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देशव्यापी हीट वेव के खतरे से उत्तराखंड महफूज, ग्लोबल वार्मिंग से पर्यावरण को चुनौती - उत्तराखंड में मौसम

गर्मी का मौसम शुरू होते ही हीट वेव का खतरा अपने चरम पर पहुंच जाता है. भारत के लिए तो यह मुद्दा किसी बड़े खतरे की आहट जैसा है. भारतीय मौसम विभाग इस खतरे को अपनी नई रिपोर्ट में जाहिर कर रहा है. उत्तराखंड फिलहाल इस साल हीट वेव के खतरे से दूर कुछ राहत भरी स्थिति में दिख रहा है. हालांकि गर्मियों के मौसम में हीट वेव और लू उत्तराखंडियों के लिए भी बड़ी परेशानी रहा है.

heat wave in uttarakhand
हीट वेव समाचार
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Published : Apr 28, 2023, 11:45 AM IST

Updated : Apr 28, 2023, 2:37 PM IST

हीट वेव के खतरे से उत्तराखंड महफूज

देहरादून: जलवायु परिवर्तन दुनिया के लिए इस वक्त की सबसे बड़ी चिंता है, खास बात यह है कि दुनिया भर के तमाम देशों में इसका सीधा असर भी दिखाई देने लगा है. इसी में एक हीट वेव के दिनों का बढ़ना भी है, जिसने भारत जैसे देशों के लिए सबसे ज्यादा चिंताएं बढ़ा दी हैं.

50 साल में हीट वेव ने देश में ढाया कहर: पूर्व में हीट वेव को लेकर की गई स्टडी के दौरान पाया गया कि पिछले 50 सालों के दौरान करीब 17,000 लोगों को इससे अपनी जान गंवानी पड़ी है. उधर चिंता इसलिए भी बढ़ गई है, क्योंकि लगातार देश में हीट वेव के दिनों की संख्या बढ़ रही है. खास बात यह है कि देशभर में जहां हीट वेव के दिनों में 5 गुना तक बढ़ोत्तरी हुई है, तो उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में भी इसका खतरा बढ़ रहा है. सबसे पहले जानिए कि क्या है हीटवेव और इससे किस तरह होता है नुकसान.

  • हीट वेट को समझिए:
    ग्लोबल वार्मिंग के दौर में तापमान का सामान्य से कई डिग्री ऊपर जाना हीट वेव कहलाता है
    मौसम विभाग के मानक के लिहाज से 40 डिग्री से 4 डिग्री सेल्सियस तक अधिक तापमान हीट वेव में दिया जाता है
    6 से 7 डिग्री तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने पर इसे भीषण गर्मी के रूप में रिकॉर्ड किया जाता है
    पहाड़ी जनपदों में यह मानक 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक का है
    सामान्य से 5 डिग्री सेल्सियस तक ऊपर तापमान भी हीट वेव की कैटेगरी में डाला जाता है
    इस दौरान गर्म हवाओं की लहर को लू कहा जाता है
    गर्मी की सामान्य से कई डिग्री ज्यादा की तपिश के चलते लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है

उत्तराखंड में भी रहा है हीट वेव का इतिहास: उत्तराखंड में अधिकतर क्षेत्र पहाड़ी होने के बावजूद हीट वेव का प्रकोप बढ़ता हुआ दिखाई दिया है. उधर आंकड़े भी इस बात की तस्दीक करते हैं कि राज्य में हीट वेव वाले दिन बढ़ रहे हैं और यह किसी बुरे संकेत से कम नहीं है. भारतीय मौसम विभाग की एक रिपोर्ट यह भी कहती है कि पड़ोसी राज्य हिमाचल और पूर्वोत्तर में असम राज्य में साल 2011 के बाद एक भी हीट वेव का दिन रिकॉर्ड नहीं किया गया. इस लिहाज से उत्तराखंड की चिंता और भी ज्यादा बढ़ जाती है. अब उत्तराखंड में हीट वेव को लेकर रिकॉर्ड को भी समझिए.

