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हरिद्वार के चंडी देवी मंदिर पहुंची वैज्ञानिकों की टीम, भूस्खलन प्रभावित एरिया का लिया जायजा

Uttarakhand Landslide Mitigation and Management Center के विशेषज्ञों की टीम आज हरिद्वार के चंडी देवी मंदिर पहुंची. जहां टीम ने चंडी देवी पहाड़ी पर भूस्खलन का जायजा लिया. साथ ही भूस्खलन से संबंधित अहम जानकारियां जुटाई. बता दें कि इस बार चंडी देवी की पहाड़ियों पर भूस्खलन हुआ था. यह भूस्खलन दुकानों के ठीक नीचे हुआ. Chandi Devi Temple Landslide

Chandi Devi Temple Landslide
चंडी देवी पहाड़ी पर भूस्खलन का जायजा लेते वैज्ञानिक
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 25, 2023, 7:08 PM IST

देहरादूनः हरिद्वार के चंडी देवी पहाड़ी पर हो रहे भूस्खलन का जायजा लेने वैज्ञानिकों की टीम पहुंची. इस दौरान टीम ने भूस्खलन क्षेत्र का बारीकी से जायजा लिया और रिपोर्ट तैयार की. वैज्ञानिकों की इस रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. इस बार चंडी देवी की पहाड़ियों पर भूस्खलन देखने को मिला था. जिसने सरकार और भू वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ाई है.

Chandi Devi Temple Landslide
चंडी देवी पहाड़ी पर भूस्खलन का जायजा लेते वैज्ञानिक

बता दें कि उत्तराखंड में मानसून सीजन में बारिश ने जमकर कहर बरपाया है. इस बार मैदानी इलाकों में बारिश का काफी तांडव देखने को मिला. खासकर हरिद्वार के विभिन्न इलाकों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हुए. जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा तो वहीं चंडी देवी मंदिर की पहाड़ी पर भी भूस्खलन देखने को मिला. जिसके चलते कई दुकानों को नुकसान पहुंचा. इस भूस्खलन ने भक्तों के साथ ही स्थानीय लोगों में भी खौफ पैदा कर दिया था. लिहाजा, एहतियातन भक्तों के मंदिर जाने पर रोक लगा दी गई. हालांकि, बाद में रोक हटा ली गई थी.
ये भी पढ़ेंः हरिद्वार में बारिश का कहर, मां चंडी देवी मंदिर की पहाड़ी पर बड़ा भूस्खलन, भक्तों के जाने पर रोक

वहीं, चंडी देवी और मां मनसा देवी पहाड़ी पर जगह-जगह हो रहे भूस्खलन को देखते हुए राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने हरिद्वार डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल को गंभीरता से एक्शन के लेने के लिए कहा था. जिसके बाद आज उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र (यूएलएमएमसी) के कई विशेषज्ञों ने चंडी देवी मंदिर पहुंचकर भूस्खलन प्रभावित एरिया का जायजा लिया. इससे पहले भी एक्सपर्ट की टीम ने जुलाई महीने में पूरे भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों का व्यापक और गहन स्थलीय निरीक्षण किया था.
ये भी पढ़ेंः खतरे में हैं हरिद्वार की रक्षक मां चंडी और मनसा देवी की पहाड़ियां, बड़ी आबादी होगी प्रभावित, भू वैज्ञानिक चिंतित

आज भी यूएलएमएमसी के वैज्ञानिकों जिनमें रुचिका टंडन, सहायक इंजीनियर प्रेम सिंह नेगी, सीनियर भू वैज्ञानिक डॉ. टन्ड्रिला सरकार और भू वैज्ञानिक पाल सिंह सर्वेयर मौजूद रहे. वैज्ञानिकों की टीम यह जानने आई थी कि भूस्खलन के शुरुआत से लेकर अब तक कितना बदलाव हुआ है या फिर भूस्खलन का जोन कितना बदला है. फिलहाल, तमाम वैज्ञानिक अपनी रिपोर्ट बना कर ले गए हैं. अब रिपोर्ट के आधार पर जिला प्रशासन को क्या कदम उठाने चाहिए. इस पर दिशा निर्देश दिए जाएंगे.

देहरादूनः हरिद्वार के चंडी देवी पहाड़ी पर हो रहे भूस्खलन का जायजा लेने वैज्ञानिकों की टीम पहुंची. इस दौरान टीम ने भूस्खलन क्षेत्र का बारीकी से जायजा लिया और रिपोर्ट तैयार की. वैज्ञानिकों की इस रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. इस बार चंडी देवी की पहाड़ियों पर भूस्खलन देखने को मिला था. जिसने सरकार और भू वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ाई है.

Chandi Devi Temple Landslide
चंडी देवी पहाड़ी पर भूस्खलन का जायजा लेते वैज्ञानिक

बता दें कि उत्तराखंड में मानसून सीजन में बारिश ने जमकर कहर बरपाया है. इस बार मैदानी इलाकों में बारिश का काफी तांडव देखने को मिला. खासकर हरिद्वार के विभिन्न इलाकों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हुए. जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा तो वहीं चंडी देवी मंदिर की पहाड़ी पर भी भूस्खलन देखने को मिला. जिसके चलते कई दुकानों को नुकसान पहुंचा. इस भूस्खलन ने भक्तों के साथ ही स्थानीय लोगों में भी खौफ पैदा कर दिया था. लिहाजा, एहतियातन भक्तों के मंदिर जाने पर रोक लगा दी गई. हालांकि, बाद में रोक हटा ली गई थी.
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वहीं, चंडी देवी और मां मनसा देवी पहाड़ी पर जगह-जगह हो रहे भूस्खलन को देखते हुए राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने हरिद्वार डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल को गंभीरता से एक्शन के लेने के लिए कहा था. जिसके बाद आज उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र (यूएलएमएमसी) के कई विशेषज्ञों ने चंडी देवी मंदिर पहुंचकर भूस्खलन प्रभावित एरिया का जायजा लिया. इससे पहले भी एक्सपर्ट की टीम ने जुलाई महीने में पूरे भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों का व्यापक और गहन स्थलीय निरीक्षण किया था.
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आज भी यूएलएमएमसी के वैज्ञानिकों जिनमें रुचिका टंडन, सहायक इंजीनियर प्रेम सिंह नेगी, सीनियर भू वैज्ञानिक डॉ. टन्ड्रिला सरकार और भू वैज्ञानिक पाल सिंह सर्वेयर मौजूद रहे. वैज्ञानिकों की टीम यह जानने आई थी कि भूस्खलन के शुरुआत से लेकर अब तक कितना बदलाव हुआ है या फिर भूस्खलन का जोन कितना बदला है. फिलहाल, तमाम वैज्ञानिक अपनी रिपोर्ट बना कर ले गए हैं. अब रिपोर्ट के आधार पर जिला प्रशासन को क्या कदम उठाने चाहिए. इस पर दिशा निर्देश दिए जाएंगे.

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