देहरादून: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच देश भर में लाखों लोग जिंदगी की जंग हार चुके हैं. दूसरी तरफ कोरोना संक्रमण का यह मुश्किल दौर देश की आर्थिक स्थिति पर भी गहरा जख्म दे रहा है. जाने-माने वरिष्ठ स्तंभकार डॉ. सुशील कुमार सिंह की मानें तो साल 2020 में जब कोरोना ने पहली बार भारत में दस्तक दी थी. तब से ही देश की अर्थव्यवस्था गिरने लगी थी. लेकिन अब जब देश कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहा है तो इसका असर आने वाले समय में देश की अर्थव्यवस्था पर कितना गहरा असर डालेगा, इसकी कल्पना करना मुश्किल है.
कोरोनाकाल में बढ़ी गरीबी
वरिष्ठ स्तंभकार डॉ. सुशील कुमार ने बताया कि पिछले साल मार्च 2020 से अक्टूबर 2020 के बीच देश में 23 करोड़ गरीब मजदूरों की कमाई की गहरा असर पड़ा है. इस दौरान जहां शहरी इलाकों में गरीबी 20 फीसदी तक बढ़ी, तो ग्रामीण इलाकों में भी गरीबी 15% तक तक बढ़ी. ऐसे में कोरोना की दूसरी लहर के बाद आने वाले समय में देश में गरीबी की स्थिति और भी भयावह होने का अंदाजा लगाया जा सकता है.
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मध्यम तबके पर पड़ा असर
डॉ. सुशील कुमार का कहना है कि साल 2020 में कोरोना की पहली लहर से ही देश की आर्थिकी को काफी गहरी चोट पहुंची है. स्थिति कुछ ऐसी है कि साल 2011 से 2019 के बीच करीब 6 करोड़ लोग मध्यम वर्ग की श्रेणी में शामिल हुए थे. लेकिन कोरोनाकाल में पिछले साल जारी लॉकडाउन के चलते एक साल में ही मध्यम वर्ग की श्रेणी में शामिल लगभग 3 करोड़ लोग निम्न तबके की श्रेणी में पहुंच गए हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि कोरोना के बाद से ही लोगों के काम-धंधे लगभग बंद से हो गए हैं. कई लोगों ने अपनी नौकरियां गंवा दी हैं.
समग्र राष्ट्रीय नीति की जरुरत
वरिष्ठ स्तंभकार डॉ. सुशील कुमार सिंह के मुताबिक जिस तरह कोरोना की पहली लहर ने देश की आर्थिकी की कमर लगभग तोड़ दी है. उसे देखते हुए अब समय आ गया है कि कोरोना की दूसरी लहर के बीच सरकार देश और देशवासियों की आर्थिकी को मजबूत करने के लिए एक समग्र राष्ट्रीय नीति लेकर आए. ऐसा इसलिए क्योंकि अभी भारत कोरोना की दूसरी लहर का सामना कर रहा है. जानकारों के मुताबिक अभी तीसरी लहर का आना बाकी है. यदि लहर पर लहर आती रही और इसका निस्तारण समय रहते न हुआ तो, इसमें कोई शक नहीं कि देश में गरीबों की तादाद बढ़ती चली जाएगी. लोग भुखमरी और कुपोषण का शिकार होते चले जाएंगे.