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मिसाल: कभी दाने-दाने को थीं मोहताज, आज डेढ़ करोड़ का है टर्नओवर

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Published : Sep 4, 2019, 11:28 PM IST

Updated : Sep 5, 2019, 1:38 PM IST

विकासनगर ब्लॉक के फतेहपुर निवासी श्यामा चौहान ने 5 साल पहले 25 हजार की छोटी पूंजी से महिला स्वयं सहायता समूह बनाया था. जिससे 100 से भी ज्यादा महिलाओं को रोजगार दिया जा रहा है. वे आज डेढ़ करोड़ का वार्षिक टर्न ओवर कर रही हैं.

महिलाओं के लिए मिसाल बनीं शयामा चौहान

विकासनगर: श्यामा चौहान की कहानी किसी फिल्म की कहानी जैसी लगती है. पांच साल पहले श्यामा के परिवार के सामने रोजी रोटी का संकट आया. जिसमें एक ओर जहां उनका मकान बिक गया, वहीं दूसरी ओर उनके बच्चों की पढ़ाई तक छूट गई. लेकिन आज पांच साल बाद उनका डेढ़ करोड़ का टर्नओवर है.

अपनी आर्थिक स्थिती से तंग आकर श्यामा ने अपने पैरों पर खड़ा होने की सोची. जिसके लिए 25 हजार रुपये का लोन लेकर उन्होंने एक महिला जागृति स्वयं सहायता समूह का गठन किया, जिसमें शुरू में उन्हें 10 महिलाओं का साथ मिला. लेकिन आज 5 सालों के बाद इस समूह में 100 से भी ज्यादा महिलाएं कार्य कर रही हैं. सभी महिलाएं जूट के बैग, फाइल फोल्डर, नॉन प्लास्टिक बैग जैसे उत्पाद तैयार कर रही हैं.

श्यामा चौहान महिलाओं के लिए बनी प्रेरणा.

इसके साथ ही गांव की अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. श्यामा चौहान को उत्तराखंड की पहली महिला मास्टर ट्रेनर का सम्मान मिल चुका है. साथ ही उत्तराखंड सरकार द्वारा भी वे राज्य स्तरीय पुरस्कार से पुरस्कृत हो चुकी हैं.

पढे़ं- ये है मास्टरजी का घर, यहां 700 रूपों में विराजते हैं गणपति बप्पा

समूह से जुड़े रीना देवी बताती हैं कि जब से श्यामा दीदी ने गांव में रोजगार मुहैया करवाया है, तब से उनके घर की अर्थव्यवस्था अच्छी हो गई है. बच्चों का भरण पोषण भी अच्छी तरह हो रहा है. साथ ही समय से पैसा भी मिल जाता है.

श्यामा चौहान बताती है कि पांच साल पहले ऐसा समय आया कि उनका मकान बिक गया और उनका परिवार दाने-दाने को मोहताज हो गया था. जिसके बाद उन्होंने एक समूह का गठन किया. जिसके लिए 25 हजार रुपये का लोन लेकर कार्य प्रारंभ किया. उन्होंने बताया कि उस समय गांव के लोग उन पर हंसते थे, लेकिन आज वही लोग कहते हैं कि श्यामा दीदी की हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी.

वे कहती हैं कि आज उनका समूह डेढ़ करोड़ का वार्षिक टर्नओवर कर रहा है. जिसमें 100 से ज्यादा माताएं और बहनें कार्य कर रही हैं. उन्होंने बताया कि वे गांव की अन्य महिलाओं को भी स्वरोजगार से जोड़ने का प्रयास कर रही हैं.

विकासनगर: श्यामा चौहान की कहानी किसी फिल्म की कहानी जैसी लगती है. पांच साल पहले श्यामा के परिवार के सामने रोजी रोटी का संकट आया. जिसमें एक ओर जहां उनका मकान बिक गया, वहीं दूसरी ओर उनके बच्चों की पढ़ाई तक छूट गई. लेकिन आज पांच साल बाद उनका डेढ़ करोड़ का टर्नओवर है.

