ETV Bharat / state

क्या आपके फोन से आने लगी जोर की आवाज! डरें नहीं, उत्तराखंड सरकार की ओर से भेजा गया है मैसेज, जानें क्या है ये टेक्नोलॉजी और कैसे करेगी काम?

cell Broadcasting Early Warning Technology Mock Drill in Uttarakhand उत्तराखंड में आज सेल ब्रॉडकास्टिंग अर्ली वार्निंग टेक्नोलॉजी को लेकर मॉक ड्रिल किया जा रहा है. सभी जिलाधिकारियों को इस संबंध में जानकारी दी गई है. इस मौके पर आपदा प्रबंधन के अधिकारियों ने बताया कि यह टेक्नोलॉजी किस तरह से काम करती है और कितनी कारगर साबित होती है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 18, 2023, 5:25 PM IST

Updated : Oct 18, 2023, 10:31 PM IST

क्या आपके फोन से आने लगी जोर की आवाज

देहरादून: उत्तराखंड में आज सेल ब्रॉडकास्टिंग अर्ली वार्निंग टेक्नोलॉजी का मॉक ड्रिल किया जा रहा है. शोधकर्ताओं के अनुसार सेल ब्रॉडकास्टिंग सिस्टम आज की तारीख में पूरी दुनिया में अर्ली मॉर्निंग सिस्टम के लिए उपयोग की जाने वाली सबसे आधुनिक तकनीक है. सेल ब्रॉडकास्टिंग आपदा प्रबंधन और टेलीफोन कंपनियों के आपसी तालमेल द्वारा चलाया जाने वाला एक ज्वाइंट ऑपरेशन है. इसमें आपातकालीन स्थिति में सभी टेलीफोन कंपनियां आपदा प्रबंधन से मिले इनपुट के आधार पर एक ऐसा अलर्ट सभी के मोबाइल फोन में जारी करती हैं, जो कि इस दौरान मोबाइल में चलने वाली सभी तरह की एप्लीकेशन कॉल और किसी भी तरह की गतिविधि को ओवरटेक कर लेती हैं. यह अलर्ट सबसे ऊपर यूजर्स को सुनाई और दिखाई देता है.

क्या है "सेल ब्रॉडकास्टिंग अर्ली वार्निंग" टेक्नोलॉजी: इस टेक्नोलॉजी में कई तरह के कस्टमाइजेशन संभव है. जिसमें खासतौर से मौसमी आपदाओं में यह कई देशों में कारगार साबित हो रही है. अन्य तरह की आपदाओं के अलर्ट के लिए भी लगातार इसे विकसित किया जा रहा है. एक्सपर्ट के अनुसार सेल ब्रॉडकास्टिंग के दौरान अलर्ट मैसेज पूरे मोबाइल को टेकओवर कर लेता है और कस्टमाइजेशन से इसको इस हद तक कारगर साबित किया जा सकता है कि इस अलर्ट को यूजर को प्राप्त होने तक सुनिश्चित किया जा सके. यानी कि आपातकालीन स्थिति में यूजर्स के फोन पर आने वाले इस अलर्ट मैसेज को इतना प्रभावित किया जा सकता है कि यह तब तक बजता रहेगा, जब तक यूजर खुद इसे देखकर सुनिश्चित न कर ले.

उत्तराखंड आपदा प्रबंधन कई सालों से कर रहा था इस टेक्नोलॉजी पर काम: प्राकृतिक आपदाओं के प्रति बेहद संवेदनशील उत्तराखंड में आपदाओं से निपटने को लेकर लगातार हर सरकार द्वारा कुछ ना कुछ योगदान किया गया है. साल 2013 की आपदा के बाद उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन में एक अच्छा परिवर्तन देखने को मिला है. उत्तराखंड में तकनीकी से जुड़े सभी पहलुओं पर लगातार काम किया जा रहा है. इसी के चलते पिछले कुछ सालों से अर्ली वॉर्निंग सिस्टम को लेकर भी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण लगातार दुनिया भर के बेहतर विकल्पों को उत्तराखंड में लाने की दिशा में काम कर रहा है.

