देहरादून: भाजपा विधायक महेश नेगी ने ब्लैकमेलिंग व यौन शोषण मामले में अपने बयान दर्ज करा दिये हैं. लेकिन इसके बाद पुलिस मुख्यालय में डीजीपी को पत्र लिखकर देहरादून डीआईजी की शिकायत की है. पत्र में विधायक ने लिखा है कि उनका स्वास्थ्य खराब होने के कारण वह दो-तीन दिन से पुलिस के पास बयान दर्ज कराने नहीं आ सके. ऐसे में डीआईजी ने उनको जबरन उठाकर सख्त कार्रवाई करने जैसा आपत्तिजनक बयान दिया.
इतना ही नहीं, विधायक ने मुख्यालय को लिखे पत्र में यह भी कहा कि उनकी शिकायत पर कार्रवाई करने की बजाय पुलिस उनके साथ इस प्रकार का व्यवहार कर रही है. विधायक ने इस मामले में ब्लैकमेल करने वाली महिला सहित अन्य लोगों की गिरफ्तारी की मांग भी की है.
बता दें कि देहरादून डीआईजी अरुण मोहन जोशी ने इस मामले पर नाराजगी जाहिर करते हुए निष्पक्ष जांच में सहयोग न करने वाले आरोपित लोगों को बिना देर किए गिरफ्तार करने के जैसे ही निर्देश दिए उसके तत्काल बाद ही बीजेपी विधायक महेश नेगी आनन-फानन में सीओ सदर कार्यालय पहुंचे और अपना बयान दर्ज कराया. इससे पहले उनपर आरोप लग रहे थे कि वह पुलिस पूछताछ व बयान देने में स्वास्थ्य का हवाला देकर लेटलतीफी कर रहे हैं.
क्या है मामला
बता दें, द्वाराहाट बीजेपी विधायक पर एक महिला ने शारीरिक शोषण का आरोप लगाया है. आरोप है कि विधायक ने महिला का 2 साल तक शारीरिक शोषण किया. साथ ही दावा किया कि उसकी बेटी के पिता विधायक महेश नेगी हैं. आरोप लगाने वाली महिला ने डीएनए टेस्ट कराने की मांग भी उठाई है. वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी विधायक महेश नेगी की पत्नी ने भी आरोप लगाने वाली महिला पर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया है. विधायक नेगी की पत्नी ने महिला के खिलाफ देहरादून की नेहरू कॉलोनी थाने में मुकदमा भी दर्ज कराया है, जिसमें कहा गया है कि उसने विधायक को ब्लैकमेल कर 5 करोड़ रुपये की मांग की थी.
उधर महिला का आरोप है कि विधायक की पत्नी ने उसे मुंह बंद करने के लिए पहले 5 फिर 25 लाख रुपये तक ऑफर किये थे. लेकिन उसने इस ऑफर को ठुकराते हुए विधायक के कारनामों को उजागर करते हुये न्याय दिलाने की मांग की.
जांच में सहयोग न करने वाला होगा गिरफ्तार: डीआईजी
देहरादून डीआईजी ने साफ कहा कि मामला बेहद गंभीर है. ऐसे में दोनों पक्षों की ओर से जिसके भी सबूत व साक्ष्य सत्य पाए जाएंगे, उसी के आधार पर चार्जशीट तैयार की जाएगी. पहले ही एक मुकदमा दर्ज किया जा चुका है. इसी के चलते एक ही दर्ज मुकदमे की जांच में दोनों पक्षों के प्रार्थना पत्र शामिल किये गए हैं. मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच अधिकारी को बदल कर आगे की जांच सीओ सदर को ट्रांसफर की गई है. डीआईजी ने साफ तौर पर कहा कि इस पूरे प्रकरण में पुलिस निष्पक्ष जांच कर रही है. उन्होंने कहा अगर कोई जांच में सहयोग नहीं करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.