अपनी आर्थिक स्थिती से तंग आकर श्यामा ने अपने पैरों पर खड़ा होने की सोची. जिसके लिए 25 हजार रुपये का लोन लेकर उन्होंने एक महिला जागृति स्वयं सहायता समूह का गठन किया, जिसमें शुरू में उन्हें 10 महिलाओं का साथ मिला. लेकिन आज 5 सालों के बाद इस समूह में 100 से भी ज्यादा महिलाएं कार्य कर रही हैं. सभी महिलाएं जूट के बैग, फाइल फोल्डर, नॉन प्लास्टिक बैग जैसे उत्पाद तैयार कर रही हैं.

श्यामा चौहान महिलाओं के लिए बनी प्रेरणा.

इसके साथ ही गांव की अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. श्यामा चौहान को उत्तराखंड की पहली महिला मास्टर ट्रेनर का सम्मान मिल चुका है. साथ ही उत्तराखंड सरकार द्वारा भी वे राज्य स्तरीय पुरस्कार से पुरस्कृत हो चुकी हैं.

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समूह से जुड़े रीना देवी बताती हैं कि जब से श्यामा दीदी ने गांव में रोजगार मुहैया करवाया है, तब से उनके घर की अर्थव्यवस्था अच्छी हो गई है. बच्चों का भरण पोषण भी अच्छी तरह हो रहा है. साथ ही समय से पैसा भी मिल जाता है.

श्यामा चौहान बताती है कि पांच साल पहले ऐसा समय आया कि उनका मकान बिक गया और उनका परिवार दाने-दाने को मोहताज हो गया था. जिसके बाद उन्होंने एक समूह का गठन किया. जिसके लिए 25 हजार रुपये का लोन लेकर कार्य प्रारंभ किया. उन्होंने बताया कि उस समय गांव के लोग उन पर हंसते थे, लेकिन आज वही लोग कहते हैं कि श्यामा दीदी की हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी.

वे कहती हैं कि आज उनका समूह डेढ़ करोड़ का वार्षिक टर्नओवर कर रहा है. जिसमें 100 से ज्यादा माताएं और बहनें कार्य कर रही हैं. उन्होंने बताया कि वे गांव की अन्य महिलाओं को भी स्वरोजगार से जोड़ने का प्रयास कर रही हैं.

Intro:विकासनगर ब्लॉक के फतेहपुर निवासी श्यामा चौहान ने 5 वर्ष पूर्व ₹25000 की छोटी पूंजी से बनाया था महिला स्वयं सहायता समूह आज श्यामा चौहान 100 महिलाओं से भी ज्यादा को रोजगार देने में हुई सक्षम डेढ करोड़ का वार्षिक टर्न ओवर पर कर रही है कार्य जूट के बैग व जूट फाइल व पैकेजिंग का काम कर महिलाओं को दे रही रोजगार महिलाओं के लिए बनी प्रेरणा स्रोत


