देहरादून: उत्तराखंड में इन दिनों किसी मुद्दे और किसी नेता की अगर सबसे अधिक चर्चा है तो उस केंद्र बिंदु में सबसे पहला नाम खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार का आता है. इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी राज्य की राजनीति में इन दिनों खूब चर्चाओं में हैं. साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी अपने कुछ फैसलों पर यू-टर्न लेने को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं. त्रिवेंद्र और धामी के बीच बढ़ती दूरियां रोजाना जगजाहिर हो रही हैं. इनको और भी बल तब मिला जब सरकार ने त्रिवेंद्र के सीएम रहते पत्रकार और अब विधायक बने उमेश शर्मा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की थी. जिसके बाद धामी सरकार ने इस एसएलपी को वापस लेने का मन बनाया और बकायदा इसके आदेश भी जारी किये, लेकिन अचानक सीएम धामी ने अपने इस फैसले को बदल लिया. ये क्यों हुआ? इसकी वजह हम आपको बताने जा रहे हैं.
त्रिवेंद्र-उमेश कुमार के बीच क्या है विवाद: त्रिवेंद्र सिंह रावत जब सत्ता में थे तब पत्रकारिता कर रहे उमेश शर्मा ने आरोप लगाया था कि 2016 में झारखंड के 'गौ सेवा आयोग' के अध्यक्ष पद पर एक व्यक्ति की नियुक्ति को लेकर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने घूस ली. ये आरोप इतने गंभीर थे कि राज्य में बवाल मच गया. उन्होंने कहा कि जब ये सब हुआ तब त्रिवेंद्र रावत बीजेपी के झारखंड प्रभारी थे. उन्होंने आरोप लगाते हुए दावा किया था कि घूस की रकम उनके रिश्तेदारों के खातों में ट्रांसफर की गई. जिसके बाद इस मामले में प्रोफेसर हरेंद्र सिंह रावत का नाम आया.
बताया गया कि हरेंद्र सिंह रावत ने 31 जुलाई, 2020 को देहरादून थाने में उमेश कुमार शर्मा के खिलाफ ब्लैकमेलिंग करने सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया. मुकदमे के अनुसार, उमेश शर्मा ने सोशल मीडिया में खबर चलाई थी कि हरेंद्र सिंह रावत व उनकी पत्नी डॉ. सविता रावत के खाते में नोटबंदी के दौरान झारखंड से अमृतेश चौहान ने पैसे जमा किये और यह पैसे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को देने को कहा गया. साथ ही इस खबर में डॉ. सविता रावत को पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र की पत्नी की सगी बहन बताया गया.
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पत्रकार उमेश कुमार ने आरोप लगाया था कि 2016 में झारखंड के 'गौ सेवा आयोग' के अध्यक्ष पद पर एक व्यक्ति की नियुक्ति को लेकर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यह घूस ली थी. उधर, प्रो. हरेंद्र सिंह रावत ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि ये सभी तथ्य निराधार हैं. उमेश शर्मा ने बैंक के कागजात फर्जी बनवाएं हैं. उसने उनके बैंक खातों की सूचना गैरकानूनी तरीके से प्राप्त की है. इसके बाद त्रिवेंद्र सरकार ने उमेश कुमार शर्मा पर गैंगस्टर एक्ट भी लगा दिया. अपने खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद उमेश शर्मा ने अपनी गिरफ्तारी पर रोक के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की. उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल व अन्य ने पैरवी की. बाद में त्रिवेंद्र सरकार ने उमेश शर्मा पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कर जेल भी भेजा.
उधर, साल 2020 में उत्तराखंड हाई कोर्ट ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ गंभीर आरोपों को देखते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिये थे. कोर्ट ने यह आदेश उमेश शर्मा व अन्य के खिलाफ राजद्रोह मामले में सुनवाई के बाद दिया. कोर्ट ने पत्रकार के खिलाफ चल रहे राजद्रोह के मामले को भी रद्द कर दिया. बाद में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका यानी एसएलपी सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी. तब त्रिवेंद्र सीएम थे और सरकार उनकी थी तो सरकार की ओर से भी मामला दायर किया गया. इसी एसएलपी को कुछ दिनों पहले धामी सरकार ने वापस लेने का मन बनाया था.
