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उत्तराखंड के हर जिले में बनेंगे संस्कृत ग्राम, विद्यालय और महाविद्यालयों की बनेगी अलग नियमावली

उत्तराखंड के हर जिले में संस्कृत ग्राम बनेंगे. विद्यालय और महाविद्यालयों की अलग नियमावली बनाई जाएगी. संस्कृत शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में ये बातें धन सिंह रावत ने कही.

Sanskrit villages will be built in every district of Uttarakhand
उत्तराखंड के हर जिले में बनेंगे संस्कृत ग्राम
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Published : Aug 29, 2022, 8:13 PM IST

देहरादून: दून विश्वविद्यालय के सभागार में संस्कृत शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक (Review meeting of Sanskrit Education Department) आयोजित की गई. जिसमें विभागीय मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने शिरकत की. इस दौरान धन सिंह रावत ने कहा संस्कृत शिक्षा का वर्गीकरण करते हुये विद्यालयों एवं महाविद्यालयों की पृथक-पृथक नियमावली बनाई जायेगी. जिससे संस्कृत विद्यालयों के संचालन में किसी प्रकार की समस्याओं का सामना न करना पड़े. इसके लिये शीघ्र ही प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट में लाया जायेगा. प्रबंधन तंत्र एवं शिक्षक संगठनों द्वारा उठाई गई मांगों का भी निस्तारण किया जायेगा.

समीक्षा बैठक में अशासकीय सहायता प्राप्त शिक्षक संगठन एवं प्रबंधकीय संगठन की विभिन्न मांगों पर चर्चा करते हुए धन सिंह रावत ने कहा कि जो मांगे शासन स्तर की होंगी, उनका शीघ्र निराकरण कर लिया जायेगा. प्रबंध तंत्र से संबंधित मांगों का निराकरण उन्हें स्वयं ढूंढना होगा. विभागीय मंत्री ने बताया संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिये राज्य सरकार हर संभव प्रयास करेगी. जिसके तहत प्रत्येक जिले में एक-एक संस्कृत ग्राम बनाया जाएगा. साथ ही सूबे के 5 लाख बच्चों एवं युवाओं को संस्कृत भाषा में दक्ष करने के लिये विशेष प्रशिक्षण दिया जायेगा.

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उन्होंने बताया राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत प्री-प्राइमरी स्तर पर बाल बाटिकाओं में बच्चों के लिये संस्कृत भाषा के श्लोक संबंधी पाठ्यक्रम शामिल किया जायेगा. बैठक में शिक्षक संगठन के अध्यक्ष डॉ राम भूषण बिजल्वाण ने छह सूत्रीय मांगें रखी. जिनमें संस्कृत शिक्षा की नियमावली शीघ्र जारी करने, माध्यमिक शिक्षा की तर्ज पर प्रवक्त, एलटी, लिपिक एवं परिचाकरकों के पदों का सृजन, संस्कृत महाविद्यालयों में तैनात शिक्षकों को उच्च शिक्षा के समान लाभ देने, माध्यमिक स्तर के विद्यालयों में कार्यरत प्रभारी प्रधानाचार्यों का प्रधानाचार्य पद पर समायोजन करने, अनुरक्षण अनुदान देने तथा अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति किये जाने की मांग शामिल है.

पढे़ं- UKSSSC Paper Leak कांग्रेस बोली, बड़ी मछलियों को बचा रही सरकार, CBI जांच से कम मंजूर नहीं

इसी प्रकार प्रबंधकीय संगठन के अध्यक्ष जर्नादन कैरवान ने भी 13 सूत्रीय मांग पत्र पढ़कर विभागीय मंत्री को सौंपी. जिसमें संस्कृत विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में वर्षों से कार्यरत 155 शिक्षकों का समायोजन करने, विद्यालयों में लिपिक एवं परिचारकों की नियुक्ति हेतु आवश्यकतानुसार पदों का सृजन करने, नये पदों का सृजन करने, उत्तराखंड संस्कृत अकादमी द्वारा दिये जा रहे मानदेय को रूपये 6000 को बढ़ाकर 12 हजार प्रतिमाह करने तथा इस योजना का लाभ 50 से बढ़कर 100 शिक्षकों को दिये जाने की मांग की.

देहरादून: दून विश्वविद्यालय के सभागार में संस्कृत शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक (Review meeting of Sanskrit Education Department) आयोजित की गई. जिसमें विभागीय मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने शिरकत की. इस दौरान धन सिंह रावत ने कहा संस्कृत शिक्षा का वर्गीकरण करते हुये विद्यालयों एवं महाविद्यालयों की पृथक-पृथक नियमावली बनाई जायेगी. जिससे संस्कृत विद्यालयों के संचालन में किसी प्रकार की समस्याओं का सामना न करना पड़े. इसके लिये शीघ्र ही प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट में लाया जायेगा. प्रबंधन तंत्र एवं शिक्षक संगठनों द्वारा उठाई गई मांगों का भी निस्तारण किया जायेगा.

समीक्षा बैठक में अशासकीय सहायता प्राप्त शिक्षक संगठन एवं प्रबंधकीय संगठन की विभिन्न मांगों पर चर्चा करते हुए धन सिंह रावत ने कहा कि जो मांगे शासन स्तर की होंगी, उनका शीघ्र निराकरण कर लिया जायेगा. प्रबंध तंत्र से संबंधित मांगों का निराकरण उन्हें स्वयं ढूंढना होगा. विभागीय मंत्री ने बताया संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिये राज्य सरकार हर संभव प्रयास करेगी. जिसके तहत प्रत्येक जिले में एक-एक संस्कृत ग्राम बनाया जाएगा. साथ ही सूबे के 5 लाख बच्चों एवं युवाओं को संस्कृत भाषा में दक्ष करने के लिये विशेष प्रशिक्षण दिया जायेगा.

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उन्होंने बताया राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत प्री-प्राइमरी स्तर पर बाल बाटिकाओं में बच्चों के लिये संस्कृत भाषा के श्लोक संबंधी पाठ्यक्रम शामिल किया जायेगा. बैठक में शिक्षक संगठन के अध्यक्ष डॉ राम भूषण बिजल्वाण ने छह सूत्रीय मांगें रखी. जिनमें संस्कृत शिक्षा की नियमावली शीघ्र जारी करने, माध्यमिक शिक्षा की तर्ज पर प्रवक्त, एलटी, लिपिक एवं परिचाकरकों के पदों का सृजन, संस्कृत महाविद्यालयों में तैनात शिक्षकों को उच्च शिक्षा के समान लाभ देने, माध्यमिक स्तर के विद्यालयों में कार्यरत प्रभारी प्रधानाचार्यों का प्रधानाचार्य पद पर समायोजन करने, अनुरक्षण अनुदान देने तथा अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति किये जाने की मांग शामिल है.

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इसी प्रकार प्रबंधकीय संगठन के अध्यक्ष जर्नादन कैरवान ने भी 13 सूत्रीय मांग पत्र पढ़कर विभागीय मंत्री को सौंपी. जिसमें संस्कृत विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में वर्षों से कार्यरत 155 शिक्षकों का समायोजन करने, विद्यालयों में लिपिक एवं परिचारकों की नियुक्ति हेतु आवश्यकतानुसार पदों का सृजन करने, नये पदों का सृजन करने, उत्तराखंड संस्कृत अकादमी द्वारा दिये जा रहे मानदेय को रूपये 6000 को बढ़ाकर 12 हजार प्रतिमाह करने तथा इस योजना का लाभ 50 से बढ़कर 100 शिक्षकों को दिये जाने की मांग की.

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