधायकों की सीटों पर भाजपा ने जबरदस्त वोटों से बढ़त बनाए रखी। ऐसे में अब भाजपा 2022 में कांग्रेस का सूपड़ा साफ करने का दम भर रही है।

बाइट विरेंद्र बिष्ट प्रदेश प्रवक्ता भाजपा

उधर लोकसभा चुनाव के परिणामों से आहट कांग्रेस अब 2022 के चुनाव की तैयारियों को करने की बात कह रही है कांग्रेस का मानना है कि अब संगठनात्मक रूप से मंथन करने की जरूरत है ताकि आने वाले चुनाव में कांग्रेस एक बार फिर उठकर खड़ी हो जाए।

बाइट गरिमा दसौनी प्रदेश प्रवक्ता कांग्रेस




Conclusion:2014 के लोकसभा चुनाव में भी उत्तराखंड में भाजपा ने पांचों लोकसभा सीटों पर परचम लहराया था और इसके बाद हुए 2017 के विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत ला कर सभी को चौंका दिया था ऐसे में एक बार फिर पांचों सीटों पर लोकसभा मे जीत ने आगामी 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर भी कांग्रेस के लिए खतरा पैदा कर दिया है।

पीटीसी नवीन उनियाल देहरादून
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