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संगठन ने भी किया हस्तक्षेप: कहा जा रहा है की बीते दिनों निशंक और धामी की मुलाकात हुई. इसके साथ ही बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने भी दिल्ली में नेताओं से मुलाकात की. जिसमें त्रिवेंद्र और धामी के बीच चल रही बयानबाजी का भी मुद्दा उठाया गया. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी दिल्ली में अपना पक्ष रखा. बाद में ये तय हुआ की धामी सरकार त्रिवेंद्र सिंह रावत के मामले में किसी और नेता का पक्ष नहीं लेगी. लिहाजा, उमेश कुमार मामले में एसएलपी वापस नहीं ली जाएगी. जिसके बाद बीजेपी अध्यक्ष और खुद सरकार के मुखिया धामी ने इस बात की पुष्टि भी की.
उमेश शर्मा को इस वजह से भी हुआ नुकसान: हरिद्वार की खानपुर विधान सीट से विधायक उमेश कुमार शर्मा अपने क्षेत्र के साथ-साथ अपने राज्य के नेताओं पर भी खूब हमलावर रहते हैं. साथ ही लगातार मौजूदा सांसद और पूर्व सीएम निशंक के खिलाफ भी वो महीनों से मोर्चा खोले हुए हैं. कहा जा रहा है कि ये भी एक बड़ी वजह है कि धामी ने अपना फैसला पलटा है. इसके साथ ही त्रिवेंद्र ने भी पार्टी के सामने अपना पक्ष रखा. जिसके बाद उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर की. इसके बाद भी धामी को अपने हाथ पीछे खींचने पड़े. इस मामले में जब हमने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से बात करने की कोशिश की तो उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है.
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क्या कहते हैं उमेश शर्मा: सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी और त्रिवेंद्र सिंह रावत से सेटलमेंट को लेकर खानपुर विधायक उमेश कुमार से ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ किरनकांत शर्मा (ETV bharat bureau chief Kiran Kant Sharma) ने बात की. एसएलपी मामले पर उमेश कुमार (umesh kumar on slp case) ने कहा कि मुझे नहीं मालूम की क्या हुआ, सरकार इतने दवाब में आ गई है ये तो सरकार के लोग ही जाने, लेकिन इतना तय है कि मेरे खिलाफ एक पूरा धड़ा खड़ा हो गया है. जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के ही नेता शामिल हैं. उमेश कुमार ने कहा कि मैंने शुरू से अकेले ही लड़ाई है, जो आगे भी जारी रहेगी.
सेटलमेंट मामले पर क्या बोले उमेश कुमार: वहीं, त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ सेटलमेंट के मामले पर उमेश कुमार ने कहा कि क्रिमिनल केस में कोर्ट के बाहर सेटलमेंट नहीं होते. उन्होंने कहा कि वो इस मामले में कोई वादी नहीं हैं और उन्होंने कोई याचिका सुप्रीम कोर्ट में डाली ही नहीं. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में चल रहे सभी मामलों में वो प्रतिवादी हैं. सभी केस उनके खिलाफ हैं. ऐसे में वो केवल अपने केस वापस ले सकते हैं.
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कोर्ट, सड़क और सदन के माध्यम से लड़ते रहेंगे जनता की लड़ाई: विधायक उमेश कुमार ने कहा कि वो किसी से डरने वालों में नहीं हैं. उनकी कुंडली में ही लिखा है जहां वो रहेंगे, वहां उनके विरोधी ही विरोधी रहेंगे. उमेश कुमार ने कहा कि सभी लोग अपने असतित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. इन सभी के अस्तित्व को उनसे खतरा है. जिसके कारण ये सभी मिलकर एक हो गये हैं. उमेश कुमार ने कहा कि वो अपनी लड़ाई कोर्ट, सड़क और सदन के माध्यमों से जनता की लड़ाई लड़ रहे हैं.