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उत्तराखंड सपा में बड़ा फेरबदल, शंभू पोखरियाल बने प्रदेश अध्यक्ष, अब्दुल मतीन प्रदेश प्रभारी

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश संगठन में फेरबदल करते हुए शंभू पोखरियाल को उत्तराखंड समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी है. वहीं, डॉ सत्यनारायण सचान को राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी दी गई है.

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Published : Sep 1, 2022, 5:13 PM IST

लखनऊ: समाजवादी पार्टी सपा ने उत्तराखंड में संगठन के अंदर बड़ा बदलाव किया है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश संगठन में फेरबदल करते हुए शंभू पोखरियाल को उत्तराखंड समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी है.

सपा के राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी ने जानकारी देते हुए बताया कि निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष डॉ एसएन सचान को समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय सचिव और अब्दुल मतीन सिद्दीकी को उत्तराखंड का प्रदेश प्रभारी नियुक्त किया गया है.
पढ़ें- उत्तराखंड कांग्रेस में 'आजादी' को तैयार कई 'गुलाम'! एक बार फिर फूट के संकेत, माहरा ने जताई आशंका

उत्तर प्रदेश से अलग होकर बने उत्तराखंड के सियासी पहाड़ियों पर समाजवादी पार्टी की साइकिल कभी चढ़ नहीं सकी. दो दशक में चार विधानसभा चुनाव में हर बार समाजवादी पार्टी ने कोशिश की, लेकिन पार्टी एक बार भी अपना खाता भी नहीं खोल सकी.

2004 के लोकसभा चुनाव में मिली एक सीट को छोड़ दें तो पार्टी को विधानसभा चुनाव में आज तक एक जीत नसीब नहीं हुई है. राज्य गठन से लेकर आज तक समाजवादी पार्टी की चुनावी समीक्षा की जाए तो स्थिति साफ हो जाती है. 2004 में हरिद्वार लोक सभा सीट से राजेंद्र कुमार की जीत ही आज तक पार्टी की झोली में आई है. हर विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी मतदाताओं को रिझाने में नाकाम साबित हुई है.

लखनऊ: समाजवादी पार्टी सपा ने उत्तराखंड में संगठन के अंदर बड़ा बदलाव किया है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश संगठन में फेरबदल करते हुए शंभू पोखरियाल को उत्तराखंड समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी है.

सपा के राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी ने जानकारी देते हुए बताया कि निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष डॉ एसएन सचान को समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय सचिव और अब्दुल मतीन सिद्दीकी को उत्तराखंड का प्रदेश प्रभारी नियुक्त किया गया है.
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उत्तर प्रदेश से अलग होकर बने उत्तराखंड के सियासी पहाड़ियों पर समाजवादी पार्टी की साइकिल कभी चढ़ नहीं सकी. दो दशक में चार विधानसभा चुनाव में हर बार समाजवादी पार्टी ने कोशिश की, लेकिन पार्टी एक बार भी अपना खाता भी नहीं खोल सकी.

2004 के लोकसभा चुनाव में मिली एक सीट को छोड़ दें तो पार्टी को विधानसभा चुनाव में आज तक एक जीत नसीब नहीं हुई है. राज्य गठन से लेकर आज तक समाजवादी पार्टी की चुनावी समीक्षा की जाए तो स्थिति साफ हो जाती है. 2004 में हरिद्वार लोक सभा सीट से राजेंद्र कुमार की जीत ही आज तक पार्टी की झोली में आई है. हर विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी मतदाताओं को रिझाने में नाकाम साबित हुई है.

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