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परवान नहीं चढ़ पाई जिलों के प्रभारी सचिवों की व्यवस्था, अब पहाड़ चढ़ेंगे अधिकारी, जिलों में करेंगे रात्रि प्रवास - Arrangement of secretaries in charge of districts

सरकार ने अधिकारियों के जिलों में जाने और रात्रि विश्राम का खाका तैयार किया है. इसके तहत हर 15 दिन में अधिकारी पहाड़ चढ़ेंगे. इस नई व्यवस्था के तहत अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव से लेकर सचिव स्तर तक के अधिकारी जिलों का भ्रमण करेंगे.

officers will visit the districts
परवान नहीं चढ़ पाई जिलों के प्रभारी सचिवों की व्यवस्था
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Published : May 29, 2023, 7:07 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में जिलों के प्रभारी सचिवों की व्यवस्था परवान नहीं चढ़ पाई है. जिसके चलते उत्तराखंड सरकार ने अब नई प्रक्रिया के तहत अधिकारियों को पहाड़ चढ़ाने का रोड मैप तैयार किया है. सरकार का यह प्लान कितना कारगर साबित होगा ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन, जून महीने से अगले एक साल तक के लिए अधिकारियों को पहाड़ चढ़ाने का कैलेंडर तैयार किया जा चुका है. मुख्य रूप से राज्य सरकार जिलावार विकास कार्यों को गति और समीक्षा करने के लिए अधिकारियों को पहाड़ चाहना चाहती है.

दरअसल, उत्तराखंड सरकार आम जनता के लिए तमाम कल्याणकारी योजनाएं संचालित कर रही है. ये योजनाएं काफी लोक लुभावन तो होती हैं लेकिन आम जनता इसका फायदा नहीं उठा पाती है. इसके अलावा इन योजनाओं की स्थिति मात्र मैदानी जिलों तक ही सीमित रह जाती है. तमाम ऐसी योजनाएं जो पर्वतीय क्षेत्रों के लिए संचालित की जाती है ना तो उसकी जानकारी आम जनता को मिल पाती है. ना ही उस योजनाओं में क्या हुआ इसका अधिकारी सुध बुध लेते हैं. जिसके चलते तमाम कल्याणकारी योजनाएं मात्र फाइलों में ही दबी रह जाती है.

officers will visit the districts
अब पहाड़ चढ़ेंगे अधिकारी

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इन तमाम बिंदुओं को देखते हुए उत्तराखंड राज्य सरकार ने प्रदेश में प्रभारी सचिवों की व्यवस्था शुरू की थी, लेकिन, इस व्यवस्था के तहत अधिकारियों के पहाड़ न चढ़ने और इस व्यवस्था मे कुछ कमियां होने के चलते परवान नहीं चढ़ पाई. इसका कोई भी फायदा नहीं मिल पाया. जिसके चलते अब उत्तराखंड सरकार अधिकारियों को पहाड़ चढ़ाने और योजनाओं को धरातल पर उतरने के लिए नया रोड मैप तैयार किया है. जिसके तहत सरकार ने अधिकारियों के जिलों में जाने और रात्रि विश्राम का खाका तैयार किया है. इसके तहत हर 15 दिन में अधिकारी पहाड़ चढ़ेंगे. इस नई व्यवस्था के तहत अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव से लेकर सचिव स्तर तक के अधिकारी जिलों का भ्रमण करेंगे. अगले एक साल तक ये अधिकारी हर 15 दिन में जिलों का भ्रमण पर दूरस्थ गांव में रात्रि विश्राम करेंगे. यही नहीं, भ्रमण के बाद अगले एक हफ्ते के भीतर अधिकारी को रिपोर्ट भी सौंपनी होगी. इसी क्रम में इस जिले में जाने वाले दूसरे अधिकारी को भी वह रिपोर्ट सौंपी जाएगी, ताकि जिले के दौरान के दौरान पहले अधिकारी की रिपोर्ट की सत्यता जांच सके कि रिपोर्ट की सत्यता कितनी है. साथ ही रिपोर्ट को फॉलोअप भी कर सकें.

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अब पहाड़ चढ़ेंगे अधिकारी

पढे़ं- कर्ज में डूबे उत्तराखंड में दिल खोलकर हो रहा खर्च, कंसल्टेंट एजेंसी के बाद विशेषज्ञों की भर्ती पर उठे सवाल

यह व्यवस्था जून महीने से शुरू हो जाएगी. इस व्यवस्था को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य यही है कि पहले जिलों के प्रभारी बनाए जाने की व्यवस्था से अधिकारी मात्र एक जिले तक ही सीमित रह पाता था. अपनी विभाग की योजनाओं को सिर्फ एक जिले में ही मॉनिटर कर पाता था. ऐसे में अब इस व्यवस्था के तहत अधिकारी अपने संबंधित विभागों के योजनाओं की स्थिति सभी जिलों में जान सकेंगे. साथ ही योजनाओं को बेहतर ढंग से धरातल पर उतारने के लिए नई कार्य योजना भी तैयार कर सकेंगे.

देहरादून: उत्तराखंड में जिलों के प्रभारी सचिवों की व्यवस्था परवान नहीं चढ़ पाई है. जिसके चलते उत्तराखंड सरकार ने अब नई प्रक्रिया के तहत अधिकारियों को पहाड़ चढ़ाने का रोड मैप तैयार किया है. सरकार का यह प्लान कितना कारगर साबित होगा ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन, जून महीने से अगले एक साल तक के लिए अधिकारियों को पहाड़ चढ़ाने का कैलेंडर तैयार किया जा चुका है. मुख्य रूप से राज्य सरकार जिलावार विकास कार्यों को गति और समीक्षा करने के लिए अधिकारियों को पहाड़ चाहना चाहती है.

दरअसल, उत्तराखंड सरकार आम जनता के लिए तमाम कल्याणकारी योजनाएं संचालित कर रही है. ये योजनाएं काफी लोक लुभावन तो होती हैं लेकिन आम जनता इसका फायदा नहीं उठा पाती है. इसके अलावा इन योजनाओं की स्थिति मात्र मैदानी जिलों तक ही सीमित रह जाती है. तमाम ऐसी योजनाएं जो पर्वतीय क्षेत्रों के लिए संचालित की जाती है ना तो उसकी जानकारी आम जनता को मिल पाती है. ना ही उस योजनाओं में क्या हुआ इसका अधिकारी सुध बुध लेते हैं. जिसके चलते तमाम कल्याणकारी योजनाएं मात्र फाइलों में ही दबी रह जाती है.

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यह व्यवस्था जून महीने से शुरू हो जाएगी. इस व्यवस्था को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य यही है कि पहले जिलों के प्रभारी बनाए जाने की व्यवस्था से अधिकारी मात्र एक जिले तक ही सीमित रह पाता था. अपनी विभाग की योजनाओं को सिर्फ एक जिले में ही मॉनिटर कर पाता था. ऐसे में अब इस व्यवस्था के तहत अधिकारी अपने संबंधित विभागों के योजनाओं की स्थिति सभी जिलों में जान सकेंगे. साथ ही योजनाओं को बेहतर ढंग से धरातल पर उतारने के लिए नई कार्य योजना भी तैयार कर सकेंगे.

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