देहरादून: उत्तराखंड के पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने आज उनके रिश्तेदारों को नौकरी दिए जाने से जुड़ी नियुक्ति के वायरल पत्र पर अपनी मौन सहमति जता दी. पिछले दिनों से वायरल हो रहे पत्र में पूर्व शिक्षा मंत्री के एक नहीं बल्कि कई रिश्तेदारों को नौकरी दिए जाने से जुड़ा एक पत्र वायरल हुआ था. जिस पर जवाब देते हुए अरविंद पांडे वायरल पत्र में मौजूद नामों के उनका रिश्तेदार ना होने का खंडन नहीं कर पाए.
पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे (Former Minister Arvind Pandey) ने आखिरकार उस वायरल पत्र पर जवाब दे दिया है जिसको लेकर पिछले दिनों सोशल मीडिया में उनकी खूब किरकिरी हो रही थी. दरअसल, इस वायरल पत्र में अरविंद पांडे के कई रिश्तेदारों के नाम अशासकीय विद्यालयों में नियुक्ति दिए जाने वाली सूची में शामिल थे. अब तक अरविंद पांडे की तरफ से इसका खंडन नहीं किया गया था. आज जब अरविंद पांडे भाजपा कार्यालय में मीडिया से रूबरू हुए तो उन्होंने उस वायरल पत्र के सवाल पर अपना जवाब जरूर पेश कर दिया. बड़ी बात यह है कि अरविंद पांडे से इस सूची में मौजूद नामों की उनसे रिश्तेदारी को लेकर सवाल पूछा गया. उन्होंने इसका खंडन नहीं किया. एक तरह से इस सूची पर उन्होंने मौन सहमति दे दी.
बता दें इस सूची में शिक्षा विभाग में कई रिश्तेदारों को नौकरी देने के साथ ही पंचायत विभाग में भी एक रिश्तेदार के नौकरी लगने की बात कही गई थी. इस सूची में मौजूद नामों पर तो पूर्व मंत्री ने चुप्पी साध ली लेकिन उन्होंने इतना जरूर कहा कि वह किसी भी नियुक्ति को लेकर उन पर लगे आरोपों के लिए जांच को तैयार हैं. इस मामले में किसी भी तरह की जांच करवाई जाती है तो वह जांच एजेंसी को पूरा सहयोग करेंगे.
पूर्व मंत्री अरविंद पांडे ने कहा कि जिस तरह से वायरल पत्र में दूसरे प्रदेश के लोगों को नौकरी दिलाने की बात कही जा रही है, यह पूरी तरह से गलत है. उन्होंने कहा उनके द्वारा उत्तराखंड राज्य के लिए आंदोलन में भागीदारी की गई थी. जब उधम सिंह नगर के स्थानीय लोग उत्तराखंड में शामिल नहीं होना चाहते थे, तब उन्होंने इसका विरोध करते हुए उधम सिंह नगर को उत्तराखंड में शामिल करने और नया राज्य बनाने का आंदोलन लड़ा था. ऐसे में आज ऐसे परिवार के लिए बिहार और उत्तर प्रदेश से नाम जोड़कर कुछ भी कहना बेहद गलत है.