बेरीनाग: आपदा के 9 दिन बाद भी बेरीनाग के मनगढ़ गांव के ग्रामीण खौफ में है. मनगढ़ गांव में आपदा के जख्म साफ देखने को मिल रहा है. अभी भी खतरा टला नहीं है. खड़िया खनन क्षेत्र से लगातार पानी का रिसाव हो रहा है. जो गांव तक पहुंच रहा है. गांव को जाने वाला पैदल मार्ग और पेयजल स्तोत्र पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं. मंदिर का रास्ता भी आपदा की भेंट चढ़ गया है. पांच घरों के आगे मलबा जमा हुआ है. ऐसे में मलबे में दल-दल होने से काफी परेशानी हो रही है.
12 सितंबर को भूस्खलन से 7 मकान हुए थे जमींदोज: गौर हो कि बीती 12 सितंबर को खड़िया खनन से भूस्खलन होने से मनगढ़ गांव में 7 मकान जमींदोज हो गए थे. जबकि, एक दर्जन घर खतरे की जद में आ गए. उस दौरान प्रशासन ने समय रहते ही सभी घरों को खाली कर दिया था. जिससे बड़ा और भीषण हादसा होने से टल गया था. वहीं, ग्रामीणों के आंखों के सामने ही उनके आशियाने बह और टूट गए थे.
आपदा की जानकारी मिलते ही डीएम विनोद गोस्वामी और एसपी रेखा यादव के नेतृत्व में 13 सितंबर को अधिकारी व स्थानीय जनप्रतिनिधि गांव पहुंचे. जहां उन्होंने आपदा प्रभावितों का हाल चाल जाना. साथ ही प्रभावित परिवारों के रहने खाने समेत अन्य व्यवस्थाएं की. इसके अलावा मुआवजा की कार्रवाई करने का भरोसा आपदा प्रभावित परिवारों को दिया.
खड़िया खनन को लेकर लोगों में आक्रोश, 9 दिनों से डर के साए ग्रामीण: हर किसी आपदा प्रभावित की आंखे नम होने के साथ ही खड़िया खनन को लेकर आक्रोश है. ग्राम प्रधान राजन सिंह ने बताया कि पूरा गांव आपदा के बाद से डरा हुआ है. कब फिर आपदा आ जाए और कब गांव को नुकसान पहुंच जाए? ये कहा नहीं जा सकता है. उधर, एसडीएम यशवीर सिंह की ओर से लगातार ग्रामीणों की जानकारी ली जा रही है. साथ ही मदद का भरोसा भी दिलाया है, लेकिन खड़िया खनन करने वाले 9 दिन के बाद भी गांव में नहीं पहुंचे हैं न ही उनकी ओर से कोई मदद की गई है.
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डीएम विनोद गोस्वामी ने खान अधिकारी और भूगर्भीय अधिकारी को गांव में आपदा प्रभावितों के विस्थापन से लेकर खड़िया खनन के जांच के आदेश दिए थे, लेकिन अभी तक ये अधिकारी गांव में नहीं पहुंचे और न ही विस्थापन की कोई कार्रवाई शुरू की. जिस दिन डीएम गांव में पहुंचे थे, उस दिन गांव में स्वास्थ्य शिविर भी लगाया था, लेकिन उसके बाद स्वास्थ्य शिविर भी नहीं लगा. गांव के कुछ प्रभावित परिवारों ने स्वास्थ्य खराब होने की बात कही है.
ग्राम प्रधान राजन सिंह ने बताया कि अभी तक कृषि भूमि पशुपालन खनन समेत कोई भी विभागीय अधिकारी मौके पर नहीं आए हैं. आपदा प्रभावित कल्याण सिंह और नंदन सिंह का कहना है कि उनकी सुध नहीं ली जा रही है. सिर्फ डीएम के सामने सभी अधिकारियों ने मदद का भरोसा दिया था, लेकिन 9 दिन बाद भी हालात जस के तस है.
