ETV Bharat / state

सल्ट उपचुनाव: सत्ता और सियासत का समीकरण, दांव पर बहुत कुछ

सल्ट विधानसभा उपचुनाव के नतीजों के लिए रविवार को मतगणना होनी है. ऐसे में सभी राजनीतिक दलों की निगाहें अब मतगणना केंद्रों पर टिकी हैं.

salt-assembly-by-election
सल्ट सीट का संग्राम
author img

By

Published : Apr 16, 2021, 10:28 PM IST

Updated : May 1, 2021, 11:00 PM IST

देहरादून: सल्ट विधानसभा उपचुनाव के नजीतों के लिए रविवार को मतगणना होनी है. सल्ट विधानसभा उपचुनाव को 2022 विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है. यही कारण है कि बीजेपी, कांग्रेस से साथ तमाम छोटे-बड़े सियासी दल इस लड़ाई में एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. सल्ट उपचुनाव को इस बार का सत्ता की सीढ़ी के तौर पर देखा जा रहा है, जिसके कारण इस उपचुनाव की अहमियत और बढ़ गई है.

सल्ट विधानसभा चुनाव को अगर पार्टियों के जनाधार के तौर पर देखा जाये तो ये सीट बीजेपी और कांग्रेस के नाम ही रही है. यहां क्षेत्रीय दलों का ज्यादा दखल नहीं रहा है. राज्य स्थापना के बाद से ही सल्ट विधानसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस का ही कब्जा रहा है. कांग्रेस के लिहाज से बात करें तो हरीश रावत के करीबी रहे रणजीत सिंह रावत यहां से दो बार विधायक रहे. जिसके कारण इस बार कांग्रेस को फिर से जीत की उम्मीद है, इसके अलावा हरीश रावत इस क्षेत्र के बड़े नेता हैं, जिसके कारण ये उम्मीदें और भी ज्यादा हैं.

अस्पताल से हरीश रावत कर चुके हैं अपील

सल्ट सीट कांग्रेस के लिए कितनी अहमियत रखती है इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि हरीश रावत कोरोना काल में भी अस्पताल से गंगा पंचोली के लिए अपील कर चुके हैं. यहीं, नहीं अस्पताल से डिस्चार्च होने के बाद चुनाव प्रचार के आखिरी दिन हरीश रावत ने गंगा पंचौली के समर्थन में कई जनसभाएं की. जिसके कारण अब सल्ट का चुनाव हरीश रावत की साख का चुनाव बन चुका है.

विरोधियों को कड़ा संदेश देना चाहते हैं हरदा

असल में सल्ट विधानसभा का उपचुनाव इसलिए भी हरीश रावत के लिए अहम हो गया है कि ये इलाका उनके गृह क्षेत्र से बहुत करीब सटा हुआ है. साथ ही इसके नतीजों के जरिए वो अपनी राजनीतिक विरोधियों को भी कड़ा संदेश देना चाहते हैं. यही कारण है कि वो सोशल मीडिया, जनसभा के जरिए लगातार गंगा पंचोली को जीताने की अपील कर रहे हैं. कुछ दिन पहले उन्होंने गंगा पंचोली की जीत को खुद के जीवन-मरण से जोड़ा था.

बीजेपी को भी बहुत कुछ साबित करने की जरूरत

वहीं, बात अगर बीजेपी की करें तो सुरेंद्र सिंह जीना को सल्ट सीट पर बीजेपी के ओपनर के तौर पर जाना जाता था. वे क्षेत्र के तेज-तर्रार नेताओं में शामिल थे. वे पढ़े लिखे और साफ छवि के नेता थे. जिसके कारण जनता ने उन्हें दो बार जीत का आशीर्वाद दिया. अब उनके निधन के बाद ये सीट जीतना बीजेपी के लिए खुद को साबित करने के बराबर है. हालांकि जीना की कमी को पूरा करने और सहानूभूति के सहारे सल्ट का सियासी दुर्ग जीतने के लिए बीजेपी ने उनके बड़े भाई महेश जीना को मैदान में उतारा है. कहा जाता है बीजेपी कार्यकर्ताओं की पार्टी है. वो चेहरे से नहीं बल्कि संगठन के बलबूते ही चुनाव जीतती है, जिसे उन्हें इस चुनाव में साबित करना होगा.

भाजपा ने झोंकी ताकत

यहीं कारण है कि भाजपा ने यहां जीत की जंप लगाने के लिए सरकार के दो मंत्री, दो सांसद और पार्टी के प्रांतीय पदाधिकारियों को लगाया. इसके साथ ही चुनाव प्रचार के अंतिम दिन सल्ट में महेश जीना के पक्ष में होने वाली जनसभा में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, भाजपा के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम, प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक मौजूद रहे.

कुल मिलाकर कहा जाये तो सल्ट विधानसभा सीट का उपचुनाव किसी जंग से कम नहीं होने वाला है. सभी दल अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. सत्ता और सियासत की लड़ाई का केंद्र बनी सल्ट विधानसभा सीट पर जल्द ही नतीजे सबके सामने होंने, जिसके बाद ये साबित हो जाएगा कि आखिर सल्ट का सिकंदर कौन होगा.

