देहरादूनः देश के सबसे बड़े बैंकिंग सेक्टर एसबीआई बैंक में महिलाओं की भागीदारी और उनके सशक्तिकरण को और कैसे बेहतर रूप में बढ़ाया जा सके, इसको लेकर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर देहरादून के मुख्य एसबीआई शाखा में महिला कर्मचारी अधिकारियों को सम्मानित किया गया. इस दौरान सभी महिला बैंक कर्मियों को पिंक रंग की परिधान पहनकर एक थीम के रूप एकजुटता बनाए रखने के संदेश में देखा गया.
विश्व महिला दिवस कार्यक्रम के अवसर पर एसबीआई जैसे देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक में महिलाओं का कितना बड़ा अहम योगदान है, इसको लेकर विशेष चर्चा की गई. वहीं, इस बीच महिला बैंक कर्मियों ने महिला सशक्तिकरण के विषय में अपने-अपने विचारों को कविताओं, लोकगीत के जरिए प्रस्तुत किया.
103 वर्ष की बुजुर्ग खाताधारक को किया गया सम्मानित
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर देहरादून के मुख्य एसबीआई की शाखा में 103 वर्ष की उम्र दराज की महिला NRI खाताधारक शोभावती पीटर्स को बैंक द्वारा विशेष सम्मान दिया गया. एनआरआई बैंक खाता धारक शोभावती पीटर्स अपनी बेटी के साथ बैंक पहुंची. जहां उन्हें हर बैंक कर्मी द्वारा गुलाब का फूल देकर सम्मान दिया गया. इतना ही नहीं, महिला दिवस के अवसर पर एसबीआई शाखा पहुंचने वाली सभी महिला खाता धारकों को भी सम्मानित किया गया.
राष्ट्र के विकास में महिलाओं का योगदान हर्ष का विषय
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर देहरादून एसबीआई मुख्य शाखा के AGM रंजन कुमार सिंह का मानना है कि महिलाएं आज पुरुषों के हर पग के साथ पग मिलाकर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं. वह राष्ट्र के विकास क्षेत्र में हर्ष का विषय है. समाज में जितना महत्वपूर्ण और अहम योगदान महिलाओं का मिल रहा है, उसे भारतीय स्टेट बैंक ने अच्छे से संभाल कर आगे बढ़ाने का प्रयास किया है.
एजीएम रंजन कुमार के मुताबिक महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए लगातार बैंकिंग सेक्टर इसमें अपना योगदान भविष्य में भी देता रहेगा. इतना ही नहीं देश की सभी महिलाओं का सम्मान और उत्थान हो इसके लिए भी SBI बैंक की ओर से प्रबल प्रयास किए जाते रहेंगे.
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महिला सशक्तिकरण तभी साकार, जब समाज में वंचित महिलाओं को मौलिक अधिकार मिले: महिला बैंक कर्मी
वहीं, एसबीआई मुख्य शाखा की बैंक महिला कर्मी आंचल शर्मा के मुताबिक विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र देश भारत में महिलाओं को आगे बढ़ने की हर तरह की आजादी है. ऐसे में इस एडवांटेज का लाभ उठाकर हर महिला को जागरूक होकर अपने सेल्फ डिपेंडेंट होने के लिए प्रयत्नशील होना होगा. इतना ही नहीं महिला सशक्तिकरण के रूप में आगे बढ़ने वाली सशक्त महिलाओं को उन महिलाओं को भी आगे बढ़ाने में अपना योगदान देने की आवश्यकता है, जो महिलाएं अलग-अलग समाज की धाराओं में फंसकर अपने-अपने अधिकारों से वंचित रह जाती हैं.