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आपदा प्रभावित की स्थिति को सीएम और विधायक को कराया जा चुका अवगत: मनगढ़ के आपदा प्रभावित का हाल जाने के लिए पूर्व जिला पंचायत सदस्य वरिष्ठ बीजेपी नेता धीरज बिष्ट ने मौके पर पहुंचे और आपदा प्रभावितों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनी. उन्होंने सीएम पुष्कर धामी और विधायक फकीर राम टम्टा को आपदा प्रभावित गांव की वर्तमान स्थिति से अवगत कराया. साथ ही जल्द विस्थापन और मुख्यमंत्री राहत कोष से भी मुआवजा देने की मांग की. बता दें कि विधायक फकीर राम टम्टा पिछले एक पखवाड़े से जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में पार्टी की ओर दी गई जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
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92 वर्षीय वृद्धा ने सदमे खाना पीना छोड़ा: आपदा प्रभावित कल्याण सिंह की 92 वर्षीय माता विशुली देवी अपने सामने अपना मकान जमींदोज होते हुए देखने के बाद सदमे में चली गई है. अब उन्होंने खाना-पीना सब छोड दिया है. हालत गंभीर बनी हुई है. कल्याण सिंह का परिवार वर्तमान में गांव में शरण ले रखी है.
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वहीं, कल्याण सिंह की बहू के पास रहने के लिए जगह न होने पर मायके चली गई है. कल्याण सिंह ने बताया कि उनके पास सिर्फ मकान और कुछ खेत थे. जिसमें सब्जी का उत्पादन कर परिवार का भरण पोषण करते थे, लेकिन आपदा में सब कुछ खत्म हो गया है. अब उनके पास गांव में कहीं भी कोई जमीन नहीं है, जहां पर वो अपना घर बना सकें.
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1 लाख 30 हजार रुपए में कैसे बनेगा मकान? आपदा नियमावली 2023 में बदलाव के बाद मुआवजा राशि को विभिन्न श्रेणियों में बांट दिया गया है. जिसमें पहाड़ी क्षेत्र में पूरा मकान ध्वस्त होने पर 1 लाख 30 हजार रुपए की मुआवजा राशि मिलती है, लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में इस धनराशि में मकान बनाना मुश्किल ही नामुमकिन है. प्रभावित नंदन सिंह ने बताया कि उन्हें सिर्फ मकान बनाकर दिया जाए. धनराशि की आवश्यकता नहीं है. इस धनराशि में वो मकान नहीं बना सकते हैं.
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स्कूल का रास्ता बंद होने से भूलकी अध्याली में पढ़ेंगे बच्चे: आपदा के कारण राजकीय प्राथमिक विद्यालय मनगढ़ को जाने वाला रास्ता पूरी तरह से ध्वस्त हो गया. जिस कारण 12 बच्चों को स्कूल जाने में परेशानी हो रही है. जिस पर अब मनगढ़ गांव के पास में स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय भूलकी अध्याली में बच्चों को पढ़ाई की व्यवस्था कर दी गई है.
पूरे मामले में खंड शिक्षा अधिकारी भूपेंद्र कुमार ने बताया एसएमसी की बैठक में अभिभावकों की सहमति और बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए भूलकी अध्याली में पढ़ाई करवाई जाएगी. रास्ता ठीक होने के बाद फिर से मनगढ़ में ही पढ़ाई की जाएगी. फिलहाल, अभिभावकों को अपने बच्चों को भूलकी अध्याली भेजना होगा.
तहसील की ओर रोजाना आपदा प्रभावितों की रिपोर्ट ली जा रही है. राजस्व निरीक्षक और उप निरीक्षक को लगातार गांव में जाकर हालत देखने को कहा गया है. स्वास्थ्य विभाग की टीम को भी गांव भेज दिया गया है. पशुपालन विभाग समेत अन्य विभागों से कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. आपदा प्रभावितों को कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी. - यशवीर सिंह, एसडीएम, बेरीनाग
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