देहरादून: देश के कई हिस्सों में एक बार फिर देर रात भूकंप के झटके महसूस हुए. सबसे अधिक नेपाल और उत्तराखंड बॉर्डर पर इन झटकों को महसूस किया गया. रिक्टर स्केल पर 6.3 की तीव्रता वाले झटकों से ना केवल धरती डोली, बल्कि नेपाल में कई लोगों की मौत की खबर भी है. पूरी हिमालय बेल्ट भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील है. यही कारण है कि समय-समय पर वैज्ञानिक इस पर शोध करके जानकारियां सार्वजनिक करते रहते हैं, ताकि उनके बताए उपाय अपनाकर लोग इन झटकों से अपने घरों और अपने आप को सुरक्षित रख सकें. एक आंकड़े के मुताबिक बीते कुछ सालों में हर साल उत्तराखंड में 100 से अधिक भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं.
उत्तराखंड में लगातार आ रहे हैं भूकंप: 3 दिन पहले भी उत्तराखंड में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. उत्तराखंड में लगातार आ रहे भूकंप के झटके अधिकतर 3 मेग्नीट्यूड या उससे अधिक ही आ रहे हैं. वाणी इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिक डॉक्टर अजय पॉल कहते हैं कि उत्तराखंड में बीते 10 सालों में लगभग 700 भूकंप के झटके महसूस हुए हैं. वैज्ञानिकों की मानें तो अगर हिमालय में छोटे भूकंप के झटके लगातार आ रहे हैं, जैसा रिकॉर्ड भी बताता है कि हर महीने लगभग 100 झटके इस पूरी बेल्ट में आते हैं. हालांकि इनमें से कुछ ही भूकंप को महसूस किया जा सकता है. वैज्ञानिकों की मानें तो जितने छोटे भूकंप आएंगे, वह हिमालय के लिए अच्छी खबर है. क्योंकि जो एनर्जी जमीन के अंदर उत्पन्न हो रही है, वह अगर धीरे-धीरे करके रिलीज होगी तो बड़े भूकंप के आने का खतरा बेहद कम हो जाता है.
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वैज्ञानिक अजय पॉल क्या कहते हैं: वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक अजय पॉल का कहना है कि सरकारों और खुद व्यक्ति को भी यह ध्यान रखना होगा कि पहाड़ी राज्यों में जो वह मकान बना रहे हैं वह भूकंप रोधक बनाएं. बिना भीम के कोई भी मकान का निर्माण छोटे से भूकंप में भी नुकसान पहुंचा सकता है. ऐसे में सभी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए. एक जानकारी के मुताबिक इस साल उत्तराखंड में लगभग 14 ऐसे भूकंप के झटके आए हैं जो लोगों को महसूस हुए हैं. इनकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4 से अधिक थी.
इस साल 5 जनवरी को आया था पहला भूकंप: इस साल का पहला भूकंप 5 जनवरी की सुबह महसूस हुआ था. उसकी तीव्रता 3.6 मापी गई थी. वैज्ञानिकों का मानना है कि रोजाना देश में लगभग सैकड़ों भूकंप के झटके आते हैं, जो 2.0 तीव्रता के होते हैं. इसके साथ ही 800 बार साल भर में 5.0 से 5.9 तीव्रता के भूकंप देशभर में आते हैं. जबकि 10- 12 साल में 6.0 से 6.9 तक की तीव्रता वाले भूकंप भी आते हैं जो 18 बार औसतन दर्ज किए जाते हैं.
वैज्ञानिक सुशील कुमार ने खतरे से किया आगाह: वहीं वैज्ञानिक सुशील कुमार कहते हैं कि भले ही उत्तराखंड में आ रहे भूकंप के झटकों से अभी कोई बड़ा नुकसान ना हुआ हो, लेकिन भविष्य में हमें सचेत जरूर रहना होगा. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में करीब 24 किलोमीटर लंबी इंडियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट पर दबाव बना हुआ है. लगातार इंडियन प्लेट, यूरेशियन प्लेट के नीचे घिसक रही है. इसके धंसने की माप लगभग 40 से 50 मिलीमीटर तक है.
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भूकंप रोधी भवन बनाने की जरूरत: वैज्ञानिक सुशील कुमार ने कहा कि उत्तराखंड में इस तरह के झटके हमेशा महसूस होते रहेंगे. लिहाजा लोगों को ना केवल इसकी आदत डालनी होगी, बल्कि इससे कैसे बचा जाए, भविष्य में निर्माण कार्य कैसे हों, इस पर भी हमें ध्यान रखना होगा. हमें योजनाबद्ध तरीके से निर्माण कार्य करने पड़ेंगे. सरकारों को भी यह ध्यान रखना होगा कि जो भवन बन रहे हैं, वह भूकंप रोधक हैं या नहीं. हमें जापान जैसे देशों से भी सीख लेनी होगी.
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