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उत्तराखंड: कोरोना के 89 मरीजों की मौत को पचा गए अस्पताल, खुलासे से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप

उत्तराखंड में कई अस्पताल कोरोना से हुई मौतों का आंकड़ा छुपाने में लगे हुए हैं. आज राज्य में 89 मौतों का आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के समक्ष आया तो उनके पैरों से जमीन खिसक गई.

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उत्तराखंड में कोरोना मौत के मामलों में सामने आई अस्पतालों और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही
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Published : Oct 17, 2020, 10:39 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना के 89 मरीज मरकर भी अस्पतालों के बिगड़े सिस्टम में जिंदा ही रहे. न तो स्वास्थ्य विभाग ने इन्हें मरा हुआ माना और न ही सरकार ने. इस हैरतअंगेज मामले का खुलासा तब हुआ जब स्वास्थ्य विभाग ने रूटीन मैन्यूली मौतों के आंकड़े को जुटाना शुरू किया. आंकड़ा सामने आया तो अधिकारियों के पांव के नीचे से जमीन खिसक गई. दरअसल, उत्तराखंड में कोरोना के आंकड़े पर एक दो नहीं बल्कि पूरे उन 89 मौतों का हेरफेर था.

शनिवार को स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना से जुड़ा हेल्थ बुलेटिन जारी किया गया तो हर कोई इसे देखकर हैरान था. हैरानी उत्तराखंड में स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली और अस्पतालों की हीलाहवाली को लेकर ज्यादा थी. सवाल ये उठ रहे थे कि आखिरकार एक दिन में ही कैसे 95 लोगों की कोरोना से मौत हो गई.

पढ़ें- चिनूक हेलीकॉप्टर ने केदारनाथ से क्षतिग्रस्त MI-17 का मलबा किया एयरलिफ्ट

आपको बता दें कि शुक्रवार को मरने वालों का कुल आंकड़ा 829 था. शनिवार को आए बुलेटिन में यह आंकड़ा बढ़कर 924 हो गया था. इतनी मौतों के एक साथ रिकॉर्ड किए जाने का खुलासा भी स्वास्थ्य विभाग के इसी हेल्थ बुलेटिन में किया गया था. दरअसल, प्रदेश में कोरोना वायरस से एक के बाद एक मौतें हो रही थी. तमाम अस्पताल इन मौतों को स्वास्थ्य विभाग तक पहुंचा ही नहीं रहे थे. सबसे पहले यह जानते हैं कि किस अस्पताल ने कितनी मौतों के रिकॉर्ड को फाइलों में दफन किया गया.

  • देहरादून के कैलाश अस्पताल की 28 मौतें.
  • देहरादून में इंद्रेश अस्पताल में 24 मौतें.
  • दून मेडिकल कॉलेज में 21 मौत.
  • एम्स ऋषिकेश में दो मौत.
  • हिमालयन अस्पताल में 5 मौत.
  • देहरादून मैक्स अस्पताल में दो मौत.
  • रुड़की के विनय विशाल हॉस्पिटल में दो मौत.
  • हरिद्वार के जया मैक्स वेल में दो मौत.
  • रुद्रपुर के डिस्टिक हॉस्पिटल में तीन मौत.

कोरोना संक्रमण से मौत के आंकड़ों को चरणबद्ध तरीके से कई जगहों पर रिकॉर्ड किया जाता है. चिकित्सालयों की यह जिम्मेदारी है कि वह अस्पताल में हुई मौत का रिकॉर्ड जिला स्वास्थ्य अधिकारी तक पहुंचाते रहे. मगर चौंकाने वाली बात यह है कि हफ्तों और महीनों तक मौत के रिकॉर्ड को दबाए रखा गया. हैरत की बात यह है कि चिकित्सालय होते मरने वालों के रिकॉर्ड को स्वास्थ्य विभाग तक नहीं पहुंचाया गया. जिसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग मैन्यूली इसकी जानकारी लेने के बजाय अस्पतालों की जानकारी पर ही निर्भर रहा.

पढ़ें- कोरोनाकाल में पुलिस की फजीहत करा देंगी ये तस्वीरें, कैमरे में कैद सबूत

ईटीवी भारत से बात करते हुए देहरादून सीएमओ अनूप कुमार डिमरी ने बताया कि आंकड़ों में इतने बड़े अंतर को लेकर चिकित्सालयों से जवाब लिया जा रहा है. इसके लिए उन्हें नोटिस भी भेजे गए हैं. सीएमओ देहरादून ने कहा कि यह पता लगाया जा रहा है कि चिकित्सालयों की तरफ से लापरवाही की गई थी या फिर कोई दूसरे कारण थे, जिस कारण से विभाग को मौतों का सही आंकड़ा नहीं दिया गया.

