देहरादून: वैश्विक महामारी के दौरान निजी स्कूल बंद थे. लेकिन शिक्षक स्कूल बंद होने के दौरान भी अभिभावकों से फीस वसूल रहे है. जिसके विरोध में उत्तराखंड संवैधानिक अधिकार संरक्षण मंच के कार्यकर्ताओं ने गांधी पार्क के गेट पर सांकेतिक उपवास रखते हुए धरना दिया. मंच के कार्यकर्ताओं ने निजी शिक्षण संस्थानों की मनमानी रोकने को लेकर सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को ज्ञापन भेजा.
उत्तराखंड संवैधानिक अधिकार संरक्षण मंच के संयोजक दौलत कुमार का कहना है कि जब से कोरोना महामारी की शुरुआत हुई तब से निजी शिक्षण संस्थान पूरी तरह से बंद हैं, लेकिन निजी शिक्षण संस्थान अपनी मनमानी और शासन की तरफ से दिए गए निर्देशों का उल्लंघन करते हुए अभिभावकों से मार्च से लेकर अब तक की फीस ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर वसूल रहे हैं.
उन्होंने कहा कि वास्तविकता यह है कि प्रदेश के अधिकांश विद्यार्थियों के पास ना तो स्मार्टफोन है और ना ही इंटरनेट की सुविधा. ग्रामीण क्षेत्रों में कई बार बिजली की आपूर्ति भी बाधित रहती है, लेकिन निजी शिक्षण संस्थान प्रबंधन इन सब बातों की अनदेखी करते हुए विद्यार्थियों से फीस वसूल रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस कोरोना काल में गरीब और कमजोर पृष्ठभूमि के अभिभावकों और विद्यार्थियों को इस आर्थिक बोझ को उठाने में काफी दिक्कतें आ रही है, क्योंकि इस संक्रमण के चलते उनकी आय के स्रोत समाप्त हो चुके हैं.
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उत्तराखंड संवैधानिक अधिकार संरक्षण मंच के कार्यकर्ताओं ने प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से निजी शिक्षण संस्थानों की मनमानी पर अंकुश लगाने की मांग की है. मंच के संयोजक का कहना है कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र अमल नहीं किया गया तो आने वाले समय में वह गांधी पार्क के सामने आमरण अनशन पर बैठने को मजबूर होंगे.
संरक्षण मंच की प्रमुख मांगें-
- भाजपा सरकार ने प्राइवेट स्कूलों से कोविड-19 के दौरान 50 फ़ीसदी फीस माफ करने को कहा था, लेकिन किसी भी निजी शिक्षण संस्थान ने कोई शुल्क माफ नहीं किया इसके लिए अति शीघ्र जांच समिति गठित कर रिपोर्ट को तत्काल सार्वजनिक किया जाए.
- जिन स्कूलों ने अभिभावकों से फीस ले ली है या तो अभिभावकों को फीस वापस करवाई जाए या फिर आने वाले महीनों में ली जाने वाली फीस को समायोजित किया जाए.