  • उत्तराखंड में कब-कब आई हीट वेव:
    उत्तराखंड में साल 2022 के दौरान 28 हीट वेव के दिन रिकॉर्ड किए गए
    2021 में मात्र 7 दिन लू और हीट वेव का प्रकोप रहा
    साल 2020 में एक भी दिन हीट वेव वाला नहीं था
  • देश में हीट वेव का रिकॉर्ड:
    राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो जहां 2021 में 36 दिन हीट वेव के रिकॉर्ड किए गए
    2022 में भारत में 5 गुना ज्यादा यानी 203 दिन हीट वेव वाले रिकॉर्ड हुए
    देश की राजधानी दिल्ली समेत मध्य और उत्तर पश्चिम भारत में हीट वेव का सबसे ज्यादा प्रकोप

इस साल उत्तराखंड में हीट वेव का खतरा नहीं: भारतीय मौसम विभाग की इस रिपोर्ट के बीच उत्तराखंड के लिए राहत भरी खबर यह है कि इस बार लगातार हो रही बारिश और बर्फबारी के कारण फिलहाल हीट वेव जैसे खतरे से राज्य दूर है. हालांकि फरवरी और मार्च के महीने में आकलन किया जा रहा था कि उत्तराखंड में इस बार भीषण गर्मी का प्रकोप हो सकता है. इससे हीट वेव के चलते लोगों की दिक्कतें बढ़ सकती हैं. लेकिन अप्रैल महीना आने के बाद भी मौसम के शुष्क नहीं होने के चलते आने वाले दिनों में भी हीट वेव की संभावना नहीं दिखाई दे रही.
ये भी पढ़ें: क्लाइमेट चेंज का निदान खोजने अल्मोड़ा में इकट्ठा हुए पर्यावरण विशेषज्ञ, कही ये बात

क्या कहते हैं मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक: उत्तराखंड मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह भी इस बात की तस्दीक करते हैं. विक्रम सिंह कहते हैं कि आने वाले करीब 1 महीने के दौरान भी तापमान के बहुत अधिक होने की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही. इस तरह से देखा जाए तो अब गर्मी के मौसम के लिहाज से जून महीना ही राज्य वासियों के लिए परेशानी भरा हो सकता है. हालांकि इस दौरान हीट वेव जैसे हालात होंगे, यह मौसम वैज्ञानिक नहीं मानते.

हीट वेव के खतरे से उत्तराखंड महफूज

देहरादून: जलवायु परिवर्तन दुनिया के लिए इस वक्त की सबसे बड़ी चिंता है, खास बात यह है कि दुनिया भर के तमाम देशों में इसका सीधा असर भी दिखाई देने लगा है. इसी में एक हीट वेव के दिनों का बढ़ना भी है, जिसने भारत जैसे देशों के लिए सबसे ज्यादा चिंताएं बढ़ा दी हैं.

50 साल में हीट वेव ने देश में ढाया कहर: पूर्व में हीट वेव को लेकर की गई स्टडी के दौरान पाया गया कि पिछले 50 सालों के दौरान करीब 17,000 लोगों को इससे अपनी जान गंवानी पड़ी है. उधर चिंता इसलिए भी बढ़ गई है, क्योंकि लगातार देश में हीट वेव के दिनों की संख्या बढ़ रही है. खास बात यह है कि देशभर में जहां हीट वेव के दिनों में 5 गुना तक बढ़ोत्तरी हुई है, तो उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में भी इसका खतरा बढ़ रहा है. सबसे पहले जानिए कि क्या है हीटवेव और इससे किस तरह होता है नुकसान.