पिछले 1 साल से उत्तराखंड में अर्ली वॉर्निंग सिस्टम में सेल ब्रॉडकास्टिंग टेक्नोलॉजी पर लगातार काम किया जा रहा था और उत्तराखंड में काफी एडवांस स्टेज पर सेल ब्रॉडकास्टिंग टेक्नोलॉजी को लेकर काम चल रहा था, लेकिन आपदा प्रबंधन के अपर सचिव सविन बंसल द्वारा बताया गया कि जब इस टेक्नोलॉजी के फाइनल फेस को लेकर केंद्र सरकार में राष्ट्रीय आपदा प्राधिकरण यानी एनडीएमए और टेलीकॉम कंपनियों से तालमेल स्थापित किया गया, तो केंद्र द्वारा यह जानकारी मिली कि केंद्र सरकार अपने स्तर पर भी सेल ब्रॉडकास्टिंग को लेकर काम कर रही है.

ये भी पढ़ें: देवभूमि पहुंचे यूपी में धूल फांकते मसूरी-देहरादून के 150 साल पुराने अभिलेख, भू माफ़ियाओं के फर्जीवाड़े पर लगा ब्रेक

फीडबैक और शैडो एरिया को लेकर किया जाएगा विश्लेषण: अपर सचिव आपदा प्रबंधन आईएएस अधिकारी सविन बंसल ने बताया कि आज सभी जिलाधिकारियों को इस संबंध में सूचना दी गई है कि उत्तराखंड में बड़े स्तर पर सेल ब्रॉडकास्टिंग टेक्नोलॉजी का ड्राई रन या फिर मॉक ड्रिल किया जाएगा. इस दौरान कोई अफवाह ना फैले इसको भी सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि आज होने वाली इस मॉक ड्रिल के डाटा को कलेक्ट किया जाएगा और यह कितना जिम्मेदार है. कितने यूजर्स पर अटैम्प्ट करता है. साथ ही ऐसे कौन से क्षेत्र हैं, जहां पर ब्रॉडकास्टिंग सिग्नल्स नहीं पहुंच पाते हैं, उनका भी पूरा डाटा तैयार किया जाएगा और इस फीडबैक यानी रिपोर्ट कार्ड के आधार पर इस टेक्नोलॉजी में सुधार या फिर मोडिफिकेशन को लेकर के काम किया जाएगा. आज इस टेक्नोलॉजी का प्रयोग जापान, यूरोप, अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों में किया जा रहा है.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में साइंस टेक्नोलॉजी कॉरिडोर बनाने की कवायद तेज, देहरादून में बन रही साइंस सिटी, रिसर्च एक्टिविटी बढ़ेगी

क्या आपके फोन से आने लगी जोर की आवाज

देहरादून: उत्तराखंड में आज सेल ब्रॉडकास्टिंग अर्ली वार्निंग टेक्नोलॉजी का मॉक ड्रिल किया जा रहा है. शोधकर्ताओं के अनुसार सेल ब्रॉडकास्टिंग सिस्टम आज की तारीख में पूरी दुनिया में अर्ली मॉर्निंग सिस्टम के लिए उपयोग की जाने वाली सबसे आधुनिक तकनीक है. सेल ब्रॉडकास्टिंग आपदा प्रबंधन और टेलीफोन कंपनियों के आपसी तालमेल द्वारा चलाया जाने वाला एक ज्वाइंट ऑपरेशन है. इसमें आपातकालीन स्थिति में सभी टेलीफोन कंपनियां आपदा प्रबंधन से मिले इनपुट के आधार पर एक ऐसा अलर्ट सभी के मोबाइल फोन में जारी करती हैं, जो कि इस दौरान मोबाइल में चलने वाली सभी तरह की एप्लीकेशन कॉल और किसी भी तरह की गतिविधि को ओवरटेक कर लेती हैं. यह अलर्ट सबसे ऊपर यूजर्स को सुनाई और दिखाई देता है.

