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ग्रामीण महिलाओं ने बनाया हर्बल हैंड सैनिटाइजर, इस तरह किया तैयार

विकासनगर के फतेहपुर गांव की महिलाओं ने मार्केट में मिलने वाले अल्कोहलिक हैंड सैनिटाइजर से बेहतर स्वदेशी हैंड सैनिटाइजर तैयार किया है. ये हर्बल हैंड स्प्रे नीम, तुलसी, एलोवेरा, गुलाब, पत्तियों और फूलों से जड़ी-बूटी के साथ तैयार किया गया है.

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स्वदेशी रूप से तैयार हर्बल हैंड सैनिटाइजर.
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Published : Jun 11, 2020, 1:05 PM IST

विकासनगर: नगर के फतेहपुर और छरबा गांव की महिलाओं ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए मार्केट में मिल रहे हैंड सैनिटाइजर की जगह स्वदेशी हैंड सैनिटाइजर तैयार किया है. इसे अल्कोहल की जगह ग्रामीण क्षेत्रों में पाए जाने वाले नीम, तुलसी, एलोवेरा, गुलाब के फूल, पत्ती, जड़ी-बूटियों के साथ कपूर और फिटकरी आदि का प्रयोग कर बनाया गया है. स्थानीय और सरकारी कार्यालयों के साथ ही दूसरी जगहों पर भी इसकी डिमांड बढ़ रही है.

गांव की महिलाओं ने बनाया स्वदेशी हर्बल हैंड सैनिटाइजर.

स्वरोजगार और स्वदेशी का इससे अच्छा उदाहरण नहीं हो सकता है. विकासनगर के फतेहपुर और छरबा गांव की महिलाओं ने ग्रामीण इलाकों के संसाधनों से हर्बल सैनिटाइजर बना डाला. इसकी प्रेरणा जागृति स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष श्यामा चौहान से मिली. समूह के स्वरोजगार कार्यक्रम से इलाके की सैकड़ों महिलाएं जुड़ी हैं.

यह भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर : आकाशीय बिजली गिरने से सेना के जवान की मौत

छरबा गांव में भी महिलाओं के लिए समूह का गठन किया गया है. इससे जुड़ी महिलाएं हर्बल हैंड स्प्रे बनाने के काम में लगी हुई हैं. इसमें अहम भूमिका निभाने वाली सीता भट्ट का कहना है कि ग्रामीण परिवेश में पैदा होने के कारण उन्हें इस तरह के काम में बचपन से ही रुचि रही है. इसके चलते कई तरह के प्रशिक्षण लेकर अपने साथ अन्य ग्रामीण महिलाओं के उत्थान के लिए काम करती आ रही हैं.

कृषि विज्ञान केंद्र की कार्यक्रम प्रसार वैज्ञानिक किरण जोशी पंत ने बताया कि समय-समय पर ग्रामीणों, किसानों और महिलाओं का मार्गदर्शन किया जाता है. हर्बल सैनिटाइजर बनाना भी इसी का हिस्सा है.

वहीं जागृति स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष श्यामा चौहान ने बताया कि कई महिलाएं मास्क बनाने का काम कर रही हैं. ऐसे में नीम, एलोवेरा, तुलसी आदि से हैंड वाश स्प्रे बनाने की सोची. इसमें कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी के वैज्ञानिकों का सहयोग भी लिया.

विकासनगर: नगर के फतेहपुर और छरबा गांव की महिलाओं ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए मार्केट में मिल रहे हैंड सैनिटाइजर की जगह स्वदेशी हैंड सैनिटाइजर तैयार किया है. इसे अल्कोहल की जगह ग्रामीण क्षेत्रों में पाए जाने वाले नीम, तुलसी, एलोवेरा, गुलाब के फूल, पत्ती, जड़ी-बूटियों के साथ कपूर और फिटकरी आदि का प्रयोग कर बनाया गया है. स्थानीय और सरकारी कार्यालयों के साथ ही दूसरी जगहों पर भी इसकी डिमांड बढ़ रही है.

गांव की महिलाओं ने बनाया स्वदेशी हर्बल हैंड सैनिटाइजर.

स्वरोजगार और स्वदेशी का इससे अच्छा उदाहरण नहीं हो सकता है. विकासनगर के फतेहपुर और छरबा गांव की महिलाओं ने ग्रामीण इलाकों के संसाधनों से हर्बल सैनिटाइजर बना डाला. इसकी प्रेरणा जागृति स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष श्यामा चौहान से मिली. समूह के स्वरोजगार कार्यक्रम से इलाके की सैकड़ों महिलाएं जुड़ी हैं.

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छरबा गांव में भी महिलाओं के लिए समूह का गठन किया गया है. इससे जुड़ी महिलाएं हर्बल हैंड स्प्रे बनाने के काम में लगी हुई हैं. इसमें अहम भूमिका निभाने वाली सीता भट्ट का कहना है कि ग्रामीण परिवेश में पैदा होने के कारण उन्हें इस तरह के काम में बचपन से ही रुचि रही है. इसके चलते कई तरह के प्रशिक्षण लेकर अपने साथ अन्य ग्रामीण महिलाओं के उत्थान के लिए काम करती आ रही हैं.

कृषि विज्ञान केंद्र की कार्यक्रम प्रसार वैज्ञानिक किरण जोशी पंत ने बताया कि समय-समय पर ग्रामीणों, किसानों और महिलाओं का मार्गदर्शन किया जाता है. हर्बल सैनिटाइजर बनाना भी इसी का हिस्सा है.

वहीं जागृति स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष श्यामा चौहान ने बताया कि कई महिलाएं मास्क बनाने का काम कर रही हैं. ऐसे में नीम, एलोवेरा, तुलसी आदि से हैंड वाश स्प्रे बनाने की सोची. इसमें कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी के वैज्ञानिकों का सहयोग भी लिया.

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