  • हीट वेट को समझिए:
    ग्लोबल वार्मिंग के दौर में तापमान का सामान्य से कई डिग्री ऊपर जाना हीट वेव कहलाता है
    मौसम विभाग के मानक के लिहाज से 40 डिग्री से 4 डिग्री सेल्सियस तक अधिक तापमान हीट वेव में दिया जाता है
    6 से 7 डिग्री तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने पर इसे भीषण गर्मी के रूप में रिकॉर्ड किया जाता है
    पहाड़ी जनपदों में यह मानक 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक का है
    सामान्य से 5 डिग्री सेल्सियस तक ऊपर तापमान भी हीट वेव की कैटेगरी में डाला जाता है
    इस दौरान गर्म हवाओं की लहर को लू कहा जाता है
    गर्मी की सामान्य से कई डिग्री ज्यादा की तपिश के चलते लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है

उत्तराखंड में भी रहा है हीट वेव का इतिहास: उत्तराखंड में अधिकतर क्षेत्र पहाड़ी होने के बावजूद हीट वेव का प्रकोप बढ़ता हुआ दिखाई दिया है. उधर आंकड़े भी इस बात की तस्दीक करते हैं कि राज्य में हीट वेव वाले दिन बढ़ रहे हैं और यह किसी बुरे संकेत से कम नहीं है. भारतीय मौसम विभाग की एक रिपोर्ट यह भी कहती है कि पड़ोसी राज्य हिमाचल और पूर्वोत्तर में असम राज्य में साल 2011 के बाद एक भी हीट वेव का दिन रिकॉर्ड नहीं किया गया. इस लिहाज से उत्तराखंड की चिंता और भी ज्यादा बढ़ जाती है. अब उत्तराखंड में हीट वेव को लेकर रिकॉर्ड को भी समझिए.

  • उत्तराखंड में कब-कब आई हीट वेव:
    उत्तराखंड में साल 2022 के दौरान 28 हीट वेव के दिन रिकॉर्ड किए गए
    2021 में मात्र 7 दिन लू और हीट वेव का प्रकोप रहा
    साल 2020 में एक भी दिन हीट वेव वाला नहीं था
  • देश में हीट वेव का रिकॉर्ड:
    राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो जहां 2021 में 36 दिन हीट वेव के रिकॉर्ड किए गए
    2022 में भारत में 5 गुना ज्यादा यानी 203 दिन हीट वेव वाले रिकॉर्ड हुए
    देश की राजधानी दिल्ली समेत मध्य और उत्तर पश्चिम भारत में हीट वेव का सबसे ज्यादा प्रकोप

इस साल उत्तराखंड में हीट वेव का खतरा नहीं: भारतीय मौसम विभाग की इस रिपोर्ट के बीच उत्तराखंड के लिए राहत भरी खबर यह है कि इस बार लगातार हो रही बारिश और बर्फबारी के कारण फिलहाल हीट वेव जैसे खतरे से राज्य दूर है. हालांकि फरवरी और मार्च के महीने में आकलन किया जा रहा था कि उत्तराखंड में इस बार भीषण गर्मी का प्रकोप हो सकता है. इससे हीट वेव के चलते लोगों की दिक्कतें बढ़ सकती हैं. लेकिन अप्रैल महीना आने के बाद भी मौसम के शुष्क नहीं होने के चलते आने वाले दिनों में भी हीट वेव की संभावना नहीं दिखाई दे रही.
ये भी पढ़ें: क्लाइमेट चेंज का निदान खोजने अल्मोड़ा में इकट्ठा हुए पर्यावरण विशेषज्ञ, कही ये बात

क्या कहते हैं मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक: उत्तराखंड मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह भी इस बात की तस्दीक करते हैं. विक्रम सिंह कहते हैं कि आने वाले करीब 1 महीने के दौरान भी तापमान के बहुत अधिक होने की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही. इस तरह से देखा जाए तो अब गर्मी के मौसम के लिहाज से जून महीना ही राज्य वासियों के लिए परेशानी भरा हो सकता है. हालांकि इस दौरान हीट वेव जैसे हालात होंगे, यह मौसम वैज्ञानिक नहीं मानते.

Last Updated : Apr 28, 2023, 2:37 PM IST
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