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प्रदेश में ब्लैक फंगस के इंजेक्शन की शॉर्टेज, भटक रहे तीमारदार

ब्लैक फंगस इंजेक्शन के लिए तीमारदारों को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है. सीएमओ कार्यालय के बाहर इंजेक्शन का घंटों इंतजार करने के बाद भी इंजेक्शन नहीं मिल रहे हैं. गढ़वाल मंडल के नोडल अधिकारी डॉ. कैलाश गुंज्याल के मुताबिक संभवत गुरुवार रात तक एंफोटेरिसिन बी इंजेक्श की आपूर्ति केंद्र की तरफ से हो जाएगी.

Black fungus injection shortages
Black fungus injection shortages
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Published : May 27, 2021, 8:22 PM IST

देहरादून: राज्य सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी घोषित किया है. उसके बावजूद इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन के लिए मरीजों के तीमारदारों को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है. जहां स्वास्थ्य कह रहा है कि ब्लैक फंगस से इंजेक्शन सीधे अस्पतालों को दिए जा रहे हैं. तो वहीं, अस्पताल भी मरीजों के तीमारदारों को सीएमओ कार्यालय भेज दे रहे हैं. इससे मरीजों के परिजनों को भटकने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. कार्यालय के बाहर कड़ी धूप में घंटों इंजेक्शन के इंतजार में बैठे मरीजों के तीमारदार काफी मायूस हैं.

ब्लैक फंगस के इंजेक्शन के लिए भटक रहे परिजन.

गुरुवार को भी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स ऋषिकेश से लेकर इंद्रेश अस्पताल से भी मरीजों के परिजन भटकते हुए चंद्र नगर स्थित मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पहुंचे. लेकिन इंजेक्शन ना मिलने से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है.

उत्तराखंड में कोरोना की दूसरी लहर के बाद अब ब्लैक फंगस लगातार पैर पसारता जा रहा है. वहीं, उत्तराखंड में अब तक ब्लैक फंगस के 150 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जिससे 14 लोगों की मौत ब्लैक फंगस से हो चुकी है. इसकी रोकथाम को लेकर स्वास्थ्य भले ही लाख दावे कर रहा है. लेकिन ब्लैक फंगस के मरीज और उनके तीमारदार काफी परेशान हैं. इसका इलाज महंगा होने के साथ ही इसमें इस्तेमाल होने वाली दवाइयां मरीजों को आसानी से नहीं मिल पा रही है. यही कारण है कि देहरादून में ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीजों के तीमारदारों को इंजेक्शन के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है.

इंजेक्शन के लिए भटक रहे तीमारदार

वहीं, एम्स में भर्ती अपने मरीज के लिए ब्लैक फंगस की दवा का इंजेक्शन लेने सीएमओ कार्यालय पहुंचे उजैफ खान का कहना है कि चिकित्सकों की बनी कमेटी की संस्तुति की लंबी प्रक्रिया से उन्हें गुजरना पड़ता है. उसके बाद उन्हें सीएमओ कार्यालय से इंजेक्शन लेने के लिए भेज दिया जाता है, लेकिन यहां पहुंचते ही पता लगता है कि इंजेक्शन अभी उपलब्ध नहीं है. इससे उन्हें काफी दिक्कतें सामने आ रही है.

पढ़ें- पोखरी में अतिक्रमण हटाने गई टीम पर पथराव, आठ पुलिसकर्मी घायल, अतिरिक्त फोर्स भेजी

यही हाल सीएमओ कार्यालय पर इंजेक्शन लेने पहुंचे दुष्यंत का भी है. उनके पिता विगत 10 दिनों से ऋषिकेश एम्स में एडमिट है. दुष्यंत का कहना है कि पहले 3 इंजेक्शन पाने के लिए उन्हें 4 दिन सीएमओ कार्यालय के चक्कर काटने पड़े लेकिन अब फिर उन्हें इंजेक्शन के लिए भटकना पड़ रहा है. सीएमओ कार्यालय ने उन्हें इंजेक्शन के लिए मना कर दिया है और कहा कि इंजेक्शन स्टॉक में नहीं है.

एक-दो दिनों में इंजेक्शन हो जाएंगे उपलब्ध- एसीएमओ

ब्लैक फंगस के इंजेक्शन की शॉर्टेज पर देहरादून के एसीएमओ और गढ़वाल मंडल के नोडल अधिकारी डॉ. कैलाश गुंज्याल के मुताबिक संभवत गुरुवार रात तक एंफोटेरिसिन बी इंजेक्शन की आपूर्ति केंद्र की तरफ से हो जाएगी. उन्होंने बताया कि इंजेक्शन के लिए यूपी के मुरादाबाद, सहारनपुर जैसे अन्य जिलों के अलावा दिल्ली के मरीज बढ़ गए हैं, जबकि प्रदेश के मरीजों के लिए पर्याप्त इंजेक्शन उपलब्ध थे. ऐसे में मरीज बढ़ने से इंजेक्शन की शॉर्टेज हो गई है. उन्होंने बताया कि एक-दो दिनों में इंजेक्शन की व्यवस्थाएं पूर्ण रूप से सुचारू हो जाएगी.