पढ़ें- विवादों में फंसी BJP के नए कार्यालय की जमीन, यूकेडी और आप ने जताई घोटाले की आशंका

जानकारी के अनुसार कई मामलों में तो एक अस्पताल द्वारा दूसरे स्थान में रेफर करने के दौरान रास्ते में मरीजों की मौत हो गई. ऐसे में अस्पताल इसी बात को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाए की आखिरकार मरने वाले की मौत को कहां गिना जाए. दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य आशुतोष सयाना ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि मौतों के आंकड़ों में अंतर डिजिटल रूप से हुई तकनीकी खराबी के कारण हुआ है. जिसको भविष्य सुधारने के निर्देश दिए गए हैं.

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एनएचएम ने थमाए स्पष्टीकरण देने के नोटिस
वहीं, अब इस मामले के संज्ञान में आने के बाद एनएचएम की ओर से सभी प्राइवेट अस्पतालों के साथी दून अस्पताल प्रबंधन को भी स्पष्टीकरण दिए जाने के नोटिस थमा दिए गए हैं. एनएचएम के अपर मिशन निदेशक डॉ. अभिषेक त्रिपाठी की ओर से जारी अस्पतालों को स्पष्टीकरण के नोटिस में यह कहा गया है कि कोविड-19 उपचार के लिए चयनित चिकित्सालय को प्रत्येक कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों की मृत्यु होने की परिस्थिति में तत्काल सूचना उत्तराखंड स्टेट कंट्रोल रूम कोविड-19 को उपलब्ध कराया जाना जरूरी है. मगर, कुछ अस्पतालों द्वारा कोविड-19 सो हुई मौतों की सूचना काफी विलंब से या कई बार अनुरोध करने के बाद उपलब्ध कराई जा रही है. इसके अलावा मौत की डेथ ऑडिट रिपोर्ट भी विलंब से भेजी जा रही है. विभाग की ओर से सभी अस्पतालों को निर्देशित किया गया है कि मौत की जानकारी तत्काल उसी दिन या अगले दिन अनिवार्य रूप से उत्तराखंड स्टेट कंट्रोल रूम कोविड-19 को उपलब्ध कराई जानी अनिवार्य है.

बहरहाल, सवाल ये उठता है कि अगर 89 लोगों की मौत बीते दिनों में कोरोना से हुई, तो ये आंकड़े अबतक छुपे क्यों रहे. क्या इन मरीजों के शवों का अंतिम संस्कार कोविड की गाइडलाइन के तहत किया गया? वहीं, इस बड़ी लापरवाही का जिम्मेदार आखिर कौन है.

देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना के 89 मरीज मरकर भी अस्पतालों के बिगड़े सिस्टम में जिंदा ही रहे. न तो स्वास्थ्य विभाग ने इन्हें मरा हुआ माना और न ही सरकार ने. इस हैरतअंगेज मामले का खुलासा तब हुआ जब स्वास्थ्य विभाग ने रूटीन मैन्यूली मौतों के आंकड़े को जुटाना शुरू किया. आंकड़ा सामने आया तो अधिकारियों के पांव के नीचे से जमीन खिसक गई. दरअसल, उत्तराखंड में कोरोना के आंकड़े पर एक दो नहीं बल्कि पूरे उन 89 मौतों का हेरफेर था.

शनिवार को स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना से जुड़ा हेल्थ बुलेटिन जारी किया गया तो हर कोई इसे देखकर हैरान था. हैरानी उत्तराखंड में स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली और अस्पतालों की हीलाहवाली को लेकर ज्यादा थी. सवाल ये उठ रहे थे कि आखिरकार एक दिन में ही कैसे 95 लोगों की कोरोना से मौत हो गई.

पढ़ें- चिनूक हेलीकॉप्टर ने केदारनाथ से क्षतिग्रस्त MI-17 का मलबा किया एयरलिफ्ट

आपको बता दें कि शुक्रवार को मरने वालों का कुल आंकड़ा 829 था. शनिवार को आए बुलेटिन में यह आंकड़ा बढ़कर 924 हो गया था. इतनी मौतों के एक साथ रिकॉर्ड किए जाने का खुलासा भी स्वास्थ्य विभाग के इसी हेल्थ बुलेटिन में किया गया था. दरअसल, प्रदेश में कोरोना वायरस से एक के बाद एक मौतें हो रही थी. तमाम अस्पताल इन मौतों को स्वास्थ्य विभाग तक पहुंचा ही नहीं रहे थे. सबसे पहले यह जानते हैं कि किस अस्पताल ने कितनी मौतों के रिकॉर्ड को फाइलों में दफन किया गया.

