देहरादून: गलवान घाटी में चीन की कायराना हरकत के बाद देशभर में आक्रोश है. देश के कोने-कोने में चाइनीज प्रोडक्ट्स के बहिष्कार की अपील के साथ प्रदर्शन हो रहे हैं. हर तरफ चीन के बॉयकॉट की गूंज सुनाई दे रही है. इसी के चलते उत्तराखंड के सितारगंज में मौजूद चीन की कंपनी 'योयो गो' पर भी तलवार लटक सकती है. इस कंपनी ने साल 2017 में मेक इन इंडिया के तहत 325 करोड़ का निवेश किया था. हालांकि अभी तक सरकार ने चाइनीज कंपनियों को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं किया है.
उत्तराखंड में हुए इन्वेस्टर समिट में विश्व के कई देशों की छोटी बड़ी कंपनियों को निवेश के लिए आमंत्रित किया गया था. जिसमें कई चीन की कंपनियों ने भी रुचि दिखाई थी. मगर अब देश में उपजे हालात और चीन के विरोध को लेकर उठ रही आवाजें इन कंपनियों के साथ-साथ सरकार की भी परेशानियां बढ़ सकती हैं.
पढ़ें- उत्तराखंड में गजराज बने दूसरे जानवरों के लिए चुनौती, 1400 मीटर की ऊंचाई तक दिखी उपस्थिति
साल 2017 में चाइना की कई कंपनियों ने मिलकर उत्तराखंड में तकरीबन छह हजार करोड़ के निवेश की सहमति जताई थी. यह कंपनियां सितारगंज और पंतनगर सिडकुल में लगनी थी. इनसे तकरीबन सवा लाख लोगों को रोजगार मिलना था. मगर तब से लेकर अब तक केवल चीन की एक ही कंपनी 'योयो गो' टैक्सटाइल प्राइवेट लिमिटेड उत्तराखंड पहुंची थी. इस कंपनी ने सिडकुल फेस टू में करीब 325 करोड़ का निवेश किया था. नवंबर, 2018 में कंपनी ने उत्पादन भी शुरू कर दिया था. ये कंपनी यहां तकरीबन 500 युवाओं को रोजगार दे रही है. अभी इस कंपनी में चीन के तकरीबन 6 अधिकारी और 150 वर्कर कार्यरत हैं.
पढ़ें- ETV BHARAT पर बाबा रामदेव का बड़ा बयान, दो हफ्ते में आ जाएगी कोरोना की दवा
देश में चाइना को लेकर बने मौजूदा हालातों के बाद ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि इस कंपनी को लेकर भी शासन स्तर पर कोई फैसला लिया जा सकता है. हालांकि, शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बातों को घुमाते हुए ही जवाब दिया. उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर हमें भी लोकल के लिए वोकल होना है. इसके तहत हमें अपने आस-पास के विकल्पों को तैयार करना है.