देहरादून: उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने प्रदेश के पारंपरिक और पौराणिक लोक सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रमों की शुरुआत की है. इसी क्रम में एक पुरानी परंपरा को शुरू करते हुए राम बारात का आयोजन उत्तराखंड से नेपाल तक किया गया. जिसका समापन नेपाल के जनपुरी मंदिर में किया गया. वहीं इस मौके पर राम बारात का भव्य स्वागत किया गया.
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देवभूमि उत्तराखंड की सांस्कृतिक और पौराणिक रीति-रिवाजों को पर्यटन विभाग द्वारा एक बार फिर से नया आयाम दिया गया है. जिसके तहत पहली बार उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने पौराणिक काल में की जाने वाली राम बारात की यात्रा को एक बार फिर से शुरू किया है. आपको बता दें कि आस्था के प्रतीक मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की बारात 28 नवंबर को देवप्रयाग से रवाना की गई थी. जिसके बाद उत्तर प्रदेश के लखनऊ होते हुए राम बारात नेपाल के जनकपुरी तक लगभग 1067 किलोमीटर का सफर कर कर कर के पहुंची.
उत्तराखंड से शुरू हुई राम बारात लखनऊ होते हुए 29 नवंबर को 351 किलोमीटर का सफर तय करते हुए भुटवल पहुंची जहां पर अयोध्या से आने वाली बारात का भी इस बारात के साथ मिलन हुआ. इसके बाद राम बारात 30 नवंबर को हितोता से हरिवान होकर नेपाल देश के जनकपुरी पहुंची जहां जानकी मंदिर में प्रतीकात्मक रूप से राम और सीता विवाह संस्कार पूरे विधि-विधान के साथ संपन्न किया गया. जिसके बाद राम बारात का जानकी मंदिर से बड़े धूमधाम से विदाई समारोह का आयोजन किया गया. वहीं इस मौके पर सैकड़ों श्रद्धालु इस अवसर पर उपस्थित रहें.