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दावों पर सवाल: 150 श्रमिकों के खातों में नहीं पहुंचा एक भी रुपया - उत्तराखंड न्यूज

उत्तराखंड सरकार ने श्रमिकों को राहत देने के लिए उनके खाते में एक-एक हजार रुपए ट्रांसफर किए थे. लेकिन कुछ श्रमिक ऐसे भी हैं, जिनके खाते में अभी तक एक भी रुपया नहीं गया है.

देहरादून
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Published : Apr 13, 2020, 1:52 PM IST

देहरादून: लॉकडाउन की वजह से सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना श्रमिकों को करना पड़ रहा है. ऐसे में उत्तराखंड सरकार ने भी इन्हें राहत दी है. उत्तराखंड सरकार ने श्रमिकों के खाते में एक हजार रुपए ट्रांसफर किए. लेकिन देहरादून में 150 पंजीकृत मजदूरों के खाते में अभी तक कोई भी पैसा नहीं आया है. इससे सरकारी दावों पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं.

श्रम विभाग के अनुसार उत्तराखंड में लॉकडाउन के चलते मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप देहरादून जिले में लगभग 20 हजार पंजीकृत श्रमिकों के खाते में एक-एक हजार रुपये जमा करा दिए गए हैं. लेकिन आरोप है कि देहरादून के कैनाल रोड स्थित लगभग 150 पंजीकृत मजदूरों के खाते में अभी तक कोई भी पैसा नहीं आया है.

पढ़ें- कोरोना ने छीनी फूलों की 'खुशबू', किसानों के चेहरे का उड़ा 'रंग'

स्थिति यह है कि आज ये मजदूर अपने परिवार के लिए एक समय की रोटी लाने के लिए भी असमर्थ हैं. मजदूरों को अब अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए दूसरे लोगों के घरों तक जाना पड़ रहा है. वहीं मजदूरों की मानें तो उनके खाते में अभी तक कोई पैसा नहीं आया है. न ही उनके लिए सरकार की तरफ से भोजन की व्यवस्था की गई है.

मजदूरों का कहना है कि वो लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं. लेकिन उनके सामने अब रोटी का सवाल खड़ा हो गया है. अगर उन्हें मदद नहीं मिली तो मजबूरन काम ढूंढने निकलना पड़ेगा.

देहरादून: लॉकडाउन की वजह से सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना श्रमिकों को करना पड़ रहा है. ऐसे में उत्तराखंड सरकार ने भी इन्हें राहत दी है. उत्तराखंड सरकार ने श्रमिकों के खाते में एक हजार रुपए ट्रांसफर किए. लेकिन देहरादून में 150 पंजीकृत मजदूरों के खाते में अभी तक कोई भी पैसा नहीं आया है. इससे सरकारी दावों पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं.

श्रम विभाग के अनुसार उत्तराखंड में लॉकडाउन के चलते मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप देहरादून जिले में लगभग 20 हजार पंजीकृत श्रमिकों के खाते में एक-एक हजार रुपये जमा करा दिए गए हैं. लेकिन आरोप है कि देहरादून के कैनाल रोड स्थित लगभग 150 पंजीकृत मजदूरों के खाते में अभी तक कोई भी पैसा नहीं आया है.

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स्थिति यह है कि आज ये मजदूर अपने परिवार के लिए एक समय की रोटी लाने के लिए भी असमर्थ हैं. मजदूरों को अब अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए दूसरे लोगों के घरों तक जाना पड़ रहा है. वहीं मजदूरों की मानें तो उनके खाते में अभी तक कोई पैसा नहीं आया है. न ही उनके लिए सरकार की तरफ से भोजन की व्यवस्था की गई है.

मजदूरों का कहना है कि वो लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं. लेकिन उनके सामने अब रोटी का सवाल खड़ा हो गया है. अगर उन्हें मदद नहीं मिली तो मजबूरन काम ढूंढने निकलना पड़ेगा.

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