ऋषिकेश: राजधानी देहरादून में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के ही विधानसभा क्षेत्र में लिंगानुपात घट गया है. लिंगानुपात घटने से स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों के माथे पर सिकन बढ़ गई है. अब उन्होंने इस अनुपात को बेहतर स्थिति में लाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं. डोईवाला क्षेत्र की आशा कार्यकत्रियों को भ्रूण हत्या रोकने के लिए अब शपथ दिलाई जा रही है.
डोईवाला विधानसभा क्षेत्र में लिंगानुपात घटने का चौंकाने वाला खुलासा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर खुद राज्य के स्वास्थ्य महकमे की अपर चिकित्सा अधिकारी डॉ. वंदना सेमवाल ने किया. उन्होंने जिले के कई क्षेत्रों के लिंगानुपात का आंकड़ा जारी किया. डॉ. वंदना दून मार्ग स्थित एक होटल में पीसीपीएनडीटी की ओर से आयोजित कार्यक्रम में पहुंची थीं. कार्यक्रम में डोईवाला क्षेत्र की कई आशा कार्यकत्रियां भी मौजूद थीं.
डॉ. वंदना ने डोईवाला क्षेत्र में घटते लिंगानुपात (1000 पुरुष पर 916 महिलाएं) पर न सिर्फ गहरी चिंता जाहिर की, बल्कि इस समस्या के निस्तारण को भी समाज की पहली प्राथमिकता बताया. कार्यक्रम में मौजूद तमाम आशाकार्यकत्रियों को अपर चिकित्सा अधिकारी ने भ्रूण हत्या रोकने के लिए शपथ दिलाई. उन्हें इस अपराध को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए भी कहा. आशा कार्यकत्रियों को आधुनिक सुविधा उपलब्ध कराते हुए एनएचएम की ओर से 50 स्मार्टफोन भी दिए गए. मौके पर तहसीलदार रेखा आर्य के अलावा स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी भी मौजूद रहे.
देहरादून जिले का रिपोर्ट कार्ड
क्षेत्र- लिंगानुपात
डोईवाला- 1000-916
सहसपुर- 1000-997
रायपुर- 1000-974
कालसी- 1000-943
चकराता- 1000-1147
विकासनगर- 1000-951
(स्रोत: स्वास्थ्य विभाग)
उधर ऋषिकेश में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर बैराज स्थित कैंप कार्यालय में कार्यक्रम आयोजित किया गया. विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दे रही महिलाओं को सम्मानित किया. अग्रवाल ने कार्यक्रम में आस संस्था की सचिव हेमलता और महिला सशक्तिकरण के कामों के लिए कविता ध्यानी व आशा नेगी को सम्मानित किया. मौके पर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की प्रदेश संयोजिका सरोज डिमरी, पार्षद सुंदरी कंडवाल, पूर्व पार्षद कविता शाह, महिला मोर्चा की अध्यक्ष रजनी बिष्ट, ऊषा जोशी, समा पंवार आदि मौजूद रहीं.
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"घौर की पछ्यांण नौनी कु नौ" पहल को बढ़ावा
वहीं पौड़ी में बेटियों को उनकी पहचान दिलाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से एक सराहनीय पहल "घौर की पछ्यांण नौनी कु नौ" की शुरुआत की गई थी. इस योजना के तहत जिलाधिकारी पौड़ी की ओर से भी इस पहल को प्रोत्साहन देते हुए बेटियों के घर जाकर उनके नाम से नेम प्लेट लगाई गई. जिलाधिकारी पौड़ी ने कहा कि पौड़ी जनपद से इस योजना की शुरुआत हुई है. अन्य जिले भी इससे प्रेरित होंगे. इसका मुख्य उद्देश्य बेटियों को समाज में अपनी अलग पहचान मिल सके है.
पौड़ी उत्तराखंड का पहला जिला है जहां पर बेटियों को उनकी पहचान दिलाने के लिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत "घौर की पछ्यांण नौनी कु नौ"( घर की पहचान बेटी के नाम) योजना की शुरुआत की गई है. इस योजना की शुरुआत पौड़ी के खिर्सू ब्लॉक से की गई थी. जिसमें 125 घरों में बेटियों के नाम से नेमप्लेट लगाई गई थी. यह सिलसिला पूरे जनपद के सभी ब्लॉकों में किया जाना है. वहीं मुख्य विकास अधिकारी पौड़ी आशीष भटगाई ने बताया कि इस सूचना को प्रोत्साहन देने के लिए स्वयं जिलाधिकारी पौड़ी की ओर से बालिकाओं के घर जाकर उनके घर के बाहर उनकी नेम प्लेट लगाकर उन्हें प्रोत्साहित किया गया. अब तक 250 नेमप्लेट लग चुकी हैं. पौड़ी के प्रत्येक ब्लॉक में एक हजार यानी पूरे जिले में 15 हजार नेमप्लेट लगाने का लक्ष्य रखा गया है.