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मैनपावर की कमी से जूझ रही उत्तराखंड ट्रैफिक पुलिस, झुलसाने वाली गर्मी में बढ़े ड्यूटी आवर

उत्तराखंड में ट्रैफिक विंग (Uttarakhand Traffic Wing) में मैनपावर की भारी कमी देखने को मिल रही है. इस कारण अब ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की ड्यूटी के घंटे बढ़ा दिए गए हैं. ऐसे में ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को तपती गर्मी में 8-8 घंटे ड्यूटी देनी पड़ रही है. हालांकि अब ट्रैफिक निदेशालय ने ड्यूटी के दौरान ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को नींबू पानी देने की बात कही है.

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देहरादून
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Published : Apr 29, 2022, 1:58 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड पुलिस विभाग की ट्रैफिक विंग में इन दिनों कर्मचारियों का भारी टोटा है. इसका खामियाजा ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को भुगतना पड़ रहा है. ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को तपती गर्मी में 8-8 घंटे धूप में खड़े होकर ड्यूटी करनी पड़ रही है. बढ़ते तापमान के कारण पुलिस कर्मियों को हीट स्ट्रोक और डिहाइड्रेशन जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा परेशानी महिला ट्रैफिक कर्मियों को हो रही है. हालांकि, अब ट्रैफिक निदेशालय ट्रैफिक कर्मचारियों को नींबू पानी की व्यवस्था शुरू करने की बात कह रहा है.

ट्रैफिक निदेशालय के डीआईजी मुख्तार मोहसिन (DIG Mukhtar Mohsin) का कहना है कि ट्रैफिक विंग में पहले से ही कर्मचारियों की कमी है. चारधाम यात्रा के अलावा पर्यटक सीजन के चलते ट्रैफिक कर्मियों की पर्वतीय इलाकों में ड्यूटी लगने से देहरादून में चौक-चौराहों पर 8-8 घंटे की ड्यूटी शिफ्ट लगानी पड़ रही है, जिससे ट्रैफिक कर्मियों पर शारीरिक और मानसिक दबाव बढ़ रहा है. ऐसे में उनको ड्यूटी के दौरान गर्मी से राहत देने के लिए नींबू पानी की व्यवस्था बनाई जा रही है.

उत्तराखंड ट्रैफिक विंग में 'मैनपावर' की कमी.

6 घंटे वाली शिफ्ट को 8 घंटे किया: डीआईजी के मुताबिक स्कूल खुल गए हैं, जिसके चलते शहर की सड़कों पर यातायात का दबाव बढ़ गया है, जिससे ट्रैफिक व्यवस्था को संचालित करने के लिए सुबह और शाम दोनों शिफ्ट में ट्रैफिक कर्मियों की 6 घंटे वाली शिफ्ट को 8 घंटे का कर दिया गया है.

देहरादून शहर की बात करें तो यहां मुख्य तौर पर 40 से अधिक चौक-चौराहे हैं, जहां पर ट्रैफिक संचालित करने के लिए लगभग 80 ट्रैफिक कर्मी दो शिफ्ट में तैनात रहते हैं. इनमें 25 से 30 महिला ट्रैफिक कर्मी हैं. पहली शिफ्ट सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक है, जबकि दूसरी शिफ्ट दोपहर साढ़े 12 बजे से रात साढ़े 8 बजे तक रहती है. चारधाम यात्रा और पर्यटक सीजन को देखते हुए ट्रैफिक विंग में होमगार्ड के जवान भी चौराहों पर ट्रैफिक संचालन करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं.
पढें- कुमाऊं में 24 घंटे में वनाग्नि की 52 घटनाएं, जंगल जलाने वालों की सूचना देने पर 10 हजार का इनाम

आखिर क्यों हो रही ट्रैफिक कर्मियों की कमी: उत्तराखंड राज्य गठन के 22 साल बाद भी ट्रैफिक कर्मियों की सीधी भर्ती नहीं हुई है. अभी वास्तविक रूप में ट्रैफिक विंग में कुल 715 कर्मचारी हैं. इसमें कॉन्स्टेबल से लेकर ट्रैफिक इंस्पेक्टर शामिल हैं. ट्रैफिक डायरेक्टर डीआईजी मुख्तार मोहसिन बताते हैं कि ट्रैफिक विंग में कर्मचारियों की कमी को पूरा करन के लिए थाना-चौकी के अलावा होमगार्ड और पीआरडी के जवानों को प्रशिक्षण देकर ट्रैफिक विंग में शामिल किए जाता है.