Body:विकासनगर ब्लॉक के फतेहपुर निवासी श्यामा चौहान की कहानी भी एक फिल्म की कहानी की तरह ही लगती है एक वक्त था जब श्यामा चौहान का अपना मकान वह पति बच्चे सभी खुशहाल ते लेकिन वक्त की मार ने सब कुछ बिकवा दिया और घरे की दशा ऐसी चली गई दाने-दाने को मोहताज हो गई वह बच्चों की पढ़ाई छूट गई श्यामा चौहान बताती है कि दृढ़ संकल्प लेकर मैंने हार नहीं मानी और अपने कार्यों को बढ़ाने में प्रयासरत रहे ग्रामीण महिलाओं से संपर्क करने के बाद एक समूह का गठन किया जिसमें 10 महिलाएं जुड़ी और 25000 की छोटी पूंजी से लेकर हमने कार्य प्रारंभ किया आज 5 वर्षों से सभी महिलाओं का सहयोग के साथ साथ हमारा समूह तरक्की की राह पर है और सभी महिलाएं जूट के बैग व जूट की फाइलें बनानी प्रारंभ की उसके बाद हमने पीछे मुड़कर नहीं देखा पर अपने कार्य को अंजाम तक पहुंचाने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत की वर्तमान में 100 से ज्यादा महिलाएं कार्य कर रही है श्यामा ने अभी बताया कि इस समय हम कहीं उत्पादन कर रहे हैं एन आर एल एम देहरादून के द्वारा महिला जागृति सहायता समूह का ड्रेस कोड बी गुलाबी है सभी महिलाएं ड्रेस पहनकर कार्य में लगी रहती है वर्तमान में जूट के बैग फाइल फोल्डर नॉन प्लास्टिक बैग आचार्य जूस एलोवेरा जेल टेक होम राशन जैसे उत्पादन तैयार कर रहा है इन उत्पादकों को हम देहरादून जिलों में सप्लाई करते हैं और गांव की अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है श्यामा चौहान को उत्तराखंड की पहली महिला मास्टर ट्रेनर जो प्रदेश के बाहर भी ट्रेनिंग देने गई सम्मान मिल चुका है उत्तराखंड सरकार से भी राज्य स्तरीय पुरस्कार से पुरस्कृत हो चुकी है
समूह से जुड़े रीना देवी बताती है कि जब से श्यामा दीदी ने गांव में रोजगार मुहैया करा है तो घर की अर्थव्यवस्था अच्छी हो गई है बच्चों का भरण पोषण भी अच्छी तरह हो रहा है समय से पैसा भी मिल जाता है तो वहीं दीपा देवी ने बताया कि सुबह जल्दी उठकर घर का कार्य निपटाने के बाद 8:00 बजे हम अपने कार्य पर आ जाते हैं और श्यामा दीदी ने हमें रोजगार प्रदान करके हमारे परिवार का भरण पोषण हो रहा है अपने ही गांव में रोजगार मुहैया कराने पर हम श्यामा दीदी का शुक्रगुजार करते हैं वही शिवानी बताती है कि मैं 3 वर्षों से जुड़ी हूं पढ़ाई के साथ-साथ अपने घर का खर्चा अपनी पढ़ाई का खर्चा श्यामा दीदी की स्वरोजगार योजना से जुड़ने के बाद अच्छा चल रहा है और मैं आगे पढ़ाई करने के साथ-साथ इस कार्य को भी बखूबी निभाऊंगी


Conclusion:वही श्यामा चौहान बताती है कि एक समय था कि मेरा मकान बिक गया और हम लोग खाने को मोहताज हो गए मेरे बच्चों की पढ़ाई भी रुक गई लेकिन मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात यह है कि मैंने एक समूह का गठन कर और उसमें ₹25000 का लोन लेकर कार्य प्रारंभ किया लेकिन उस समय गांव के लोग मुझ पर हंसते थे और आज भी गांव के लोग कहते हैं कि श्यामा दीदी की हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी हमारे गांव में 14 समूह का गठन कर लगभग 100 से ज्यादा महिलाएं इस समय स्वरोजगार से जुड़ी है 25000 की छोटी पूंजी से महिला समूह का 5 वर्ष पूर्व प्रारंभ किया था आज हमारा समूह डेट करोड़ का वार्षिक टर्नओवर कर रहा है जिसमें कि आज हम खुशियां और हमारी सभी माताएं बहनें इस कार्य में लगी है और हम गांव की अन्य महिलाओं को भी स्वरोजगार से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं मैं चाहती हूं कि भारत सरकार और राज्य सरकार हमारी अनुरोध सुने की लघु उद्योग के माध्यम से एक छत के नीचे सभी महिलाएं आ सके इसके लिए सरकार को भी ध्यान देना चाहिए
बाइट_ श्यामा चौहान _अध्यक्ष महिला जागृति स्वयं सहायता समूह _फतेहपुर _विकासनगर_ देहरादून
Last Updated : Sep 5, 2019, 1:38 PM IST
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