देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा (Uttarakhand Legislative Assembly) में मनचाही नियुक्तियों को लेकर सियासत गर्म है. इस मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी घेरे में आ गया है. नियुक्तियों को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) के पदाधिकारी भी पीछे नहीं रहे. भाजपा सरकारों में आरएसएस की पैठ किस स्तर पर होती है, इसका नमूना उत्तराखंड विधानसभा में मिली नियुक्तियों के रूप में देखा जा सकता है. एक या दो नहीं बल्कि ऐसे कई नाम हैं जो संघ से जुड़े हैं और उन्हें बिना प्रतियोगी परीक्षा के विधानसभा में नौकरी दे दी गई.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों को यूं तो समाज में नई चेतना भरने वाले समाजसेवियों के रूप में देखा जाता है. लेकिन उत्तराखंड में विधानसभा की नियुक्तियों (uttarakhand assembly recruitment case) के दौरान आरएसएस पदाधिकारियों की जो धमक दिखाई दी, वह एक नए चेहरे को भी बयां करती है. दरअसल विधानसभा में हुई 72 भर्तियों में ऐसे कई चेहरे हैं जो आरएसएस के पदाधिकारियों के करीबी रहे हैं, या उनका सीधा ताल्लुक आरएसएस से रहा है. सबसे पहला नाम आरएसएस के प्रांत प्रचारक युद्धवीर का है. उनके भांजे दीपक यादव को नियुक्ति देने की बात कही गई है. संघ के विभाग प्रचारक भगवती प्रसाद के भाई बद्री प्रसाद को भी नौकरी मिली.
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संघ के सह प्रांत प्रचारक देवेंद्र की बहन को भी नौकरी मिली. प्रांत प्रचारक के ड्राइवर रहे विजय सुंद्रियाल भी आसानी से नौकरी पा गए. इसके अलावा सूची के अनुसार संघ के महानगर सह कार्यवाह सत्येंद्र पवार तो खुद ही नौकरी पर लग गए. इन सबसे हटकर सबसे बड़ी बात यह है कि अब महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Maharashtra Governor Bhagat Singh Koshyari) के भाई की बेटी छाया कोश्यारी को भी विधानसभा में नौकरी मिल गई.