देहरादून: राजधानी स्थित श्रद्धानंद बाल वनिता आश्रम कोरोना संक्रमण की वजह से अपने माता-पिता को खो चुके अनाथ बच्चों को आश्रय देगा. जिसकी तैयारियों में श्रद्धानंद बाल वनिता आश्रम के कर्मचारी जुट गए हैं. अनाथालय की महिला कर्मचारी ममता ने बताया कि वर्तमान समय में इस आश्रम में 48 बच्चे रहते हैं और इसकी कैपेसिटी 60 बच्चों को रखने की है. ऐसे में आश्रम प्रबंधन ने कोरोना संक्रमण की वजह से अपने माता पिता को खो चुके बच्चों को आश्रम में आश्रय देने की तैयारी की जा रही है.
देहरादून के तिलक रोड स्थित श्रद्धानंद बाल वनिता आश्रम सबसे पुराना बाल आश्रम है, जहां प्रदेश के साथ साथ अन्य राज्यों के भी अनाथ बच्चों को आश्रय दिया जाता है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने श्रद्धानंद बाल वनिता आश्रम की आधारशिला रखी थी. इसके लिए महात्मा गांधी, 16 अक्तूबर 1929 को देहरादून आए थे. जिस भूमि पर यह अनाथालय बना हुआ है, उस भूमि को लाला मुकुंद लाल में दान में दी थी. उस दौरान इस आश्रम का नाम श्रद्धानंद अनाथ वनिताश्रम था. जिसे वर्तमान समय में श्रद्धानंद बाल वनिता आश्रम के नाम से जाना जाता है.
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आश्रम की कर्मचारी ममता ने बताया कि वर्तमान में इस अनाथालय में 48 बच्चे रह रहे हैं, जिसमें 25 लड़कियां और 23 लड़के शामिल है. इस कोरोना काल में कई बच्चों ने अपने माता पिता को खो चुके हैं और अनाथ हो गए हैं. ऐसे में आने वाले समय में इस आश्रम में बच्चों की संख्या बढ़ सकती है, जिसके लिए आश्रम में व्यवस्थाएं की जा रही है. ममता ने बताया कि अभी से ही कई जगहों से फोन आने शुरू हो गए हैं. ऐसे में आश्रम प्रबंधन पूरी तरह से तैयार है.
इस अनाथालय में कोरोना संक्रमण की वजह से बच्चों का ऑनलाइन क्लास चल रहा है. वहीं, बच्चों के पढ़ाई के साथ ही खेलकूद के लिए सभी व्यवस्थाएं अनाथालय के परिसर में मौजूद हैं. अनाथालय में बच्चों का अच्छे ढंग से ख्याल रखा जाता है.