क्या है "सेल ब्रॉडकास्टिंग अर्ली वार्निंग" टेक्नोलॉजी: इस टेक्नोलॉजी में कई तरह के कस्टमाइजेशन संभव है. जिसमें खासतौर से मौसमी आपदाओं में यह कई देशों में कारगार साबित हो रही है. अन्य तरह की आपदाओं के अलर्ट के लिए भी लगातार इसे विकसित किया जा रहा है. एक्सपर्ट के अनुसार सेल ब्रॉडकास्टिंग के दौरान अलर्ट मैसेज पूरे मोबाइल को टेकओवर कर लेता है और कस्टमाइजेशन से इसको इस हद तक कारगर साबित किया जा सकता है कि इस अलर्ट को यूजर को प्राप्त होने तक सुनिश्चित किया जा सके. यानी कि आपातकालीन स्थिति में यूजर्स के फोन पर आने वाले इस अलर्ट मैसेज को इतना प्रभावित किया जा सकता है कि यह तब तक बजता रहेगा, जब तक यूजर खुद इसे देखकर सुनिश्चित न कर ले.

उत्तराखंड आपदा प्रबंधन कई सालों से कर रहा था इस टेक्नोलॉजी पर काम: प्राकृतिक आपदाओं के प्रति बेहद संवेदनशील उत्तराखंड में आपदाओं से निपटने को लेकर लगातार हर सरकार द्वारा कुछ ना कुछ योगदान किया गया है. साल 2013 की आपदा के बाद उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन में एक अच्छा परिवर्तन देखने को मिला है. उत्तराखंड में तकनीकी से जुड़े सभी पहलुओं पर लगातार काम किया जा रहा है. इसी के चलते पिछले कुछ सालों से अर्ली वॉर्निंग सिस्टम को लेकर भी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण लगातार दुनिया भर के बेहतर विकल्पों को उत्तराखंड में लाने की दिशा में काम कर रहा है.

पिछले 1 साल से उत्तराखंड में अर्ली वॉर्निंग सिस्टम में सेल ब्रॉडकास्टिंग टेक्नोलॉजी पर लगातार काम किया जा रहा था और उत्तराखंड में काफी एडवांस स्टेज पर सेल ब्रॉडकास्टिंग टेक्नोलॉजी को लेकर काम चल रहा था, लेकिन आपदा प्रबंधन के अपर सचिव सविन बंसल द्वारा बताया गया कि जब इस टेक्नोलॉजी के फाइनल फेस को लेकर केंद्र सरकार में राष्ट्रीय आपदा प्राधिकरण यानी एनडीएमए और टेलीकॉम कंपनियों से तालमेल स्थापित किया गया, तो केंद्र द्वारा यह जानकारी मिली कि केंद्र सरकार अपने स्तर पर भी सेल ब्रॉडकास्टिंग को लेकर काम कर रही है.

ये भी पढ़ें: देवभूमि पहुंचे यूपी में धूल फांकते मसूरी-देहरादून के 150 साल पुराने अभिलेख, भू माफ़ियाओं के फर्जीवाड़े पर लगा ब्रेक

फीडबैक और शैडो एरिया को लेकर किया जाएगा विश्लेषण: अपर सचिव आपदा प्रबंधन आईएएस अधिकारी सविन बंसल ने बताया कि आज सभी जिलाधिकारियों को इस संबंध में सूचना दी गई है कि उत्तराखंड में बड़े स्तर पर सेल ब्रॉडकास्टिंग टेक्नोलॉजी का ड्राई रन या फिर मॉक ड्रिल किया जाएगा. इस दौरान कोई अफवाह ना फैले इसको भी सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि आज होने वाली इस मॉक ड्रिल के डाटा को कलेक्ट किया जाएगा और यह कितना जिम्मेदार है. कितने यूजर्स पर अटैम्प्ट करता है. साथ ही ऐसे कौन से क्षेत्र हैं, जहां पर ब्रॉडकास्टिंग सिग्नल्स नहीं पहुंच पाते हैं, उनका भी पूरा डाटा तैयार किया जाएगा और इस फीडबैक यानी रिपोर्ट कार्ड के आधार पर इस टेक्नोलॉजी में सुधार या फिर मोडिफिकेशन को लेकर के काम किया जाएगा. आज इस टेक्नोलॉजी का प्रयोग जापान, यूरोप, अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों में किया जा रहा है.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में साइंस टेक्नोलॉजी कॉरिडोर बनाने की कवायद तेज, देहरादून में बन रही साइंस सिटी, रिसर्च एक्टिविटी बढ़ेगी

Last Updated : Oct 18, 2023, 10:31 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.