देहरादून: लोकसभा और राज्यसभा में एसटी-एससी आरक्षण संविधान संशोधन विधेयक पास होने के बाद मंगलवार को उत्तराखंड विधानसभा में सर्वसम्मति से पास हो गया. हालांकि इस दौरान विपक्ष ने एक विषय जरूर रखा कि इस संशोधन में बाहर किए गए एंग्लो इंडियन सदस्य की व्यवस्था को पूर्व की तरह रखा जाए
एसटी-एससी आरक्षण को अगले 10 सालों तक बढ़ाए जाने को लेकर राज्यसभा और लोकसभा में पास हुए संविधान संशोधन को उत्तराखंड की विधानसभा में भी सर्वसम्मति से पास कर दिया गया है. विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने इस संशोधन पर चर्चा के लिए दो घंटे का समय रखा गया था. जिसके बाद विपक्ष से लेकर सत्ताधारी पार्टी के विधायकों ने भी अपने विचार इस संशोधन पर रखे. इस दौरान जहां विपक्ष ने एंग्लो इंडियन सदस्य की व्यवस्था को पूर्व की तरह बहाल करने का विषय रखा तो वहीं, सत्ता के कई विधायकों ने अपनी अलग राय से सत्ता पक्ष को चौंका दिया.
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कौन क्या बोला संविधान के इस संशोधन पर
संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक
संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण को अगले 10 सालों तक बढ़ाया गया है. एंग्लो इंडियन सदस्य को मनोनीत करने की जो व्यवस्था थी उसे आगे नहीं बढ़ाया गया है. इसके पीछे मदन कौशिक ने तर्क दिया कि देश में एंग्लो इंडियन सदस्य समुदाय की संख्या केवल 296 है. हालांकि, इस पर सदन में मौजूद एंग्लो इंडियन सदस्य ने मंत्री के इन आंकड़ों को गलत ठहराया.
नेता प्रतिपक्ष इंद्रा हृदयेश
नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने संविधान के इस संशोधन को स्वीकार किया और कहा कि अनुसूचित जाति जनजाति के लिए देश में अभी और काम करने की जरूरत है. हृदयेश ने जहां संविधान के इस संशोधन का स्वागत किया तो वहीं, एंग्लो इंडियन सदस्य की सदस्यता खत्म करने पर चिंता भी जाहिर की.
उन्होंने कहा कि एंग्लो इंडियन सदस्य को भी अगर आगे जगह दी जाती तो निश्चित तौर से उन्हें भी संविधान में समानता के इस अधिकार में जगह मिल पाती.
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कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और चकराता विधायक प्रीतम सिंह ने भी इस संशोधन का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का दु:ख है कि जहां हम संविधान में समानता के अधिकार की दुहाई देते हुए इस संशोधन के जरिए अनुसूचित जाति और जनजाति को अगले 10 सालों के लिए बढ़ा रहे हैं तो वहीं, एंग्लो इंडियन समुदाय कहीं ना कहीं इस संशोधन के बाद अपने अधिकारों को लेकर चिंता में है.
एंग्लो इंडियन विधायक जॉर्ज आईवान ग्रेगरी मैन
उत्तराखंड विधानसभा में एंग्लो इंडियन सदस्य के रूप में मौजूद डॉक्टर जॉर्ज आईवान ग्रेगरी मैन ने संविधान के इस संशोधन में एंग्लो इंडियन सदस्य को बाहर किए जाने पर दु:ख प्रकट किया. उन्होंने कहा कि अचानक से ऐसा किया जाना निश्चित तौर से एंग्लो इंडियन समुदाय के लिए एक चिंता का विषय है. उन्होंने संसदीय कार्य मंत्री के उसे आंकड़े को गलत बताया है जिसमें उन्होंने भारत में एंग्लो इंडियन की जनसख्या को कम बताया था.
मैन ने कहा कि उत्तराखंड में 16 एंग्लो इंडियन स्कूल है, जबकि संसदीय कार्य मंत्री प्रदेश में एंग्लो इंडियन सदस्यों की संख्या को शून्य बताया रहे हैं. मैन ने कहा कि भारत में एंग्लो इंडियन समुदाय धीरे-धीरे भले ही कम हो रहा है, लेकिन जितने भी लोग यहां मौजूद हैं वह भारत देश को अपनी मातृभूमि समझते हैं. देश के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका रखते हैं. इस तरह से उन्हें किसी अधिकार से अलग किया जाना निश्चित तौर से चिंता का एक विषय है.
सत्ता के पक्ष के विधायकों ने सरकार को चौंकाया
बदरीनाथ विधायक महेंद्र भट्ट
अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण को अगले 10 सालों तक बढ़ाए जाने का विरोध किया. उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था खत्म होनी चाहिए. जिस पर विपक्षी विधायकों ने भी खूब चुटकी ली.
विधयाक चंदन राम दास
अनुसूचित जाति से आने वाले बीजेपी विधायक चंदन राम दास ने इस संविधान संशोधन का स्वागत तो किया लेकिन बदले में प्रदेश सरकार पर कई आरोप भी लगाए. उन्होंने कहा कि आज केंद्र सरकार द्वारा अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण को 10 सालों के लिए बढ़ाया गया है लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा रोस्टर प्रक्रिया के जरिए लगातार अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है.
विधायक देशराज कर्णवाल
अनुसूचित जाति से आने वाले बीजेपी के एक और विधायक देशराज कंडवाल ने इस फैसले का स्वागत किया. साथ ही उन्होंने सत्ता पक्ष के विधायक महेंद्र भट्ट द्वारा की गई टिप्पणी पर भी पलटवार करने का प्रयास किया. हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा उन्हें शांत करवा दिया.