देहरादून: राज्य सरकारों के लिए सचिवालय में बैठे अफसरों को पहाड़ चढ़ाना जितना मुश्किल है, उतना ही मुश्किल अपने आदेशों का पालन करवाना भी है. ताजा मामला मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सोमवार को नो मीटिंग डे के आदेश से जुड़ा है. दरअसल सचिवालय में कहने को तो सोमवार का दिन 'NO MEETING DAY' होता है, लेकिन इस दिन अफसर सबसे ज्यादा बैठकों में व्यस्त दिखाई देते हैं, जबकि इस दिन सचिवालय में अफसरों को जन समस्याएं सुनने और उसे निवारण के आदेश दिए गए हैं.
उत्तराखंड में मई 2022 के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आदेश दिया कि सचिवालय में सोमवार का दिन NO MEETING DAY होगा. नो मीटिंग डे यानी हफ्ते में ये एक दिन सचिवालय में जन समस्याएं सुनी जाएंगी. इस दिन विभागीय बैठके अफसर नहीं करेंगे. इस फैसले का मकसद आईएएस अफसरों को सचिवालय में बैठकर जनता की समस्याओं से सीधे रूबरू करवाना था. इसके लिए सचिवालय में लोगों की आसान एंट्री किए जाने की भी व्यवस्था की गई थी, मगर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का ना तो वह मकसद पूरा हो पाया और ना ही अफसरों ने ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री के उस निर्देश को याद रखा.
मई 2022 में दिए गए इस निर्देश को करीब 1 साल का वक्त बीत चुका है, लेकिन स्थिति यह है कि अब तक एक भी आईएएस अफसर ने अपने कार्यालय से इस 1 साल के दौरान फरियादियों की जन समस्याओं के निवारण को लेकर कोई डाटा साझा नहीं किया. यही नहीं सोमवार के दिन तमाम अफसर बैठकों में व्यस्त रहते हैं. ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री के इस निर्देश का मकसद फेल होता हुआ नजर आता है.
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सोमवार के दिन का चयन होना भी सवालों में: सोमवार सप्ताह का पहला कार्य दिवस है, लिहाजा इस दिन विभागों से लेकर सचिवालय स्तर तक पर कई महत्वपूर्ण कार्य होते हैं. लिहाजा कहा जा रहा है कि हफ्ते में एक दिन नो मीटिंग डे के रूप में रखे जाने के दौरान सोमवार के दिन का चयन करना भी सही नहीं रहा. सचिवालय में 5 दिन ही कार्य होता हैं. 2 दिन अवकाश के होते हैं लिहाजा शुक्रवार के दिन को नो मीटिंग डे के रूप में रखकर जनता से मिलने का दिन तय करना ज्यादा मुफीद माना जा रहा है.