  • देहरादून के कैलाश अस्पताल की 28 मौतें.
  • देहरादून में इंद्रेश अस्पताल में 24 मौतें.
  • दून मेडिकल कॉलेज में 21 मौत.
  • एम्स ऋषिकेश में दो मौत.
  • हिमालयन अस्पताल में 5 मौत.
  • देहरादून मैक्स अस्पताल में दो मौत.
  • रुड़की के विनय विशाल हॉस्पिटल में दो मौत.
  • हरिद्वार के जया मैक्स वेल में दो मौत.
  • रुद्रपुर के डिस्टिक हॉस्पिटल में तीन मौत.

कोरोना संक्रमण से मौत के आंकड़ों को चरणबद्ध तरीके से कई जगहों पर रिकॉर्ड किया जाता है. चिकित्सालयों की यह जिम्मेदारी है कि वह अस्पताल में हुई मौत का रिकॉर्ड जिला स्वास्थ्य अधिकारी तक पहुंचाते रहे. मगर चौंकाने वाली बात यह है कि हफ्तों और महीनों तक मौत के रिकॉर्ड को दबाए रखा गया. हैरत की बात यह है कि चिकित्सालय होते मरने वालों के रिकॉर्ड को स्वास्थ्य विभाग तक नहीं पहुंचाया गया. जिसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग मैन्यूली इसकी जानकारी लेने के बजाय अस्पतालों की जानकारी पर ही निर्भर रहा.

पढ़ें- कोरोनाकाल में पुलिस की फजीहत करा देंगी ये तस्वीरें, कैमरे में कैद सबूत

ईटीवी भारत से बात करते हुए देहरादून सीएमओ अनूप कुमार डिमरी ने बताया कि आंकड़ों में इतने बड़े अंतर को लेकर चिकित्सालयों से जवाब लिया जा रहा है. इसके लिए उन्हें नोटिस भी भेजे गए हैं. सीएमओ देहरादून ने कहा कि यह पता लगाया जा रहा है कि चिकित्सालयों की तरफ से लापरवाही की गई थी या फिर कोई दूसरे कारण थे, जिस कारण से विभाग को मौतों का सही आंकड़ा नहीं दिया गया.

पढ़ें- विवादों में फंसी BJP के नए कार्यालय की जमीन, यूकेडी और आप ने जताई घोटाले की आशंका

जानकारी के अनुसार कई मामलों में तो एक अस्पताल द्वारा दूसरे स्थान में रेफर करने के दौरान रास्ते में मरीजों की मौत हो गई. ऐसे में अस्पताल इसी बात को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाए की आखिरकार मरने वाले की मौत को कहां गिना जाए. दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य आशुतोष सयाना ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि मौतों के आंकड़ों में अंतर डिजिटल रूप से हुई तकनीकी खराबी के कारण हुआ है. जिसको भविष्य सुधारने के निर्देश दिए गए हैं.

पढ़ें- कोरोनाकाल में पुलिस की फजीहत करा देंगी ये तस्वीरें, कैमरे में कैद सबूत


एनएचएम ने थमाए स्पष्टीकरण देने के नोटिस
वहीं, अब इस मामले के संज्ञान में आने के बाद एनएचएम की ओर से सभी प्राइवेट अस्पतालों के साथी दून अस्पताल प्रबंधन को भी स्पष्टीकरण दिए जाने के नोटिस थमा दिए गए हैं. एनएचएम के अपर मिशन निदेशक डॉ. अभिषेक त्रिपाठी की ओर से जारी अस्पतालों को स्पष्टीकरण के नोटिस में यह कहा गया है कि कोविड-19 उपचार के लिए चयनित चिकित्सालय को प्रत्येक कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों की मृत्यु होने की परिस्थिति में तत्काल सूचना उत्तराखंड स्टेट कंट्रोल रूम कोविड-19 को उपलब्ध कराया जाना जरूरी है. मगर, कुछ अस्पतालों द्वारा कोविड-19 सो हुई मौतों की सूचना काफी विलंब से या कई बार अनुरोध करने के बाद उपलब्ध कराई जा रही है. इसके अलावा मौत की डेथ ऑडिट रिपोर्ट भी विलंब से भेजी जा रही है. विभाग की ओर से सभी अस्पतालों को निर्देशित किया गया है कि मौत की जानकारी तत्काल उसी दिन या अगले दिन अनिवार्य रूप से उत्तराखंड स्टेट कंट्रोल रूम कोविड-19 को उपलब्ध कराई जानी अनिवार्य है.

बहरहाल, सवाल ये उठता है कि अगर 89 लोगों की मौत बीते दिनों में कोरोना से हुई, तो ये आंकड़े अबतक छुपे क्यों रहे. क्या इन मरीजों के शवों का अंतिम संस्कार कोविड की गाइडलाइन के तहत किया गया? वहीं, इस बड़ी लापरवाही का जिम्मेदार आखिर कौन है.

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