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साधु-संतों ने त्रिवेंद्र सरकार के फैसले का किया स्वागत, हरकी पैड़ी पर जश्न का माहौल

त्रिवेंद्र सरकार के फैसले से हरिद्वार के संत समाज में खुशी है. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महाराज ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को बधाई देते हुए कहा कि संत समाज इस फैसला का काफी लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था.

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Published : Nov 22, 2020, 6:50 PM IST

देहरादून/हरिद्वार: हरिद्वार में गंगा को नहर के रूप में घोषित किए जाने से नाराज साधु समाज की मांग आज पूरी हो गई. साल 2016 में स्कैप चैनल के रूप में घोषित गंगा को फिर एक बार का पुराना नाम वापस मिल गया. त्रिवेंद्र सरकार ने कहा कि कांग्रेस सरकार की गलती को मौजूदा सरकार ने सुधार दिया है. वहीं, सरकार के इस फैसले से खुश होकर संगा सभा ने हरकी पैड़ी पर जमकर आतिशबाजी की.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आखिरकार गंगा स्कैप चैनल नाम बदलने का कदम उठा दिया है. अब साल 2016 से पहली की तरह ही हर की पैड़ी पर मां गंगा अपने पुराने नाम से ही जानी जाएगी. दरअसल, हरीश रावत सरकार ने इसे एक नहर के रूप में घोषित आदेश जारी किया था. इस आदेश को भाजपा सरकार ने हरीश रावत सरकार की गलती को सुधारने वाला बताया है.

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खुशी में संत समाज ने की आतिशबाजी

उधर, सरकार के इस कदम पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को साधु समाज बधाई दे रहा है. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महाराज ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को बधाई देते हुए कहा कि संत समाज इस फैसला का काफी लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था. आखिरकार त्रिवेंद्र सरकार ने यह कदम उठाकर बेहतर काम किया है, इसलिए साधु समाज मुख्यमंत्री के इस फैसला का शुक्रिया अदा करता है.

गंगा को पुराना नाम वापस मिलने से संत समाज में खुशी की लहर.

वहीं, गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ का कहना है कि हरीश रावत द्वारा किए गए शासनादेश को त्रिवेंद्र सरकार ने रद्द करके हजारों तीर्थ पुरोहित सम्मान किया है, जो पाप हरीश रावत सरकार ने किया था, उस पाप को त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने इस शासनादेश को रद्द करके मां गंगा से जुड़ी आस्था को बनाए रखा है. त्रिवेंद्र सरकार के इस फैसले से खुश होकर साधु संतों ने हरकी पैड़ी पर खूब आतिशबाजी की.

पढ़ें- हरकी पैड़ी पर गंगा को मिलेगा पुराना स्वरूप, 'स्कैप चैनल' शासनादेश रद्द

बता दें, त्रिवेंद्र सरकार ने आज गंगा को स्कैप चैनल बताने के शासनादेश को लेकर बड़ा फैसला लिया है. तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने जिस हरिद्वार की गंगा को अपने शासनादेश में स्कैप चैनल घोषित किया था, आज उस शासनादेश को त्रिवेंद्र सरकार ने रद्द कर दिया है. सरकार इसका नोटिफिकेशन कल जारी करेगी. ईटीवी भारत ने इसके कायस पहले ही लगा लिए थे, जिस पर आज मुहर लग गई है.

क्या था मामला

कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गंगा से दो सौ मीटर के दायरे में निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी थी. साल 2016 में हरीश रावत सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर हरकी पैड़ी पर बह रही गंगा को स्कैप चैनल घोषित कर दिया था, तब से इस पर विवाद होता रहा है. हरीश रावत सरकार के इस फैसले का उस समय भी संत समाज और तीर्थ पुरोहितों ने पुरजोर विरोध किया था. अब त्रिवेंद्र सरकार ने संत समाज और तीर्थ पुरोहितों की मांग को स्वीकर करते हुए स्कैप चैनल के रूप में घोषित गंगा को फिर एक बार का पुराना नाम वापस दे दिया है.

देहरादून/हरिद्वार: हरिद्वार में गंगा को नहर के रूप में घोषित किए जाने से नाराज साधु समाज की मांग आज पूरी हो गई. साल 2016 में स्कैप चैनल के रूप में घोषित गंगा को फिर एक बार का पुराना नाम वापस मिल गया. त्रिवेंद्र सरकार ने कहा कि कांग्रेस सरकार की गलती को मौजूदा सरकार ने सुधार दिया है. वहीं, सरकार के इस फैसले से खुश होकर संगा सभा ने हरकी पैड़ी पर जमकर आतिशबाजी की.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आखिरकार गंगा स्कैप चैनल नाम बदलने का कदम उठा दिया है. अब साल 2016 से पहली की तरह ही हर की पैड़ी पर मां गंगा अपने पुराने नाम से ही जानी जाएगी. दरअसल, हरीश रावत सरकार ने इसे एक नहर के रूप में घोषित आदेश जारी किया था. इस आदेश को भाजपा सरकार ने हरीश रावत सरकार की गलती को सुधारने वाला बताया है.

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खुशी में संत समाज ने की आतिशबाजी

उधर, सरकार के इस कदम पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को साधु समाज बधाई दे रहा है. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महाराज ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को बधाई देते हुए कहा कि संत समाज इस फैसला का काफी लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था. आखिरकार त्रिवेंद्र सरकार ने यह कदम उठाकर बेहतर काम किया है, इसलिए साधु समाज मुख्यमंत्री के इस फैसला का शुक्रिया अदा करता है.

गंगा को पुराना नाम वापस मिलने से संत समाज में खुशी की लहर.

वहीं, गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ का कहना है कि हरीश रावत द्वारा किए गए शासनादेश को त्रिवेंद्र सरकार ने रद्द करके हजारों तीर्थ पुरोहित सम्मान किया है, जो पाप हरीश रावत सरकार ने किया था, उस पाप को त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने इस शासनादेश को रद्द करके मां गंगा से जुड़ी आस्था को बनाए रखा है. त्रिवेंद्र सरकार के इस फैसले से खुश होकर साधु संतों ने हरकी पैड़ी पर खूब आतिशबाजी की.

पढ़ें- हरकी पैड़ी पर गंगा को मिलेगा पुराना स्वरूप, 'स्कैप चैनल' शासनादेश रद्द

बता दें, त्रिवेंद्र सरकार ने आज गंगा को स्कैप चैनल बताने के शासनादेश को लेकर बड़ा फैसला लिया है. तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने जिस हरिद्वार की गंगा को अपने शासनादेश में स्कैप चैनल घोषित किया था, आज उस शासनादेश को त्रिवेंद्र सरकार ने रद्द कर दिया है. सरकार इसका नोटिफिकेशन कल जारी करेगी. ईटीवी भारत ने इसके कायस पहले ही लगा लिए थे, जिस पर आज मुहर लग गई है.

क्या था मामला

कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गंगा से दो सौ मीटर के दायरे में निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी थी. साल 2016 में हरीश रावत सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर हरकी पैड़ी पर बह रही गंगा को स्कैप चैनल घोषित कर दिया था, तब से इस पर विवाद होता रहा है. हरीश रावत सरकार के इस फैसले का उस समय भी संत समाज और तीर्थ पुरोहितों ने पुरजोर विरोध किया था. अब त्रिवेंद्र सरकार ने संत समाज और तीर्थ पुरोहितों की मांग को स्वीकर करते हुए स्कैप चैनल के रूप में घोषित गंगा को फिर एक बार का पुराना नाम वापस दे दिया है.

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