रविवार को आएंगे नतीजे

सल्ट उपचुनाव में कुल 95 हजार मतदाताओं ने भाग लिया. जनवरी 2021 के मतदाता सूची के अनुसार सल्ट में कुल मतदाताओं की संख्या 95,241 है, जिसमें 48,682 पुरुष और 46,559 महिला मतदाता हैं. सल्ट विधानसभा सीट में 17 अप्रैल को वोटिंग हुई थी.

देहरादून: सल्ट विधानसभा उपचुनाव के नजीतों के लिए रविवार को मतगणना होनी है. सल्ट विधानसभा उपचुनाव को 2022 विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है. यही कारण है कि बीजेपी, कांग्रेस से साथ तमाम छोटे-बड़े सियासी दल इस लड़ाई में एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. सल्ट उपचुनाव को इस बार का सत्ता की सीढ़ी के तौर पर देखा जा रहा है, जिसके कारण इस उपचुनाव की अहमियत और बढ़ गई है.

सल्ट विधानसभा चुनाव को अगर पार्टियों के जनाधार के तौर पर देखा जाये तो ये सीट बीजेपी और कांग्रेस के नाम ही रही है. यहां क्षेत्रीय दलों का ज्यादा दखल नहीं रहा है. राज्य स्थापना के बाद से ही सल्ट विधानसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस का ही कब्जा रहा है. कांग्रेस के लिहाज से बात करें तो हरीश रावत के करीबी रहे रणजीत सिंह रावत यहां से दो बार विधायक रहे. जिसके कारण इस बार कांग्रेस को फिर से जीत की उम्मीद है, इसके अलावा हरीश रावत इस क्षेत्र के बड़े नेता हैं, जिसके कारण ये उम्मीदें और भी ज्यादा हैं.

अस्पताल से हरीश रावत कर चुके हैं अपील

सल्ट सीट कांग्रेस के लिए कितनी अहमियत रखती है इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि हरीश रावत कोरोना काल में भी अस्पताल से गंगा पंचोली के लिए अपील कर चुके हैं. यहीं, नहीं अस्पताल से डिस्चार्च होने के बाद चुनाव प्रचार के आखिरी दिन हरीश रावत ने गंगा पंचौली के समर्थन में कई जनसभाएं की. जिसके कारण अब सल्ट का चुनाव हरीश रावत की साख का चुनाव बन चुका है.

विरोधियों को कड़ा संदेश देना चाहते हैं हरदा

असल में सल्ट विधानसभा का उपचुनाव इसलिए भी हरीश रावत के लिए अहम हो गया है कि ये इलाका उनके गृह क्षेत्र से बहुत करीब सटा हुआ है. साथ ही इसके नतीजों के जरिए वो अपनी राजनीतिक विरोधियों को भी कड़ा संदेश देना चाहते हैं. यही कारण है कि वो सोशल मीडिया, जनसभा के जरिए लगातार गंगा पंचोली को जीताने की अपील कर रहे हैं. कुछ दिन पहले उन्होंने गंगा पंचोली की जीत को खुद के जीवन-मरण से जोड़ा था.

बीजेपी को भी बहुत कुछ साबित करने की जरूरत

वहीं, बात अगर बीजेपी की करें तो सुरेंद्र सिंह जीना को सल्ट सीट पर बीजेपी के ओपनर के तौर पर जाना जाता था. वे क्षेत्र के तेज-तर्रार नेताओं में शामिल थे. वे पढ़े लिखे और साफ छवि के नेता थे. जिसके कारण जनता ने उन्हें दो बार जीत का आशीर्वाद दिया. अब उनके निधन के बाद ये सीट जीतना बीजेपी के लिए खुद को साबित करने के बराबर है. हालांकि जीना की कमी को पूरा करने और सहानूभूति के सहारे सल्ट का सियासी दुर्ग जीतने के लिए बीजेपी ने उनके बड़े भाई महेश जीना को मैदान में उतारा है. कहा जाता है बीजेपी कार्यकर्ताओं की पार्टी है. वो चेहरे से नहीं बल्कि संगठन के बलबूते ही चुनाव जीतती है, जिसे उन्हें इस चुनाव में साबित करना होगा.

भाजपा ने झोंकी ताकत

यहीं कारण है कि भाजपा ने यहां जीत की जंप लगाने के लिए सरकार के दो मंत्री, दो सांसद और पार्टी के प्रांतीय पदाधिकारियों को लगाया. इसके साथ ही चुनाव प्रचार के अंतिम दिन सल्ट में महेश जीना के पक्ष में होने वाली जनसभा में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, भाजपा के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम, प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक मौजूद रहे.

कुल मिलाकर कहा जाये तो सल्ट विधानसभा सीट का उपचुनाव किसी जंग से कम नहीं होने वाला है. सभी दल अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. सत्ता और सियासत की लड़ाई का केंद्र बनी सल्ट विधानसभा सीट पर जल्द ही नतीजे सबके सामने होंने, जिसके बाद ये साबित हो जाएगा कि आखिर सल्ट का सिकंदर कौन होगा.

रविवार को आएंगे नतीजे

सल्ट उपचुनाव में कुल 95 हजार मतदाताओं ने भाग लिया. जनवरी 2021 के मतदाता सूची के अनुसार सल्ट में कुल मतदाताओं की संख्या 95,241 है, जिसमें 48,682 पुरुष और 46,559 महिला मतदाता हैं. सल्ट विधानसभा सीट में 17 अप्रैल को वोटिंग हुई थी.

Last Updated : May 1, 2021, 11:00 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.