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आयुर्वेद विश्वविद्यालय की स्टाफ नर्सों का वेतन जारी, कांग्रेस ने लिखा था पत्र - देहरादून न्यूज

कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने 3 दिन पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के नाम खुला पत्र जारी किया था, जिसके बाद स्टाफ नर्सों का वेतन जारी हो गया है.

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सूर्यकांत धस्माना
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Published : Jun 24, 2020, 10:35 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में छह माह पहले नियुक्त हुईं स्टाफ नर्सों का वेतन जारी हो गया है. इस मामले में कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने 3 दिन पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नाम खुला पत्र जारी किया था और स्टाफ नर्सो की वेतन संबंधी समस्या उठाई थी.

दरअसल, उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में 3 दिसंबर 2019 को 30 स्टाफ नर्सों को चयन प्रक्रिया के बाद नियुक्ति पत्र जारी किए गए थे. 1 जनवरी 2020 से नर्सों ने विश्वविद्यालय में काम करना शुरू कर दिया था. लेकिन 6 महीने बीतने के बाद भी विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा नर्सों को वेतन नहीं जारी किया गया. जिसके बाद नर्सों ने विरोध-प्रदर्शन किया था.

मामले में सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि एक तरफ तो प्रधानमंत्री फ्रंटलाइन वॉरियर्स के साथ अच्छा व्यवहार करने की बात कह रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ मरीजों की सेवा में लगे नर्सों को समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा है.

पढ़ें : 'कोरोनिल' पर बाबा रामदेव से जवाब मांगेगी उत्तराखंड सरकार, इम्यूनिटी बूस्टर के नाम पर लिया था लाइसेंस

ऐसे में धस्माना ने सीएम को पत्र लिखते हुए कहा था कि अगर एक सप्ताह के भीतर नर्सों का वेतन जारी नहीं होता है तो कांग्रेस विश्वविद्यालय परिसर में धरने पर बैठने को मजबूर होगी. वहीं, धस्माना के मुताबिक पत्र लिखने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन हरकत में आया और स्टाफ नर्सों का वेतन जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

देहरादून: उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में छह माह पहले नियुक्त हुईं स्टाफ नर्सों का वेतन जारी हो गया है. इस मामले में कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने 3 दिन पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नाम खुला पत्र जारी किया था और स्टाफ नर्सो की वेतन संबंधी समस्या उठाई थी.

दरअसल, उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में 3 दिसंबर 2019 को 30 स्टाफ नर्सों को चयन प्रक्रिया के बाद नियुक्ति पत्र जारी किए गए थे. 1 जनवरी 2020 से नर्सों ने विश्वविद्यालय में काम करना शुरू कर दिया था. लेकिन 6 महीने बीतने के बाद भी विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा नर्सों को वेतन नहीं जारी किया गया. जिसके बाद नर्सों ने विरोध-प्रदर्शन किया था.

मामले में सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि एक तरफ तो प्रधानमंत्री फ्रंटलाइन वॉरियर्स के साथ अच्छा व्यवहार करने की बात कह रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ मरीजों की सेवा में लगे नर्सों को समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा है.

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ऐसे में धस्माना ने सीएम को पत्र लिखते हुए कहा था कि अगर एक सप्ताह के भीतर नर्सों का वेतन जारी नहीं होता है तो कांग्रेस विश्वविद्यालय परिसर में धरने पर बैठने को मजबूर होगी. वहीं, धस्माना के मुताबिक पत्र लिखने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन हरकत में आया और स्टाफ नर्सों का वेतन जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

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