DGP अशोक कुमार के आदेश के मुताबिक यातायात पुलिस कर्मियों संख्या बढ़ाने के लिए पीएसी के 28 जवानों को प्रशिक्षित कर ट्रैफिक विंग में शामिल किया गया है. इनमें अधिकांश देहरादून में हैं, जिनमें 25 महिलाएं शामिल हैं. आने वाले दिनों में PAC के 15 और जवानों को ट्रेनिंग के बाद ट्रैफिक विंग में शामिल किया जाएगा.

देहरादून: उत्तराखंड पुलिस विभाग की ट्रैफिक विंग में इन दिनों कर्मचारियों का भारी टोटा है. इसका खामियाजा ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को भुगतना पड़ रहा है. ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को तपती गर्मी में 8-8 घंटे धूप में खड़े होकर ड्यूटी करनी पड़ रही है. बढ़ते तापमान के कारण पुलिस कर्मियों को हीट स्ट्रोक और डिहाइड्रेशन जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा परेशानी महिला ट्रैफिक कर्मियों को हो रही है. हालांकि, अब ट्रैफिक निदेशालय ट्रैफिक कर्मचारियों को नींबू पानी की व्यवस्था शुरू करने की बात कह रहा है.

ट्रैफिक निदेशालय के डीआईजी मुख्तार मोहसिन (DIG Mukhtar Mohsin) का कहना है कि ट्रैफिक विंग में पहले से ही कर्मचारियों की कमी है. चारधाम यात्रा के अलावा पर्यटक सीजन के चलते ट्रैफिक कर्मियों की पर्वतीय इलाकों में ड्यूटी लगने से देहरादून में चौक-चौराहों पर 8-8 घंटे की ड्यूटी शिफ्ट लगानी पड़ रही है, जिससे ट्रैफिक कर्मियों पर शारीरिक और मानसिक दबाव बढ़ रहा है. ऐसे में उनको ड्यूटी के दौरान गर्मी से राहत देने के लिए नींबू पानी की व्यवस्था बनाई जा रही है.

उत्तराखंड ट्रैफिक विंग में 'मैनपावर' की कमी.

6 घंटे वाली शिफ्ट को 8 घंटे किया: डीआईजी के मुताबिक स्कूल खुल गए हैं, जिसके चलते शहर की सड़कों पर यातायात का दबाव बढ़ गया है, जिससे ट्रैफिक व्यवस्था को संचालित करने के लिए सुबह और शाम दोनों शिफ्ट में ट्रैफिक कर्मियों की 6 घंटे वाली शिफ्ट को 8 घंटे का कर दिया गया है.

देहरादून शहर की बात करें तो यहां मुख्य तौर पर 40 से अधिक चौक-चौराहे हैं, जहां पर ट्रैफिक संचालित करने के लिए लगभग 80 ट्रैफिक कर्मी दो शिफ्ट में तैनात रहते हैं. इनमें 25 से 30 महिला ट्रैफिक कर्मी हैं. पहली शिफ्ट सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक है, जबकि दूसरी शिफ्ट दोपहर साढ़े 12 बजे से रात साढ़े 8 बजे तक रहती है. चारधाम यात्रा और पर्यटक सीजन को देखते हुए ट्रैफिक विंग में होमगार्ड के जवान भी चौराहों पर ट्रैफिक संचालन करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं.
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आखिर क्यों हो रही ट्रैफिक कर्मियों की कमी: उत्तराखंड राज्य गठन के 22 साल बाद भी ट्रैफिक कर्मियों की सीधी भर्ती नहीं हुई है. अभी वास्तविक रूप में ट्रैफिक विंग में कुल 715 कर्मचारी हैं. इसमें कॉन्स्टेबल से लेकर ट्रैफिक इंस्पेक्टर शामिल हैं. ट्रैफिक डायरेक्टर डीआईजी मुख्तार मोहसिन बताते हैं कि ट्रैफिक विंग में कर्मचारियों की कमी को पूरा करन के लिए थाना-चौकी के अलावा होमगार्ड और पीआरडी के जवानों को प्रशिक्षण देकर ट्रैफिक विंग में शामिल किए जाता है.

DGP अशोक कुमार के आदेश के मुताबिक यातायात पुलिस कर्मियों संख्या बढ़ाने के लिए पीएसी के 28 जवानों को प्रशिक्षित कर ट्रैफिक विंग में शामिल किया गया है. इनमें अधिकांश देहरादून में हैं, जिनमें 25 महिलाएं शामिल हैं. आने वाले दिनों में PAC के 15 और जवानों को ट्रेनिंग के बाद ट्रैफिक विंग में शामिल किया जाएगा.

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