देहरादून: राज्य सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी घोषित किया है. उसके बावजूद इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन के लिए मरीजों के तीमारदारों को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है. जहां स्वास्थ्य कह रहा है कि ब्लैक फंगस से इंजेक्शन सीधे अस्पतालों को दिए जा रहे हैं. तो वहीं, अस्पताल भी मरीजों के तीमारदारों को सीएमओ कार्यालय भेज दे रहे हैं. इससे मरीजों के परिजनों को भटकने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. कार्यालय के बाहर कड़ी धूप में घंटों इंजेक्शन के इंतजार में बैठे मरीजों के तीमारदार काफी मायूस हैं.

ब्लैक फंगस के इंजेक्शन के लिए भटक रहे परिजन.

गुरुवार को भी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स ऋषिकेश से लेकर इंद्रेश अस्पताल से भी मरीजों के परिजन भटकते हुए चंद्र नगर स्थित मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पहुंचे. लेकिन इंजेक्शन ना मिलने से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है.

उत्तराखंड में कोरोना की दूसरी लहर के बाद अब ब्लैक फंगस लगातार पैर पसारता जा रहा है. वहीं, उत्तराखंड में अब तक ब्लैक फंगस के 150 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जिससे 14 लोगों की मौत ब्लैक फंगस से हो चुकी है. इसकी रोकथाम को लेकर स्वास्थ्य भले ही लाख दावे कर रहा है. लेकिन ब्लैक फंगस के मरीज और उनके तीमारदार काफी परेशान हैं. इसका इलाज महंगा होने के साथ ही इसमें इस्तेमाल होने वाली दवाइयां मरीजों को आसानी से नहीं मिल पा रही है. यही कारण है कि देहरादून में ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीजों के तीमारदारों को इंजेक्शन के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है.

इंजेक्शन के लिए भटक रहे तीमारदार

वहीं, एम्स में भर्ती अपने मरीज के लिए ब्लैक फंगस की दवा का इंजेक्शन लेने सीएमओ कार्यालय पहुंचे उजैफ खान का कहना है कि चिकित्सकों की बनी कमेटी की संस्तुति की लंबी प्रक्रिया से उन्हें गुजरना पड़ता है. उसके बाद उन्हें सीएमओ कार्यालय से इंजेक्शन लेने के लिए भेज दिया जाता है, लेकिन यहां पहुंचते ही पता लगता है कि इंजेक्शन अभी उपलब्ध नहीं है. इससे उन्हें काफी दिक्कतें सामने आ रही है.

पढ़ें- पोखरी में अतिक्रमण हटाने गई टीम पर पथराव, आठ पुलिसकर्मी घायल, अतिरिक्त फोर्स भेजी

यही हाल सीएमओ कार्यालय पर इंजेक्शन लेने पहुंचे दुष्यंत का भी है. उनके पिता विगत 10 दिनों से ऋषिकेश एम्स में एडमिट है. दुष्यंत का कहना है कि पहले 3 इंजेक्शन पाने के लिए उन्हें 4 दिन सीएमओ कार्यालय के चक्कर काटने पड़े लेकिन अब फिर उन्हें इंजेक्शन के लिए भटकना पड़ रहा है. सीएमओ कार्यालय ने उन्हें इंजेक्शन के लिए मना कर दिया है और कहा कि इंजेक्शन स्टॉक में नहीं है.

एक-दो दिनों में इंजेक्शन हो जाएंगे उपलब्ध- एसीएमओ

ब्लैक फंगस के इंजेक्शन की शॉर्टेज पर देहरादून के एसीएमओ और गढ़वाल मंडल के नोडल अधिकारी डॉ. कैलाश गुंज्याल के मुताबिक संभवत गुरुवार रात तक एंफोटेरिसिन बी इंजेक्शन की आपूर्ति केंद्र की तरफ से हो जाएगी. उन्होंने बताया कि इंजेक्शन के लिए यूपी के मुरादाबाद, सहारनपुर जैसे अन्य जिलों के अलावा दिल्ली के मरीज बढ़ गए हैं, जबकि प्रदेश के मरीजों के लिए पर्याप्त इंजेक्शन उपलब्ध थे. ऐसे में मरीज बढ़ने से इंजेक्शन की शॉर्टेज हो गई है. उन्होंने बताया कि एक-दो दिनों में इंजेक्शन की व्यवस्थाएं पूर्ण रूप से सुचारू हो जाएगी.

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